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कैबिनेट से मंजूरी के बावजूद तीन साल से वेतन से वंचित मदरसा शिक्षकों ने सीएम से लगाई गुहार

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द फॉलोअप टीम रांची
तीन साल से वेतन से वंचित राज्य के 186 मदरसों के हज़ारों शिक्षकों व कर्मचारियों के वेतन भुगतान की मंजूरी सरकार ने कई महीने पहले दे दी। कैबिनेट की बैठक में इनके वेतन भुगतान के लिए 87 करोड़ 72 लाख रुपए राशि पर मुहर भी लगी। इसमें वित्तिय वर्ष 2017-18 और 18-19 के लिए 65 करोड़ 50 लाख और वर्तमान वित्तीय वर्ष के लिए 22 करोड़ 22 लाख की स्वीकृति हासिल है। वहीं 31 मार्च 2021 तक मदरसों को सभी मानको को पूरा करना होगा। लेकिन भुगतान किसी न किसी बहाने आज तक नहीं हो सका है।
गौरतलब है कि विभिन्न तकनीकी पेचीदगियों के सबब तीन साल से इनका वेतन लंबित था। इस दौरान बीमारी का इलाज नहीं करा पाने के कारण करीब 9 टीचर की मौत हो गई। उनके बच्चों की पढ़ाई-लिखाई भी छूट गई। पिछली सरकार ने मदरसा की मान्यता कई नियमों को पूरा नहीं कर पाने के कारण अधर में भी थी। इसी कारण वेतन के भुगतान पर भी रोक लगा दी गई थी। ऑल झारखंड मदरसा टीचर्स एसोसिएशन वेतन भुगतान को लेकर आंदोलनरत था। 62 मदरसा के शिक्षकों को भुगतान कर दिया गया था बाक़ी शिक्षक आस में रहे। हेमंत सोरेन की अगुवाई वाली सरकार बनने के बाद एसोसिएशन के लोग मुख्यमंत्री, शिक्षा मंत्री और अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री समेत कई मंत्री से मिले। जून में शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो ने घोषणा की थी कि सभी के वेतन जारी किए जाएंगे। 3 जुलाई को स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग द्वारा राज्य के 183 अराजकीय प्रस्वीकृति प्राप्त (वित्त सहित) मदरसों के शिक्षक एवं शिक्षकेत्तर कर्मियों के अनुदान भुगतान संबंधी मामले को कैबिनेट की बैठक में शामिल करने की स्वीकृति मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने खुद दे दी थी। झारखण्ड प्रदेश मदरसा,संस्कृत शिक्षक समन्वय समिति का प्रतिनिधिमंडल महासचिव हामिद गाजी और अध्यक्ष सैयद फजलुल होदा के नेतृत्व में गुरुवार को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से उनके आवास पर मुलाकात की और उन्हें समस्याओं से अवगत कराया। मुख्यमंत्री ने प्रतिनिधिमंडल की बात को गंभीरता से सुना और कहा कि हमने इस मुद्दे पर कल ही चर्चा की थी। सरकार मदरसा और संस्कृत स्कूल के शिक्षकों के लिए पेंशन के मुद्दे पर सकारात्मक रूप से विचार कर रही है। प्रतिनिधिमंडल ने दो दिन पहले इस मुद्दे पर ग्रामीण विकास मंत्री आलमगीर आलम के साथ विस्तृत चर्चा की थी और उन्हें एक ज्ञापन दिया था। मंत्री आलमगीर आलम ने भी प्रतिनिधिमंडल को आश्वासन दिया और इस संबंध में सभी संभव प्रयास  करने की बात कही । प्रतिनिधिमंडल में मो हम्माद कासमी, शरफुद्दीन रशीदी, शहाबुद्दीन, शाहजहाँ, वहीदुज्जमां, मास्टर जरजीस, जतेन्द्र पांडेय, सुरेंद्र झा,  बदरूद दोजा और अन्य शामिल थे।