द फॉलोअप टीम, रांचीः
ग्रामीण विकास विभाग की सोशल ऑडिट इकाई ने मनरेगा योजनाओं का सोशल ऑडिट किया है। इसमें 1118 पंचायतों में संचालित योजनाओं को शामिल किया गया। 29059 योजनाओं के स्थलों का ऑन स्पॉट वेरिफिकेशन हुआ। जिसमें देखा गया कि मनरेगा योजनाओं से जुड़े काम में अधिकारियों ने लापरवाही बरती है। विभाग के सोशल ऑडिट सेल के संयोजक जेम्स हेरेंज ने ग्रामीण विकास मंत्रालय भारत सरकार के नाम चिठ्ठी लिखी है। उन्होंने बताया है कि 36 योजनाओं में JCB मशीन से काम कराये गये हैं। कुल 159608 मजदूरों के नाम से हाजरी शीट निकाली थी लेकिन सिर्फ 40629 वास्तविक मजदूर ही काम करते हुए मिले हैं। शेष सारे फर्जी नाम थे। 1787 मजदूर ऐसे मिले जिनका नाम हाजरी शीट में था ही नहीं, 85 योजनाएं ऐसी थीं जिनमें कोई हाजरी शीट बनाया ही नहीं गया था, और काम चालू कर दिया गया था। 376 मजदूर ऐसे मिले जिनका जॉब कार्ड बना ही नहीं है।
भ्रष्ट अफसरों के हाथ में मनरेगा
जेम्स हेरेंज ने बताया कि पहले भी सोशल ऑडिट के जरिए 94 हजार शिकायतें दर्ज की जा चुकी हैं, जिसमें करीब 54 करोड़ राशि गबन की पुष्टि हुई है। उस पर भी राज्य के जिम्मेवार अधिकारी गंभीर नहीं हैं। विभागीय अधिकारियों ने दो सालों से मनरेगा कानूनी प्रावधान के विपरीत सोशल ऑडिट की प्रक्रिया को बाधित कर रखा है। मनरेगा लोकपालों की नियुक्ति भी राज्य सरकार नहीं कर रही है। शिकायत निवारण प्रक्रिया पूरी तरह फेल है। मनरेगा पूरी तरह भ्रष्ट अफसरों और ठेकेदारों की गिरफ्त में चला गया है।
राज्य सरकार रिपोर्ट सौंपे
उन्होंने पत्र में मांग की है कि सोशल ऑडिट में उजागर किये गये बिंदुओं पर राज्य सरकार से रिपोर्ट मांगी जाये। इसके साथ ही पूर्व में संपन्न सामाजिक अंकेक्षण में प्रतिवेदित प्रत्येक मामले पर राज्य के जिम्मेवार अधिकारियों से समयबद्ध कार्रवाई सुनिश्चित करने को कहा जाये।