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गलवान घाटी में उस दिन हुआ क्या था! बीते 1 साल में भारत और चीन के बीच क्या बदला

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द फॉलोअप टीम, डेस्क: 

15 जून 2020 की तारीख शायद ही कोई भुला सकता है। इस दिन भारत और चीन की सीमा पर कई हजार फीट ऊंची बर्फीली चोटियों पर भारतीय सेना के 20 जवानों ने देश की रक्षा में अपने प्राणों का बलिदान कर दिया। आज 15 जून 2021 है। गलवान घाटी की हिंसक झड़प की पहली बरसी। बीते 1 साल में क्या बदला। भारत और चीन के बीच कितना तनाव है। भारत और चीन की सेना क्या कर रही है। 



दशकों से रहा है भारत-चीन का सीमा विवाद
भारत और चीन के बीच वैसे तो दशकों से तनाव रहा है। लद्दाख से लेकर अरूणाचंल प्रदेश तक, गलवान घाटी, पैंगोंग त्सो झील, डोकलाम, उत्तरी सिक्किम, अक्साई चीन और तिब्बत को लेकर वर्षों से विवाद है। गाहे-बगाहे पेट्रोलिंग के दौरान भारत और चीन के सैनिकों के बीच झड़प होती आई है। साल 1962 के युद्ध के पश्चात 1976-77 में एक बार दोनों देशों के बीच गोलीबारी की घटना हुई थी। इसके बाद वहां धक्का-मुक्की के अलावा कोई बड़ी हिंसक गतिविधि नहीं हुई थी। 



10 मई 2020 से शुरू हुई थी प्रत्यक्ष झ़ड़प की शुरुआत
बीते साल मई महीने से तनाव बढ़ने लगा। 10 मई 2020 को भारत और चीन में वास्तविक नियंत्रण रेखा के कई प्वॉइंट्स और पेट्रोलिंग क्षेत्राधिकार को लेकर विवाद की शुरुआत हो गयी। मीडिया रिपोर्ट्स में ये बात सामने आई कि उत्तरी सिक्किम के कुछ प्वॉइंट्स पर भारत और चीन के सैनिकों के बीच धक्का मुक्की हुई है। इसके बाद उत्तरी लद्दाख में स्थित पैंगोंग त्सो झील सहित कई अन्य इलाकों से भारत और चीन के सैनिकों के बीच विवाद और झड़प की खबरें छन-छनकर आती रही। कई मीडिया रिपोर्ट्स में ये दावा किया गया कि चीनी सैनिकों ने वास्तविक नियंत्रण रेखा पार कर भारतीय सीमा में काफी अंदर तक घुसपैठ कर ली है जिसे भारतीय सेना ने महज अफवाह बताया। इस बीच 6 जून 2020 को भारत और चीन के कूटनयिकों और मिलिट्री कमांडरों की मौजदूगी में बैठक हुई। इस बैठक ने तनाव की बात पर मुहर लगा दी। 

दोनों देशों के बीच 11 दौर की वार्ता हो चुकी है
बैठक के बाद भारत और चीनी पक्ष ने अपना-अपना बयान जारी किया। भारतीय पक्ष ने कहा कि दोनों देशों के बीच इस बात पर सहमति बनी है कि मामले का समाधान शांतिपूर्ण वार्ता के जरिए निकाल लिया जायेगा। चीनी पक्ष ने भी कहा कि सभी मुद्दों को बातचीत और सलाह मशविरा के जरिये सुलझा लिया जायेगा। हालांकि, शांति नहीं आई। अलग-अलग प्वॉइंट्स पर भारत और चीन के बीच विवाद जारी रहा। छिटपुट झड़प की खबर सामने आती रही। इस बीच ऐसी खबर आई जिसमें पूरे भारत को आक्रोश, दुख और गर्व के मिश्रित भाव से भर दिया। क्या थी ये खबर। 



16 जून 2020 को आई थी वो मनहूसियत की खबर
तारीख थी 16 जून 2020। खबर आई की 15 जून की देर रात वास्तविक नियंत्रण रेखा पर गलवान घाटी में भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच हिंसक झड़प हो गई। झड़प में भारतीय सेना के 20 जवान शहीद हो गये। दो दर्जन से भी ज्यादा जवान गंभीर रूप से घायल थे जिनको लद्दाख और जम्मू के मिलिट्री हॉस्पिटल में भर्ती करवाया गया। सेना प्रमुख मनोज मुकुंद नरवणे वहां पहुंचे और घायल जवानों से मुलाकात की। इधर दूसरी ओर पूरे देश में चीन के खिलाफ जबर्दस्त नाराजगी थी। चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के पुतले जलाए जा रहे थे। चीन प्रोडक्ट के बहिष्कार के लिए कैंपेन चलाया जा रहा था। विपक्ष सरकार को कोस रहा था। पूरा माहौल आक्रोश से भरा था। 

चीनी विदेश मंत्रालय ने लगाया भारत पर आरोप
चीनी विदेश मंत्रालय ने 17 जून को अपने बयान में कहा कि भारतीय सैनिकों ने अपनी अवैध गतिविधियों को अंजाम देने के उद्देश्य से वास्तिव नियंत्रण रेखा को पार किया और चीनी सैनिकों पर हमला किया। इस वजह से हिंसक झड़प हो गयी। भारत की सरकारी समाचार सेवा प्रसार भारती न्यूज ने कहा कि चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के 45 से भी ज्यादा जवान मारे गये हैं। इस बीच खबर आई की हालात सामान्य करने के उद्देश्य से मेजर जनरल स्तर की वार्ता च रही है। भारत का कोई भी सैनिक लापता नहीं है। वहीं भारतीय पक्ष ने कहा कि चीनी सैनिकों ने जबरन गलवान घाटी के पास घुसपैठ किया था। अवैध तरीके से वहां टेंट बना लिया था। 

उस दिन गलवान घाटी में आखिर हुआ क्या था
जब भारतीय सैनिकों ने उनको यथास्थिति पर जाने को कहा तो वे उग्र हो गये और भारतीय सैनिकों पर हमला बोल दिया। भारतीय सेना ने भी इसका जवाब दिया जिसमें भारतीय सेना के 20 और चीनी सेना के 45 से भी ज्यादा सैनिक मारे गये।  सैटेलाइट से ली गयी तस्वीरों में दिखा कि चीन ने गलवान वैली में घुसपैठ की थी। गलवान घाटी में चीनी सैनिको ने पेट्रोल प्वॉइंट 14 तक मिलिट्री बेस या अस्थायी ठिकाना बना लिया था। चीनी सैनिक वहां पोजिशन कलकर आये थे। हिंसक झड़प के बाद चीनी सैनिक वहां से पीछे हट गये इसके बाद अक्साई चीन के नए ठिकानों पर अपना दायरा फैलाना शुरू कर दिया।  3 जुलाई को पीएम मोदी भारतीय सैनिकों से मिलने लद्दाख पहुंचे। 



22 सितंबर को शांति और समझौते पर सहमति बनी
31 अगस्त को भारतीय सैनिकों ने एक बार फिर से पैंगोंग त्सो झील के दक्षिणी किनारे पर रेकिन पर्वत के पास वास्तविक नियंत्रण रेखा पार की। पांच सितंबर 2020 को मास्को में दोनों देशों के रक्षा और विदेश मंत्रियों की बैठक हुई। अमेरिका के तात्कालीन राष्ट्रपति ने कहा कि हम चीन और भारत के बीच मध्यस्था करने को तैयार हैं। हालांकि भारत और चीन ने कहा कि हम आपसी वार्ता के जरिए सीमा विवाद को सुलझा पाने में सक्षम हैं। किसी भी थर्ड पार्टी की मध्यस्था की दरकार नहीं। 22 सिंतबर 2020 को दोनों सेनाओं ने साझा बयान जारी किया और इस बात पर सहमति व्यक्त की कि विवादित इलाकों में सैनिकों का जुटान नहीं किया जायेगा। 

10 फरवरी 2021 से पीछे हटने लगे दोनों देशों के सैनिक
गलवान हिंसा के दस महीनों बाद यानी 10 फरवरी 2021 को लद्दाख की पैंगोंग झील के इलाकों से दोनों देशों के सैनिकों ने वहां से पीछे हटना शुरू किया था। रूस की सरकारी न्यूज एजेंसी तास ने अपनी पिरोप्ट् में कहा कि मई और जून 2020 में हुई झड़पों में चीन के 45 सैनिकों की जान गयी। अब तक दोनों देशों के बीच सैन्य अधिकारी स्तर की 11 दौर की बातचीत हो चुकी है। इन बातचीत का कोई ठोस नतीजा नहीं निकला। तनाव बरकरार रहा हालांकि झड़प की घटना नहीं हुई। पर सवाल यही है कि इस विवाद की वजह क्या है। चीन क्यों बौखलाया हुआ है। 



भारत के किस कदम से बौखलाया है ड्रैगन
दरअसल बीते कुछ वर्षों में भारत ने अपनी पूर्वी और उत्तरी-पूर्वी सीमा पर आधारभूत असैन्य और सैन्य ढांचा की मजबूती की दिशा में काफी काम किया है। हाईवे बनाए गए हैं। हैलिपेड बने हैं। दुर्गम इलाकों में पहुंच के लिए विशाल पुल बनाये गये हैं। अटल रोहतांग दर्रा पर बना पुल इसका सर्वोत्तम उदाहरण है। आधारभूत संरचना के विकास से दिल्ली की पहुंच पूर्वी सीमा के उन इलाकों तक हो गई जहां पहुंचना अब तक मुश्किल था। यही वजह है कि चीन बौखला गया। 



उसकी बौखलाहट की दूसरी वजह ये भी है कि दक्षिण पूर्व एशिया में चीन के प्रभाव को कम करने के लिए भारत, ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका और जापान ने मिलकर रणनीतिक साझेदारी की है जिसका नाम क्वाड है। क्वाड समूह को चीन शक की निगाह से देखता है। चीन कहता है कि क्वाड के जरिए चीन के खिलाफ सामरिक साजिश रची जा रही है वहीं क्वाड समूह के देशों का कहना है कि इससे वे समुद्री सीमा पर संरचनात्मक, व्यापारिक और सैन्य साझेदारी बनाने की दिशा में काम कर रहे हैं। क्वाड समूह की स्थापना दरअसल, जापान के पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे की कल्पना थी। बीते वर्ष अक्टूबर माह में क्वाड समूह ने संयुक्त सैन्याभ्यास भी किया था। 



भारत ने चीन के 267 मोबाइल एप पर लगाया बैन
बीते वर्ष भारत और चीन के बीच जारी विवाद के बीच भारत ने चीन को आर्थिक झटका देने के उद्देश्य से उसके कई मोबाइल एप पर बैन लगाया था। इसमें टिकटॉक, शेयरइट, जिल्ली और पबजी सहित कई अन्य चीनी मोबाइल एप्स थे। भारत ने 24 नवंबर 2020 को ये कार्रवाई की थी। भारत ने चीन के 267 मोबाइल एप्स पर बैन लगाया था। इसे भारत में चीन पर डिजिटल स्ट्राइक कहा गया। 

इस वक्त भी भारत-चीन में जारी है सीमा विवाद
इस समय भी सीमा पर तनाव है। बीते कुछ समय से कई वीडियोज आये हैं जिसमें भारत और चीन के सैनिकों को पेट्रोलिंग क्षेत्राधिकार को लेकर बहस करते देखा जा सकता है। पैंगोंग झील में भारत और चीन के सैनिक लगातार पेट्रोलिंग करते हैं। गलवान, डोकलाम, उत्तरी सिक्किम, अक्साई चीन सहित कई अन्य इलाके हैं जहां लगातार दोनों देशों के बीच सीमा विवाद की स्थिति बनी है। क्या इसका सैन्य समाधान है। क्या दोनों देश इस वक्त युद्ध जैसी स्थिति के लिए तैयार हैं। क्या बातचीत समाधान का तरीका है। इन तमाम सवालों का जवाब खोजा जाना बाकी है।