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नियुक्तियों को उद्योग बना रही सरकार, पुरानी नियुक्ति को उलझाने की मंशा से नियमावली में किया संशोधन 

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द फॉलोअप टीम, रांची:
 राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने आज प्रदेश कार्यालय में प्रेसवार्ता को संबोधित किया, जहां उन्होंने वर्तमान सरकार पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने कहा, झूठे वादों के दम पर झामुमो-कांग्रेस ने सरकार बनाई। युवाओं को बड़े-बड़े सपने दिखाए। एक वर्ष में 5 लाख नौकरियां देंगे और खतियान के आधार पर स्थानीय नीति परिभाषित करेंग, लेकिन दोनों में से सरकार ने कुछ नहीं किया। संपूर्ण झारखंडवासियों को ठगने का काम किया गया है। ऐसी नीति बनाई गयी है कि किसी भी राज्य से 10वीं या 12वीं पास कर नौकरी ले लो। ऐसे असंवैधानिक नीति बनाई, जिसमें हर भाषा होगी, लेकिन हिंदी नहीं रहेगी। ताकि नीति कानूनी उलझन में फंसी रहे और नियुक्तियां न हो सके। नियुक्ति हो भी तो नियुक्ति के व्यापार का रास्ता खुल सके।

 

हिंदी की उपेक्षा बर्दाश्त नहीं की जाएगी 
 
उन्होंने कहा कि जिस प्रकार झारखंड में ट्रांसफर-पोस्टिंग एक उद्योग बन गया है, उसी तरह नियुक्तियों को भी सरकार उद्योग बनाना चाह रही है। कहा कि राज्य सरकार की नयी नियुक्ति नियमावली यहां के जातिगत और भाषागत संरचना को नुकसान पहुंचाने की एक बड़ी साजिश रही है। बांग्ला और उड़िया भाषा का हम स्वागत करते हैं, लेकिन हिंदी की उपेक्षा नहीं बर्दाश्त की जाएगी। झारखंड के अधिकांश छात्र जनजातीय भाषा की बजाय हिन्दी भाषा में पढ़ते हैं। वर्तमान सरकार ने जानबुझकर हिन्दी को ही परीक्षा प्रक्रिया से बाहर कर दिया ताकि यहां के छात्रों को नुकसान हो। वर्तमान सरकार राज्य की सामाजिक समरसता को बर्बाद करने पर तुली हुई है। नयी नियुक्ति नियामवली से राज्य के आदिवासियों व मूलवासियों को कोई फायदा नहीं होगा बल्कि नयी नियुक्तियां लटक जायेंगी।

पुरानी नियुक्ति को उलझा रही सरकार 

उन्होंने कहा कि "भाजपा सरकार ने जेपीएससी और एसएससी की परीक्षा में स्थानीय भाषाओं को शामिल किया था। संथाली, मुंडा, हो, खड़िया, कुड़ुख, कुरमाली, खोरठा, नागपुरी, पंचपरगनिया व अन्य भाषाओं को शामिल किया गया था। वर्तमान सरकार ने विगत डेढ़ साल में नियुक्ति तो नहीं ही की आगे कि नियुक्तियों को भी उलझाने की मंशा से नियुक्ति नियामवली में संशोधन करने का काम किया है। वर्तमान सरकार ने छठीं जेपीएससी के माध्यम से गलत नियुक्ति करने का काम किया है। साथ ही हाईकोई के आदेश का पालन भी नहीं कर रही है जिसमें दोषी पदाधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जानी थी।"