logo

गोपाल राम गहमरी की तीन पुस्तकें लोकार्पित, संजय कृष्ण ने किया है संपादन

15025news.jpg

द फॉलोअप टीम, ग़ाज़ीपुर:

सांस्कृतिक पत्रकारिता में गंभीर माने जाने वाले रांची के पत्रकार संजय कृष्ण इस मायने में खोजी माने जाते हैं कि वो ढ़ूंढ़कर पुरानी किताबें सामने लाते हैं, उसका  पुनर्प्रकाशन कराते हैं। हिंदी जगत अपने पहले जासूसी कथाकार गोपालदास गहमरी को भूल चुका है। संजय ने साहित्य अकादमी के लिए उनका मोनाग्राफ लिखा। वहीं उनकी सामग्री को सामने लाने का प्रयास कर रहे हैं। जमानियां स्टेशन ग़ाज़ीपुर में हिन्दू पीजी कालेज के प्रोफेसर डॉ. मदन गोपाल सिन्हा के आवास पर गहमरी की तीन पुस्तकों का लोकार्पण हुआ। इसका संपादन संजय कृष्ण ने ही किया है। ये पुस्तकें सौ साल बाद पुनः प्रकाशित हुई हैं। इनमें डबल बीवी, हंसराज की डायरी और गोपाल राम गहमरी के संस्मरण शामिल हैं। 

गहमरी ने सौ से अधिक मौलिक उपन्यास लिखे

मौके पर संजय कृष्ण ने कहा कि गोपाल राम गहमरी ने सौ से अधिक मौलिक उपन्यास लिखे। इतना ही अनुवाद भी किया और आधा दर्जन पत्रिकाओं का संपादन भी किया। 1902 में जयपुर से प्रकाशित समालोचक का एक साल तक संपादन किया।  सुहैल खां बोले कि आज लोग इस रचनाकार को भूल गए हैं। संजय की बदौलत इनका पुनर्प्रकाशन हो रहा है। राजेंद्र सिंह ने कहा कि उनकी रचनाओं का पुनर्प्रकाशन जरूरी है। उनका हिंदी साहित्य को समृद्ध करने में महती योगदान है। डॉ. ऋचा राय ने कहा कि उनका समग्रता से मूल्यांकन होना बाकी है।

 

संस्मरण में हिंदी का इतिहास
गोपाल राम गहमरी के संस्मरण बालक, सरस्वती, दैनिक आज में प्रकाशित होते रहे। 80 की उम्र तक वह सक्रिय रहे। 20 की उम्र से लिखना शुरू किया। उनके निधन के 4 साल बाद 1950 में हैहय क्षत्रिय मित्र ने गहमरी जी पर अंक निकाला, जिसमें उनके संस्मरण भी थे। भारतेंदु, राजा रामपाल सिंह, पंडित प्रताप नारायण मिश्र पर आत्मीय संस्मरण है। कुछ अपनी कहानी भी है। जासूसी लेखन की ओर प्रवृत्त होने की कहानी भी है। डबल बीवी सामाजिक विसंगतियों से उपजा उपन्यास है। हंसराज की डायरी में रोचक जासूसी किस्से। 100 पहले लिखी इन रचनाओं से गुजरते हुए लगता है कि ये आज की घटनाएं हैं। इसलिए इनकी रचनायें आज की ही लगती हैं।