logo

कोडरमा: बंद पड़ा है राजकीय पॉलिटेक्निक का ड्रिलिंग टेक्नोलॉजी विभाग, अधर में लटका सैकड़ों छात्रों का भविष्य

10198news.jpg
द फॉलोअप टीम, कोडरमा: 

कोडरमा स्थित राजकीय पॉलिटेक्निक (ड्रिलिंग टेक्नोलॉजी) के छात्रों का भविष्य अंधकारमय हो गया है। छात्र दूसरे राज्यों में साढ़े सात हजार रुपये की मामूली सैलरी में बंधुआ मजदूरों की तरह काम करने को विवश हैं। ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि बीते वर्ष इस महाविद्यालय में ड्रिलिंग टेक्नोलॉजी की पढ़ाई बंद कर दी गई थी। कई बार सरकार से मांग की जा चुकी है लेकिन कोई सहायता नहीं मिली। 

ड्रिलिंग टेक्नोलॉजी के छात्रों की नियुक्ति नहीं
बताया गया कि केंद्रीय भूमि जलबोर्ड द्वारा प्रशिक्षण हासिल करने के बाद भी ड्रिलिंग टेक्नोलॉजी के विद्यार्थियों के लिए नियुक्तियां नहीं निकाली गई। ऐसा हाल में हुआ है ऐसा बी नहीं है। बीते 20 वर्षों से इन पदों पर कोई नियुक्ति नहीं निकाली गई। आरोप है कि ड्रिलिंग संबंधित विभागों जैसे कि पेयजल एवं स्वच्छता विभाग, झारखंड स्टेट मिनरल्स डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन लिमिटेड और डिपार्टमेंट ऑफ माइंस एंड जियोलॉजी में ड्रिलिंग टेक्नोलॉजी के छात्रों की बजाय असैनिक कनीय अभियंता और मैकेनिकल के छात्रों को भर्ती कर लिया जाता है। इसकी वजह से मौजूदा समय में तकरीबन 1200 विद्यार्थियों का भविष्य अधर में लटक गया है। इनकी नियुक्ति नहीं हुई। 

आमरण अनशन की चेतावनी दी है छात्रों ने 
विद्यार्थियों का कहना है कि झारखंड में प्रचुर मात्रा में खनिज संपदा है। ड्रिलिंग से संबंधित कई विभाग हैं। बावजूद इसके छात्रों की नियुक्तियां नहीं की जाती। ऐसी परिस्थिति में छात्र राजस्थान की साउथ वेस्ट पिनेकल जैसी कंपनियों में काम करते हैं। वहां उनको साढ़े सात हजार रुपये की मामूली सैलरी दी जाती है। उनका कहना है कि बेरोजगारी औऱ कम सैलरी पर काम करने की विवशता की वजह से उनके परिवारों की आर्थिक दशा दयनीय हो चुकी है। इनका कहना है कि यदि 1 माह के भीतर उनकी समस्या का समाधान नहीं किया गया तो वे आमरण अनशन करेंगे।