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सिद्धो-कान्हू ने ब्रिटिश सत्ता के खिलाफ की थी क्रांति, अब BJP शासन के खिलाफ होगा हूल-उलगुलान- सुप्रियो भट्टाचार्य

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द फॉलोअप टीम, रांची: 


झारखंड मुक्ति मोर्चा के राष्ट्रीय महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य ने बुधवार हूल दिवस के मौके पर केंद्र की बीजेपी सरकार पर जमकर निशाना साधा। केंद्र सरकार पर झारखंड के साथ भेदभाव करने का आरोप लगाया। सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि हूल क्रांति के नायक सिद्धो, कान्हू, चांद, भैरव और फूलो-झानो ने ब्रिटिश सत्ता के खिलाफ जल, जंगल, मीन, स्वाधीनता और स्वाभिमान के लिए संघर्ष किया था। तब लोगों ने ब्रिटिश सत्ता का अत्याचार देखा था और अब केंद्र की बीजेपी सरकार का अत्याचार देख रहे हैं। कहा कि आज के नए हुक्मरान झारखंड के साथ जिस तरीके का व्यवहार कर रहे हैं, उसके खिलाफ भी एक हूल या उलगुलान जारी है। 

केंद्र सरकार का कोविड मैनेजमेंट फेल रहा
सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि वैश्विक कोरोना महामारी में केंद्र का मैनेजमेंट पूरी तरह से फेल रहा। बीते 2 वर्षों से जीविका औऱ जिंदगी के लिए संघर्ष कर रहे लोगों का संकट और भी ज्यादा गहरा गया। उन्होंने कहा कि कोरोना से रोकथाम के चार स्तंभ है। सामाजिक और दैहिक दूरी, मास्क का प्रयोग, नियमित रूप से हाथ धूलना और वैक्सीनेशन। उन्होंने कहा कि केंद्र ने कहा था कि हिंदुस्तान में सबसे बड़ा वैक्सीनेशन अभियान चलेगा। चार अलग-अलग चरणों की घोषणा की गई। पर हालात सबके सामने हैं। सुप्रियो भट्टाचार्य ने केंद्र सरकार पर लोगों की आंखों में धूल झोंकने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि वर्तमान वित्तीय वर्ष में बजट में वैक्सीनेशन को लेकर क्या प्रावधान किया गया है ये बात सबसे छुपाई गई। राज्यों को वैक्सीन की खरीद के लिए विवश किया गया। आखिरकार राज्यों के लंबे संघर्ष और सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद पीएम ने फ्री वैक्सीनेशन अभियान की घोषणा की। 21 जून को बकायदा टीका उत्सव मनाया गया। 

टीकाकरण की रफ्तार धीमी कैसे हो गई है! 
सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि पहले दिन पूरे देश में तकरीबन 86 लाख लोगों को टीका लगाया गया। उम्मीद जाहिर की जा रही थी कि साल के अंत तक देश के 18 साल से अधिक आयु के सभी नागरिकों का टीकाकऱण हो जायेगा लेकिन हालात ये हैं कि फ्री वैक्सीनेशन अभियान की शुरुआत के महज 1 सप्ताह बाद ही देश वैक्सीन विहीन हो गया है। सुप्रियो भट्टाचार्य ने आरोप लगाया कि झारखंड को बार-बार ठगा गया है। ना केवल पैसों से बल्कि वैक्सीनेशन के मामले में भी ठगा गया है। उन्होंने कहा कि हमें 90 लाख डोज चाहिए। प्रतिदिन वैक्सीनेशन के लिए तकरीबन 3 लाख डोज चाहिए लेकिन 89 हजार डोज ही बीते माह भेजा गया। उन्होंने कहा कि देश के 97 फीसदी मध्यमवर्गी परिवारों के लिए केंद्र ने 75 फीसदी टीका उपलब्ध करवाया है वहीं महज 3 फीसदी उच्च आयवर्गीय परिवारों के लिए 25 फीसदी टीका उपलब्ध करवाया गया है। 

कर्ज में डूबे लोगों को ऋण के जाल में उलझा दिया
उन्होंने कहा कि हाल ही में केंद सरकार ने बूस्टर डोज के रूप में रेस्टोरेंट, टूर एंड ट्रैवल तथा अन्य स्टार्टअप को लोन देने का एलान किया। कहा कि इससे सहायता मिलेगी। हकीकत ये है कि पहले से ही कर्ज में डूबे लोगों को और कर्ज के जाल में उलझा दिया गया। टूर एंड ट्रैवल बिजनेस करने वालों को 1 लाख रूपया का कर्ज दिया जायेगा जिसमें ब्याज की दर 12 फीसदी होगी। रेस्टोरेंट वाले बिजनेस में 11 लाख रुपये का कर्ज मिलेगा लेकिन ब्याज की दर 18 फीसदी होगी। इसे कैसे बूस्टर कहा जा सकता है। उन्होंने कहा कि हैरानी होती है कि बीजेपी  नेता इसका बखान कर रहे हैं। 

मध्यमवर्ग के लोग निम्न आय र्ग में शामिल हो गये
झारखंड मुक्ति मोर्चा के राष्ट्रीय महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि प्रधानमंत्री मन की बात कार्यक्रम में कहते हैं कि उन्होंने वैक्सीन लगवाई। अपनी बुजुर्ग माता को भी वैक्सीन लगवाई लेकन ये नहीं बताते कि देश की बाकी करोड़ों माताओं का टीका कहां है। युवाओं को नहीं बताते हैं कि उनका टीकाकरण कैसे होगा। उन्होंने कहा कि बीते 2 वित्तीय वर्ष में 22 करोड़ लोग मध्यमवर्गीय से निम्न आय़ वर्गीय हो गये। ये प्रेमजी फाउंडेशन और सीएनआई का आंकड़ा कहता है। ये रोजगार पर सर्वे करने वाली कुछ संस्थाएं हैं क्योंकि सरकार के स्तर से तो कुछ पता नहीं चलेगा। 

देश में सामाजिक कल्याण का कोई डाटा उपलब्ध नहीं
सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि लेबर विभाग ठप है। सामाजिक कल्याण का कोई डाटा उपलब्ध नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से कहा कि कोरोना पीड़ितों को मुआवजा मिलना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि देश में जितने भी लोगों की मौत ऑक्सीजन की कमी, दवाई की कमी और हॉस्पिटल में बेड की कमी से हो गई है उनको मुआवजा मिलना चाहिए। ये राष्ट्रीय आपदा है। केंद्र को मुआवजे की रकम तय करनी चाहिए। बावजूद इसके सरकार ने मामले में चुप्पी साध रखी है। 

बीजेपी शासित राज्यों ने छुपाया कोरोना से मौत का आंकड़ा
सुप्रियो भट्टाचार्य ने आगे कहा कि बीजेपी शासित राज्यों में कोरोना से मृत शरीरों को नदी में बहा दिया गया। रेत में गाड़ दिया गया। मृत्यु की संख्या को छुपाने के उद्देश्य से आंकड़ों को जमींदोज करने का प्रयास किया गया। गुजरात में कोरोना से हुई मौतों को भी कोरोना नहीं लिखा गया, जबकि सारे अखबारों ने ये छापा कि जितनी भी मौतें हुई थीं सबका अंतिम संस्कार कोरोना प्रोटोकॉल के तहत किया गया। इस वक्त लोगों को कोरोना के नए वैरिएंट से संभलने को कहा जा रहा है। वैक्सीन इसका अचूक हथियार है तो फिर वैक्सीनेशन की रफ्तार को धीमा कैसे होने दिया जा रहा है। 

बीजेपी सरकार के खिलाफ होगा दूसरा उलगुलान
सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि झारखंज ने खनिज संपदा, मान संसाधन, जैव संसाधन और कृषि संपदा के तौर पर देश के विकास में योगदान दिया। बावजूद इसके राज्य के साथ भेदभाव किया जाता है। हमें ऐसा लगता है कि केंद्र सरकार झारखंड को देश के हिस्से के तौर पर देखती ही नहीं है। जब भी शोषण औऱ वंचना की बात होती है सबसे पहले झारखंड का नाम आता है। राज्य को  जीएसटी का पैसा नीहं दिया जाता। कोयले की रॉयल्टी नहीं दी जाती। लौह अयस्क का लाभ नहींं दिया जाता। डीवीसी तक का पैसा काट लिया जाता है। उन्होंने कहा कि हूल दिवस के मौके पर केंद्र को आगाह करते हैं कि पहले ब्रिटिश सरकार से स्वाभिमान की लड़ाई लड़ी थी और अब झारखंड के लोग सम्मान, स्वाभिमान, पैसा और अपनी जमीन बीजेपी से बचाएंगे।