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आखिर पाकिस्‍तान को लेकर चीन का क्‍यों उमड़ता है इतना प्‍यार

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बेनियाम तज्‍जिआ 

उइगर मुसलमानों के साथ चीन की प्रताड़ना जग-जाहिर है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक चीन ने उइगर मुसलमानों पर कई अन्य तरह की बंदिशें लगाई हैं। लेकिन क्‍या कभी आपने सुना कि पाकिस्‍तान में इसके खिलाफ विरोध के स्‍वर उठे हों। आजतक पाकिस्‍तान इस मामले में चीन को क्‍लिन चीट ही देता आया है। उधर, चीन ने भी अपने खजाने पाकिस्‍तान के लिए खोल दिए हैं। आखिर पाकिस्‍तान को लेकर चीन का प्‍यार इतना क्‍यों उमड़ता है। पाकिस्तान को अपने ही देश का एक हिस्सा समझ कर पाकिस्तान की रक्षा करने में भी चीन पीछे नहीं दिखता है। लाल लकीर वाले समुद्री रास्ते से ( मतलब साउथ चायना सी से ) चीन अपना व्यापारी माल दुनियाभर मे बेचता है। उसे अरब सागर से भी होकर गुजरना पडता है। अमेरिका ने भारत, जापान, आस्ट्रेलिया समेत साउथ चायना समुद्र के करीब के देशों का एक संगठन बनाया है, जिसे न्युज़ चैनल वाले क्वाड कहते हैंं। आने वाले दिनो मे क्वाड देश मिलकर साउथ चायना सी मतलब समुद्र से चीन के जहाजों का रास्ता बंद कर देंगे। चीन के बेहद सस्ते  A और B ग्रेड के माल से दुनियाभर की मार्केट भरी पडी है। युरो, पेट्रो और डाँलर वाले देशों को चीन का माल मिट्टी के भाव मे मिलता है। बेहद सस्ते लागत के उत्पादन और बिक्री की वजह से चीन दुनिया की आर्थिक महासत्ता बन गया है।

चीन को दुनिया भर में बेचना है अपना माल

अब आर्थिक महासत्ता बन चुके चीन को रोकने और गरीब करने का एक ही उपाय है कि चीन के व्यापारी जहाजों का  रास्ता साउथ चायना समुद्र में रोक देना। निकट भविष्य मे जरूर ऐसा होगा। इसलिए चीन में पाकिस्तान साइड वाले कश्मीर से लेकर पाकिस्तान से गुजरते हुए पाकिस्तान के गवादर पोर्ट तक फास्ट ट्रैक हाइवे बनाया है। साउथ चायना समुद्र की बजाय चीन अपने सिनजियांग इलाके से पाकिस्तान मे शाॅर्टकट में प्रवेश कर के बाय रोड गवादर पोर्ट तक अपना माल समुद्र तट तक पहुंचा कर फिर जहाजों पर लोड करेगा। न्युज़ चैनल वाले इस रोड का CPEC (चायना पाकिस्तान इकाॅनाॅमिक काॅरिडोर) के रूप में उल्लेख करते हैं। चीन के लिये ये रोड सिर्फ शाॅर्टकट में गवादर पोर्ट तक पहुंचने का रास्ता ही नहीं है बल्कि चीन को बाय रोड ईरान, इराक, अफगानिस्तान, तुर्की, युरोप, रूस समेत आगे कई देशों से जोडता है। इस शाॅर्टकट रोड और रूट से चीन का सस्ता माल और भी ज्यादा सस्ता हो जाएगा।

तो इसलिए 20 साल बाद अमेरिका को आई समझ

रूस के पास जो समुद्री रूट है, उसमें बर्फ जम जाती है। इसलिये रूस अफगानिस्तान से होते हुए गवादर तक अपना माल पहुंचा कर फिर यहीं से जहाजों पर अपना माल लोड कर दुनियाभर मे भेजेगा। रूस से टूटे हुए वो देश जिनके पास समुद्री सीमा नहीं है, उन देशों को समुद्र तक पहुंचने मे ये रोड एक उपहार है। इस रोड की वजह से चीन और रूस के सीने पर अमेरिका ( अफगानिस्तान में ) बहाने बना कर पिछले 20 साल से बैठा हुआ था। मगर व्यापारी ट्रंप ने आर्थिक नफे-नुकसान का हिसाब करते हुए " सुपर पावर ग्रेवयार्ड " से निकलना फायदे का सौदा समझा। वाखान काॅरिडोर जिस रास्ते से चीन अपना रेशम अरब, तुर्की और युरोप के बाजार तक पुराने जमाने में ले जाता था। ये सिल्क रूट भी अफगान तालिबान के कब्जे में आने की वजह से चीन के लिये खुल गया है।

भारत का महज इस्‍तेमाल कर रहा अमेरिका

सी पैक रोड और सिल्क रूट की वजह से बाईडेन किसी ना किसी तरीके से अफगानिस्तान में जमे रहना चाहते हैंं। फिर चाहे प्राॅक्सी के रूप मे क्यों न हो। अमेरिका अफगानिस्तान में अपना अस्तित्व बनाए रखना चाहता है। इसलिये रूस और चीन अफगानिस्तान की भी अपनी जमीन की तरह रक्षा कर रहे हैंं। अफगानिस्तान और पाकिस्तान अब भौगोलिक रूप से अमेरिका , चायना और रूस के लिये बेहद महत्वपूर्ण है। अमेरिका भारत को सिर्फ इस्तेमाल कर रहा है। मगर उसने भारत चीन बाॅर्डर पर भारत की एक टका भी मदद नहीं की है। न्युज़ चैनल कहते हैं कि चीन भारतीय सीमा से वापस चला गया है। क्वाड में लेने के बाद अमेरिका अब भारत को अफगान तालिबान के साथ भिडा रहा है। अमेरिका वही है जो विश्व की सेनाओं को लेकर 20 साल अफगानिस्तान में बैठा रहा मगर तालिबान का कुछ भी बिगाड नहीं पाया और अब भारत की आहुति देने जा रहा है।

(लेखक एशिया मामले के जानकार हैं।  संप्रति स्‍वतंत्र लेखन।)

नोट: यह लेखक के निजी विचार हैं। द फॉलोअप का सहमत होना जरूरी नहीं। हम असहमति के साहस और सहमति के विवेक का भी सम्मान करते हैं।