द फॉलोअप टीम, रांची:
आये दिन हम सुनते हैं कि मनरेगा मजदूरों की चाल धंसने से मौत हो गयी। कभी कूप निर्माण के समय मिटटी में दबने से मौत हो गयी। और भी ऐसी कई कारण हैंं, जिससे मनरेगा मजदूरों की जान असमय ही चली जाती है। जिसके बाद उनका परिवार बेसहारा हो जाता है। ऐसे में सरकार ने मृतक के परिजनों को मुआवजा देने की घोषणा की है। मनरेगा मजदूरों की दुर्घटना में या अप्राकृतिक मौत होने पर उनके आश्रितों को 75 हजार देने का प्रावधान किया गया है। वहीँ आंशिक रूप से विकलांग मजदूर को 37,500 रुपये व सामान्य मृत्यु पर 30,000 रुपये का मुआवजा मिलेगा। मनरेगा योजना अंतर्गत निर्मित डोभा में डूब कर मरने पर आश्रितों को अनुग्रह अनुदान के रूप में 50,000 रुपये का मुआवजा मिलेगा।
डीडीसी से मांगी गयी सूची
सचिव ने डीडीसी को विभाग को सूची देने का निर्देश दिया है। सूची में ऐसे मृत मजदूरों के साथ ही दुर्घटना से पीड़ित श्रमिकों का नाम भी होना चाहिए। साथ ही कहा गया है कि ऐसी घटना होने पर 24 घंटे में आश्रितों या पीड़ितों को राशि उपलब्ध करायी जाये। 65 वर्ष तक के जिन मजदूरों ने किसी वित्तीय वर्ष में कम से कम 15 दिनों तक भी मनरेगा के तहत काम किया है, उन्हें उस वित्तीय वर्ष तथा उसके अगले वित्तीय वर्ष में इस योजना का लाभ मिलेगा।
किसे मिल सकता है
-दुर्घटना में मृत्यु अप्राकृतिक मृत्यु (हत्या सहित), अथवा स्थायी रूप से विकलांग होने या अंग भंग हो जाने पर 75,000 रुपये का भुगतान
-आंशिक विकलांग होने पर 37,500 रुपये
-सामान्य मृत्यु होने पर 30,000 रुपये