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लाल-जवाहर-3: नेहरू के पास था देश और नागरिकों के सम्पूर्ण विकास का दूरगामी विज़न

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सुसंस्कृति परिहार, भोपाल:
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हालांकि नेहरू जी इन दिनों चर्चाओं में बराबर बने हुए हैं पर वे बाल दिवस पर हमेशा याद किए जाते हैं। 14 नवम्बर उनका जन्मदिन है। उन्हें बच्चे शिद्दत से याद करेंगे। क्यों ना करें उन्हें बच्चे गुलाब की पंखुड़ियों की तरह प्यारे थे। वह गुलाब जो उनकी शेरवानी के साथ जेकिट पर सदैव लगा रहता था। बच्चों से उनके अगाध प्रेम के कई किस्से हैं लेकिन अपनी बेटी इंदु के नाम  लिखे पत्रों को पढ़ लिया जाए तो हम उनके इस अनन्य अनुराग को भली-भांति जान सकते हैं। बहरहाल, याद तो वे तब भी आते हैं जब हम आज़ादी के संग्राम में उनके करीब आते हैं।  इस दौरान राजकुमार की तरह परवरिश वाले जवाहरलाल के बापू के साथ जन आंदोलनों के वे दृश्य जब याद आते हैं तो नेहरू को सजदा करने की चाहत हर सच्चे मां भारती के सपूत के दिल में पैदा होती है। उनके सत्याग्रह, अनशन, पिकैटिंग, विदेशी वस्त्रों की होली जलाकर मोटी खादी सपरिवार पहनना,जेल जाना, महीनों वहां गुजारना हमें भी आंदोलित करता है। देश के लिए ऐसा अनुपम प्यार जिसके लिए उन्होंने तमाम ऐशो-आराम को तिलांजलि दे दी उन्हें महान बनाता है।

और जब देश आजाद हुआ तब देश का विभाजन, साम्प्रदायिक दंगे, विस्थापितों का पुनर्वास,कश्मीर पर कबाइली हमला, गांधी जी की हत्या जैसी तमाम चुनौतियों का सामना करते हुए वे देश को खुशहाल बनाने में लग जाते हैं। 1947 में जब वे प्रधानमंत्री बने तब उनकी आयु 58 वर्ष थी। इस अवस्था में इतनी मुस्तैदी के साथ किए उनके काम याद आते हैं। 17 वर्ष का उनका शासन जिसमें अंतिम दो साल जिसमें वे चीन के अप्रत्याशित हमले के कारण  परेशान रहते हैं, निकाल दें , तो सिर्फ 15 साल में वे जो कुछ कर गुजरते हैं वह एक मिसाल है। आज़ादी के एक वर्ष से कुछ दिन पहले 10 अगस्त 1948 को परमाणु ऊर्जा आयोग की स्थापना कर होमी जहांगीर भाभा को पूर्ण अधिकार सम्पन्न अध्यक्ष का दायित्व सौंपा, अपने इस पहले कदम से परमाणु सम्पन्न सभी ताकतों और विश्व को यह संदेश देते हैं कि वे भारत को शक्तिशाली भारत बनाना चाहते हैं। 

Jawaharlal Nehru's vision for a just and equitable post-colonial world,  with India leading the way

उनके दूरगामी और नागरिकों के सम्पूर्ण विकास का विजन था दूसरे संस्थान की शुरुआत।  वह था  साहित्य अकादमी की स्थापना। यह 12 मार्च 1954 में स्थापित हुई। 1956 में दो संस्थान एम्स और राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय स्थापित किए गए। 1960 में  आई आई टी के दो संस्थान बने जिनमें एक मैनिट भोपाल में है। नवम्बर1961में आई आई एम कलकत्ता और दिसम्बर 1961में अहमदाबाद में खोले गए। अहमदाबाद आई आई एम की गुजरात और देश के विकास में भूमिका सर्वविदित है। याद आते हैं भिलाई, राउरकेला के इस्पात संयंत्र जो सोवियत रूस और पश्चिम जर्मनी के सहयोग से स्थापित कर उन्होंने औद्योगिक विकास के दरवाजे खोले। 1950 से 1965 तक देश के औद्योगिक विकास की दर 7% प्रतिवर्ष रही। भारत का नाम उन्होंने औद्योगिक देशों में शामिल कराया।


भूखे भारत की बड़ी तादाद को अन्न देने उन्होंने जमींदारी प्रथा का उन्मूलन किया ,कृषि विश्वविद्यालयों की स्थापना की। पंचवर्षीय योजनाओं के माध्यम से खाद्यान्न मामले में देश को सुदृढ़ किया। भाखरानंगल बांध बनाया। जिससे ना केवल पंजाब, हरियाणा, राजस्थान सिंचित हुआ, थार मरुस्थल के निवासियों को भी आगे चलकर  पेयजल मिला।  समुचित विद्यालय ,कालेज, विश्वविद्यालय खुले। चहुंमुखी विकास योजनाओ का शुभारंभ हुआ।
पूरी दुनिया उन्हें गुटनिरपेक्ष आंदोलन , समाजवादी रूझान और पंचशील सिद्धांतो के  लिए  याद करती है और याद करती है, भारत देश में लोकतांत्रिक व्यवस्था की स्थापना और उसके सुचारू संचालन के लिए। याद कीजिए जब नेहरू ने भारत संभाला था तो देश टुकड़ों-टुकड़ों में था कहीं राजा , तो कहीं नवाब और बड़े क्षेत्र में अंग्रेजों का आधिपत्य था ऐसे माहौल में लोकतांत्रिक गणराज्य की स्थापना पूरे मनोयोग से नेहरू और पटेल की जोड़ी ने कर विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र भारत में कायम किया। सन् 1952 में प्रथम आम चुनाव की बुनियाद रखी जिसमें महिलाओं को वोट का अधिकार देकर नया अध्याय शुरू किया तब अमेरिका में भी महिलाओं को यह अधिकार नहीं था।

 

 

1950 में देश को दुनिया का सर्वश्रेष्ठ संविधान दिया जो नागरिकों के अधिकारों की रक्षा करता है। मज़बूत लोकतंत्र के लिए उन्होंने खुद आगे बढ़कर प्रयास किए। उनकी अपार लोकप्रियता के कारण मीडिया उन पर कम ही टिप्पणी करता था। लेकिन नेहरू ही एकमात्र ऐसे प्रधानमंत्री हुए हैं जिन्होंने अपनी गलती का एहसास करने पर छद्म नाम से आलेख लिखकर विपक्ष को आगाह कराया। उन्होंने अटल जी को आगे लाकर सशक्त विपक्ष को मज़बूती प्रदान की। लोकतंत्र में मज़बूत विपक्ष की उनकी चाहत लोकतंत्र में उनकी ज़बरदस्त आस्था का प्रमाण है। यकीनन नेहरू ने अपनी वृद्धावस्था के 15वर्ष में देश को जो सुदृढ़  बुनियाद दी उस  पर आज सशक्त भारत खड़ा है। विश्व में सम्मानित है। नये भारत के निर्माता, भारत के लाल जवाहरलाल को शत् शत् नमन। जब तक देश रहेगा नेहरू का नाम यहां की फ़िज़ाओं में गूंजता रहेगा और आने वाले प्रधानमंत्रियों को कसौटी पर कसता रहेगा। भारत के सुनहरे इतिहास और यादों में तो साथ रहेगा ही नेहरू का नाम !

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( सुसंस्कृति परिहार वरिष्ठ लेखिका हैं। संप्रति मध्यप्रदेश के दमोह में रहकर स्वतंत्र लेखन।)

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