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अब झारखंड में स्थानीय निवासी ही बन पाएंगे शिक्षक!, शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो का बड़ा बयान, बिहार का दिया हवाला

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द फॉलोअप टीम, रांची
बिहार की तरह झारखंड में भी स्थानीय निवासी ही शिक्षक बन पाएंगे। शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो ने ये बड़ा बयान दिया है। जगरनाथ महतो ने नीतीश सरकार के फैसले का हवाला देते हुए ये बातें कही है। शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि जब बिहार में बिहारी ही शिक्षक बनेंगे तो फिर झारखंड में बाहरी क्यों ? यहां भी राज्य के निवासियों को ही शिक्षक बनना चाहिए। उन्होंने कहा कि झारखंड इकलौता राज्य है जहां दूसरे राज्यों के लोग आकर स्थानीय लोगों की हक मारी कर रहे हैं। उन्होंने पारा टीचरों के लिए भी जल्द नियमावली बनकर तैयार होने की बात कही। जगरनाथ महतो ने कहा कि राज्य की हेमंत सरकार स्थानीय लोगों के हक के लिए जो भी बन पड़ेगा करेगी। 

फिलहाल कैसे होती है बहाली ?
झारखंड में फिलहाल 50 फीसदी रिजर्व सीट को छोड़कर बाकी 50 फीसदी पर देश के किसी हिस्से के छात्र परीक्षा पास होने पर टीचर बन सकते हैं। ये सिर्फ शिक्षक नियुक्ति में ही नहीं, बाकी विभागों की बहाली में ही यही नियम लागू है। यही वजह है कि फिलहाल झारखंड में ज्यादातर पड़ोसी राज्य बिहार के लोग शिक्षक पदों पर हैं।
 
कहां फंस सकता है पेंच ?
शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो बेशक झारखंड में झारखंडी को ही शिक्षक बनाने की बात कह रहे हों, लेकिन इसमें कई पेंच भी है। पेंच ये है कि राज्य में रघुवर सरकार ने जो स्थानीय नीति परिभाषित की है, उसे हेमंत सरकार मानने को तैयार नहीं है। हेमंत सरकार ने दो टूक कहा है कि रघुवर सरकार की स्थानीय नीति में कई खामी है, जिसे बदला जाएगा और 1932 के खतियान के आधार पर नई स्थानीय नीति तय की जाएगी। जबतक ये तय नहीं होता है, तबतक स्थानीय लोगों को नियुक्त नहीं किया जा सकता है। छात्र नेता मनोज कुमार ने भी इसे महज एक शिगूफा करार दिया है। उन्होंने कहा कि जो सरकार पारा शिक्षकों के लिए पिछले 7 महीने से नई नियमावली ही बना रही है, वो स्थानीय लोगों को टीचर की नौकरी में कैसे बहाल कर पाएगी, जबकि इसमें कई तकनीकी पहलू हैं। उन्होंने कहा कि पहले राज्य सरकार को स्थानीय नीति परिभाषित करना होगा। तभी इस तरह की बातें करनी चाहिए। छात्र नेता मनोज कुमार ने कहा कि ऐसा बयान सिर्फ और सिर्फ राजनीति के तहत दिया जा रहा है। हकीकत से इसका कोई वास्ता नहीं है। 

जल्द नियुक्ति प्रक्रिया शुरू होने की उम्मीद
खबर है कि झारखंड राज्य के प्राइमरी से लेकर प्लस टू स्कूलों में शिक्षकों की नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू होगी। स्कूली शिक्षा और साक्षरता विभाग ने इसकी तैयारी शुरू कर दी है। दिसंबर 2020 तक सेवानिवृत्त होने वाले  हाई और प्लस टू  स्कूल के शिक्षकों की लिस्ट जिलों से मांगी गई है। इसके आधार पर रिक्तियां तय की जाएंगी, जिस पर नियुक्ति प्रक्रिया शुरू हो सकेगी। स्कूली शिक्षा और साक्षरता विभाग के माध्यमिक शिक्षा निदेशक जटाशंकर चौधरी ने सभी जिला शिक्षा पदाधिकारियों से  दिसंबर 2020 तक रिटायर होने वाले शिक्षकों की सूची तलब की है। उन्होंने शिक्षकों के नाम, पदनाम, स्कूल के नाम और उनकी सेवानिवृत्ति की तिथि देने को कहा है। हाई और प्लस टू स्कूलों में करीब 10 हजार और प्राइमरी व मिडिल स्कूलों में करीब 22 हजार शिक्षकों के पद रिक्त हैं। प्राथमिक से मध्य विद्यालय में अपग्रेड हुए स्कूलों में शिक्षकों के पद सृजन (पोस्ट क्रिएट) होने पर करीब 27 हजार शिक्षकों की आवश्यकता और पड़ेगी।

नई नियमावली से होगी नियुक्ति प्रक्रिया
राज्य में शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया नई नियमावली से होगी। प्रारंभिक स्कूलों में शिक्षकों की नियुक्ति टेट में आए नंबर और सर्टिफिकेट के नंबर के आधार पर सीधे होती थी, लेकिन अब नियुक्ति प्रक्रिया झारखंड कर्मचारी चयन आयोग को देने की तैयारी है। इसके लिए नियमावली भी बन रही है। इसमें उन्हें परीक्षा से गुजरना होगा जिसके बाद नियुक्ति हो सकेगी। टेट पास अभ्यर्थियों को पहले क्षेत्रीय भाषा में पास करना होगा तभी वे क्वालीफाई कर सकेंगे।

प्राइमरी से लेकर प्लस टू स्कूलों में शिक्षकों की कमी
राज्य में प्राइमरी से लेकर प्लस टू स्कूलों में शिक्षकों की कमी है। इन स्कूलों में 2015-16 में नियुक्ति प्रक्रिया शुरू की गई थी, लेकिन सभी खाली पदों पर नियुक्ति नहीं हो सकी थी। 2015-16 की नियुक्ति प्रक्रिया में प्रारंभिक स्कूलों में 28 हजार पदों पर नियुक्ति प्रक्रिया शुरू हुई थी। इसमें प्राथमिक स्कूलों में 12,486 शिक्षकों की और मिडिल स्कूलों में 3212 शिक्षकों की नियुक्ति हुई थी। करीब साढे 12 हजार  पद रिक्त रह गए थे। वहीं, प्लस टू स्कूलों में 2018 में 2800 पदों में से करीब 14 सौ पर ही बहाली हो सकी। इसके अलावा हाई स्कूलों में साढे 17 हजार शिक्षकों की नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू हुई थी जिसमें से अब तक करीब नौ हजार शिक्षक नियुक्त हो सके हैं। कई विषयों में अभी भी शिक्षकों की नियुक्ति नहीं हुई है। 

2016 के बाद नहीं हुआ टेट
झारखंड में 2012 और 2016 के बाद शिक्षक पात्रता परीक्षा नहीं हुई है। 2016 में पास करीब 50 हजार अभ्यर्थी अभी भी नियुक्ति के इंतजार में है। उन्हें राज्य के किसी भी नियुक्ति प्रक्रिया में भाग लेने का मौका नहीं मिला है। झारखंड एकेडमिक काउंसिल 2020 में टेट के आयोजन की तैयारी कर रहा है। मैट्रिक और इंटरमीडिएट के रिजल्ट आने के बाद इसकी प्रक्रिया शुरू की जाएगी। शिक्षा विभाग 2016 टेट के अभ्यर्थियों के आधार पर या फिर 2020 में होने वाले टेट के परिणाम के आधार पर नियुक्ति प्रक्रिया शुरू कर सकता है। विभाग इस पर मंथन कर रहा है। 

बिहार में भी बिहारी ही बन पाएंगे शिक्षक
इसी 23 अगस्त को नीतीश सरकार ने शिक्षक भर्ती को लेकर बड़ा एलान किया था। एलान के मुताबिक, केवल बिहार के निवासी ही राज्य पंचायत प्राथमिक विद्यालय शिक्षक भर्ती के लिए आवेदन कर सकते हैं। इन स्कूलों में अब दूसरे राज्यों के रहने वाले लोग शिक्षक के तौर पर आवेदन नहीं कर सकेंगे।नीतीश सरकार के इस फैसले के बाद राज्य के करीब 72 हजार सरकारी प्रारंभिक विद्यालयों में शिक्षक पद पर सिर्फ और सिर्फ राज्य के निवासी ही नियुक्त हो सकेंगे। इन प्रारंभिक स्कूलों में दूसरे राज्यों के शिक्षक अभ्यर्थियों के लिए नियुक्ति का रास्ता बंद हो गया है। विभाग की ओर से अधिसूचित बिहार राज्य नगर प्रारंभिक विद्यालय सेवा तथा बिहार राज्य पंचायत प्रारंभिक विद्यालय सेवा (नियुक्ति, प्रोन्नति, स्थानांतरण, अनुशासनिक कार्रवाई एवं सेवाशर्त) नियमावली, 2020 में इसका स्पष्ट प्रावधान कर दिया गया है कि बिहार में इन दोनों नियोजन नियमावलियों के तहत नियुक्ति में बिहार के निवासी ही आवेदन कर सकेंगे।

 माध्यमिक और उच्च माध्यमिक शिक्षकों के नियोजन में यह नियम पहले से लागू
साल 2006 से राज्य में लागू माध्यमिक एवं उच्च माध्यमिक शिक्षकों के नियोजन में यह व्यवस्था लागू है। इसके तहत हाईस्कूलों और प्लस-टू में केवल राज्य के निवासी की ही नियुक्ति हो रही है। शुरुआत में प्रारंभिक शिक्षकों के नियोजन नियमावली में भी यही प्रावधान किया गया था, लेकिन वर्ष 2012 से लागू नियोजन नियमावली में इसका स्पष्ट उल्लेख नहीं होने से दूसरे राज्यों के भी कुछ शिक्षक नियुक्त हो गए हैं