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रांची में ज़िक्र-ए-कर्बला की मजलिस, शहर के प्रमुख आलिम, प्रबुद्ध ने रखी बात, शायरों ने मर्सिया से मार्मिक की फ़िज़ा

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द फॉलोअप टीम, रांची
मुहर्रम की आठवीं तारीख को पैगम्बर हज़रत मोहम्मद के नवासे इमाम हुसैन के चाहने वालों ने रांची के शाह रेसीडेंसी में मजलिस की। इसमें शहर के प्रमुख आलिम और प्रबुद्ध लोगों भाग लिया। मजलिस का मूल स्वर रहा कि कैसे कर्बला की जंग में इमाम हुसैन समेत 72 लोगों की शहादत ने सच और इंसाफ का दुनिया में उजाला फैलाया। ऑल इंडिया शिया पर्सनल लॉ बोर्ड के उपाध्यक्ष मौलाना हाजी सैयद तहजीबुल हसन ने कहा कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ कर मर जाने का नाम ही शहादत इमाम हुसैन है। हजारों के मुकाबले में आकर 72 साथियों की कुर्बानी देकर हक़ को बचा लिया गया। ऑल इंडिया इस्लाह-ए-मआशरा काउंसिल के राष्ट्रीय अध्यक्ष मुफ़्ती अब्दुल्लाह अज़हर क़ासमी बोले कि इंसानियत को बचाने के लिए इमाम हुसैन की शहादत से सीख लेने की ज़रूरत है। ऐसी जंग दुनिया की पहली हुई, जिसमें हजारों की फौज के आगे नाम मात्र सच्चे लोगों ने झूठ स्वीकार न कर मर जाना बेहतर समझा। 

युवा शायर के शेर ने बांधा समां
कार्यक्रम का संचालन करते हुए युवा शायर सुहैल सईद के शेर में इतिहास दर्ज हुआ। शायर सुहैल सईद ने कहा कि मालूम क्या किसी को है दर्जा हुसैन का, अल्लाह को अज़ीज़ है चर्चा हुसैन का, प्यासा था कर्बला में जे कुनबा हुसैन का, मातम में आज भी है वो दरया हुसैन का। कवि और लेखक शहरोज़ ने भी अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि हुसैनियत से जो नहीं वाकिफ़, यज़ीदियत से फिर गिला कैसा। उन्होंने हदीस, हज़रत अली और इमाम हुसैन की ज़िंदगी से चरित्र निर्माण पर बल दिया। इनके अलावा डॉ. श्यामा प्रसाद विश्वविद्यालय में प्राध्यापक डॉ एस एम अब्बास ने कर्बला की जंग के मर्तबे, फ़लसफ़े और मक़सद को बयां किया। मास्टर उस्मान ने इतिहास की बातें दोहरायी। रांची विवि में प्रोफेसर डॉ आगा ज़फर, शाहिद क़ादरी, अमोद अब्बास और क़ासिम अली ने मर्सिया सुनाकर फ़िज़ा को मार्मिक बना दिया। 

डॉ. कलीम अहमद ने की अध्यक्षता
कार्यक्रम की अध्यक्षता शाह रेसीडेंसी के डॉ. कलीम अहमद ने की। आयोजक की भूमिका में शाह उमैर रहे, जिन्होंने आभार ज्ञापन किया। मौके पर रांची सेंट्रल मुहर्रम कमेटी के महासचिव अक़ील उर रहमान, महानगर मुहर्रम कमेटी के महासचिव मोहम्मद इस्लाम, जमीयत-उल-इराक़ीन के सदर अब्दुल मन्नान, नदीम खान, इक़बाल हुसैन फातमी, इमरान तारिक़, मोहम्मद खालिद, नवाब चिश्ती, राशिद अकरम, लाडले खान, ख्वाजा मुजाहिद और मोहम्मद शाहिद आदि मौजूद रहे।