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राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने रेलवे गेस्ट हाउस में नाबालिग से दुष्कर्म मामले में मांगी रिपोर्ट

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द फॉलोअप टीम, रांची

रांची में रेलवे गेस्ट हाउस में नाबालिग से दुष्कर्म  मामले में राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग  ने स्वतः संज्ञान लिया है। आयोग ने मामले पर संज्ञान लेते हुए रांची के एसएसपी को पत्र लिखकर जांच रिपोर्ट सौंपने का आदेश दिया है। बच्ची की गोपनीयता सुरक्षित रखते हुए 7 दिन के अंदर पूरी रिपोर्ट सौंपने का आदेश दिया है।


आरपीएफ जवान ने किया था दुष्कर्म
आयोग के अनुसार खबरों के माध्यम से जानकारी मिली है कि झारखंड के रांची जिला में एक 14 वर्षीय नाबालिग बालिका के साथ आरपीएफ के एक जवान ने दुष्कर्म किया है। इसके साथ ही यह भी जानकारी मिली है कि जिस घर में पीड़िता के साथ दुष्कर्म हुआ है, वह वहां पर घरेलू काम के लिए रखी गई थी। राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग की तरफ से रांची से एसएसपी को निर्देश दिया गया है कि वह बालिका की पहचान की गोपनीयता हर स्तर पर सुरक्षित करते हुए प्रकरण में त्वरित कार्रवाई करें। इसके साथ ही जांच रिपोर्ट अगले 7 दिनों में आयोग को समर्पित करें।

आयोग ने मांगी निम्नलिखित जानकारियां
राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग  ने पीड़िता की आयु की प्रमाणिक जानकारी, प्रकरण में दर्ज पोक्सो एक्ट 2012 के अंतर्गत प्रथम सूचना रिपोर्ट, आरोपी के खिलाफ की गई कार्रवाई का विवरण, पीड़िता की मेडिकल रिपोर्ट की स्पष्ट और सत्यापित कॉपी, पीड़िता की काउंसिलिंग की कार्रवाई की कॉपी, पीड़िता के सीआरपीसी-164 के बयान की स्पष्ट एवं सत्यापित कॉपी, बाल कल्याण समिति के आदेशों-निर्देशों की स्पष्ट एवं सत्यापित प्रतिलिपि, क्या पीड़िता से बाल मजदूरी करवाई जा रही थी. अगर हां तो बाल श्रम अधिनियम 1986 के अंतर्गत की गई कार्रवाई का विवरण, न्यायालय में प्रेषित आरोप पत्र की स्पष्ट एवं सत्यापित कॉपी, पीड़िता और उनके परिजनों की सुरक्षा के संबंध में उठाए गए कदम का विवरण, पीड़िता के संबंध में उठाए गए कदम का विवरण और पीड़िता को मुआवजा दिलाने के लिए उठाए गए कदम का विवरण मांगा है।

सवालों के घेरे में उपमुख्य सुरक्षा आयुक्त की भूमिका
आरपीएफ के आरोपित जवान शंभूनाथ का बच्ची का यौन शोषण करने और उसे बर्खास्त करने का मामला सामने आने के बाद उपमुख्य सुरक्षा आयुक्त मो. शाकिब की भूमिका भी सवालों के घेरे में हैं। उन्होंने इस मामले में केवल विभागीय कार्रवाई की लेकिन एफआइआर दर्ज कराने और सीडब्ल्यूसी को मामले का संज्ञान देना जरूरी नहीं समझा। सीडब्ल्यूसी अब इस मामले में बच्ची से हुई यौन उत्पीड़न के साथ ही बालश्रम की बिंदू पर भी फोकस कर रही है। 14 वर्ष की नाबालिग बच्ची को गलत ढंग से घर में रखकर घरेलू काम करवाया जा रहा था। इसपर बच्ची का बयान आने पर बालश्रम का मामला भी दर्ज किया जा सकता है।