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जिसके लिए सजा एनसीपी का मंच, शरद पवार ने एक बार भी नहीं लिया सूर्या का नाम

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द फॉलोअप टीम, रांची:
सियासत के भी कई रंग होते हैं। कभी चेहरा हरिया जाता है, तो कभी सुर्ख (लाल) हो जाता है। कभी चेहरे का रंग उड़ भी जाता है। कभी मराठवाड़ा के क्षत्रप कहे जाते रहे शरद पवार रविवार को रांची में थे। आज वो एनसीपी के राष्ट्रीय प्रमुख हैं। महाराष्ट्र की सरकार के न महज सूत्रधार हैं, बल्कि हर अहम निर्णय में उनकी भूमिका रहती है। अब बताते हैं, उनकी रांची में मौजूदगी। जबकि एनसीपी का झारखंड में बहुत जनाधार भले नहीं हो लेकिन एकमात्र विधायक कमलेश सिंह हैं, जो पलामू के हुसैनाबाद से जीतकर आए हैं। और आज हरमू में बहुत तामझाम से पार्टी के कार्यकर्ता सम्मेेलन की वजह भी कमलेश सिंह ही हैं। पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष होने क नाते उनकी जिम्मेरवारी भी थी। एक सप्तााह से कार्यकर्ताओं को जुटाने के लिए वो सक्रिय रहे। मीडिया में भी संबंधित खबरें चलीं। इसके पीछे एक प्रमुख कारण रहा, उनका पुत्रमोह। कमलेश सिंह मंत्री भी रहे हैं। अब हसरत है कि सुपुत्र सूर्या सिंह पार्टी में दायित्व निभाएं। कार्यकर्ता के नाम पर हुआ आयोजन दरअसल उसकी ही लांचिंग का प्रयास था, जिसे राजनीतिक गलियारे में निष्फाल बताया जा रहा है। 

इसका सबब भी पार्टी के राष्ट्रीय मुखिया शरद पवार बताए जा रहे हैं। हुआ यूं कि जब कार्यक्रम शुरू हुआ तो पार्टी के एक और राष्ट्रीय नेता प्रफुल्ल  पटेल ने कई बार मंच से सूर्या का नाम लिया। जब वो नाम लेते कमलेश सिंह का चेहरा हरिया जाता। अब बारी थी शरद पवार के संबोधन की, जिसका बेसब्री से इंतजार था। लेकिन जब शरद ने बात शुरू की तो लाइन से मंचासीन नेताओं के नाम लिए, पिता-पुत्र के चेहरे खिल गए। लेकिन उसके बाद अंत तक उन्होंने एक बार भी सूर्या का नाम न लिया। जबकि पार्टी की युवा इकाई के राष्ट्रीय अध्यक्ष धीरज शर्मा को युवा नेता जरूर बताया। अब कमलेश सिंह के चेहरे का रंग जो उड़ा तो पिता-पुत्र शायद ही एक-दूसरे को देख सके हों। जबकि सूर्या के जयकार के लिए कई कार्यकर्ता तैनात थे। बीच-बीच में युवा नेता सूर्या जिंदबाद के नारे लगाए भी जा रहे थे। जब राष्ट्रीय अध्यक्ष ही नाम न ले, जिसकी तैयारी में पैसे पसीने की तरह छूटे, तो प्रदेश अध्यक्ष के चेहरे का फीका होना स्वाभाविक है।