द फॉलोअप टीम, रांची:
झारखंड विधानसभा के शीतकालीन सत्र का दूसरा दिन रोजगार और जेपीएससी मामले को लेकर पूरे दिन सदन गरमाया रहा। भाजपा के साथ-साथ माले और आजसू के विधायकों ने इस मामले पर सरकार को घेरने की कोशिश की। सदन में विपक्ष के हंगामे के बीच कुछ प्रश्न तो आये लेकिन ये सिर्फ गिनती का रह गया। रोजगार और जेपीएससी के मुद्दे पर दर्जन भर विधायक कार्यस्थगन प्रस्ताव लाये।
स्पीकर ने कार्यस्थगन प्रस्ताव अमान्य किया
स्पीकर ने उनका कार्यस्थगन प्रस्ताव पढ़ा लेकिन सभी को अमान्य भी कर दिया। भाजपा विधायकों के साथ-साथ भाकपा माले विधायक बिनोद सिंह का तेवर भी काफी तल्ख़ था। वे भी जेपीएससी की पीटी परीक्षा में हुई धांधली की जांच कराने की मांग कर रहे थे। साथ ही उन्होंने पंचायत सचिव और हाई स्कूलों में रिक्त पीआरटीसी पर नियुक्ति की भी मांग कर रहे थे। उन्होंने पोषण सखी के 8 माह के वेतन भुगतान की नहीं होने का भी मामला उठाया। माले विधायक बिनोद सिंह ने कहा कि रोजगार वर्ष में रोजगार तो नहीं मिल रहा है।
अलबत्ता जिनके पास रोजगार है उन्हें वेतन भुगतान नहीं किया जा रहा है. जेपीएससी मामले पर विधायक भानु प्रताप शाही, मनीष जयसवाल, अनंत ओझा, अमित मंडल, जेपी पटेल, लम्बोदर महतो, बिनोद कुमार सिंह ने कार्यस्थगन प्रस्ताव लाया था।
सरयू राय ने सरकार के उत्तर को गलत करार दिया
निर्दलीय विधायक सरयू राय के तारांकित प्रश्न का सही जवाब स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता नहीं दे सके। सदन में ही विधायक ने मंत्री के जवाब को गलत करार दे दिया। इसके बाद विधानसभा अध्यक्ष ने निर्देश दिया कि मंत्री इस प्रश्न का सही जवाब मंगलवार को दें। सरयू राय का सवाल था कि फरवरी 2020 से जुलाई, 2020 के बीच राज्य में कई असूचीबद्ध अस्पतालों, जिसमें ब्रह्यानंद नारायणा अस्पताल, तामोलिया भी शामिल है, को मुख्यमंत्री गंभीर बीमारी उपचार योजना के तहत बीमारियों के ईलाज का लाभ सरकार ने दिया है।जो अनियमित एवं भ्रष्ट आचरण है।
स्वास्थ्य मंत्री ने इसका जवाब दिया है कि ब्रह्यानंद अस्पताल, मुख्यमंत्री गंभीर बीमारी उपचार योजना के तहत बीमारियों के ईलाज के लिए सूचीबद्ध है. इस पर विधायक सरयू राय ने पूरक प्रश्न पूछा कि मंत्री स्पष्ट बतायें कि फरवरी 2020 से जुलाई 2020 के बीच यह अस्पताल सूचीबद्ध था या नहीं. इसका उत्तर मंत्री नहीं दे सके।