द फॉलोअप टीम,पटना
बिहार में अक्टूबर-नवंबर में विधानसभा चुनाव होना है। इसके लिए सभी दल अपने-अपने तरीके से जातयी गोलबंदी करने में लगे हैं। सीएम नीतीश कुमार भी इसमें पीछे नहीं हैं। पहले नियोजित शिक्षकों के लिए पिटारा खोला और अब SC-ST पर मेहरबान हुई है। नीतीश सरकार ने अनुसूचित जाति-जनजाति (के लिए बड़ा फैसला लिया है। सरकार ने एलान किया है कि अगर इस बिरादरी के किसी व्यक्ति की हत्या होती है तो परिवार के एक सदस्य को नौकरी मिलेगी। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इसके लिए तत्काल कानून बनाने का भी अधिकारियों को आदेश दिया है। ताकि इस चुनाव में इसका फायदा मिल सके।
20 सितंबर तक लंबित कांडों के निष्पादन का आदेश
दरअसल सीएम नीतीश कुमार शुक्रवार को अनुसूचित जाति-अनुसूचित जनजाति अधिनियम 1995 के तहत गठित राज्यस्तरीय सतर्कता व मानीटरिंग कमेटी की बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे। बैठक के दौरान नीतीश ने इस समाज की बेहतरी के लिए अधिकारियों को कई दिशा निर्देश दिए। उन्होंने एससी-एसटी कल्याण विभाग के सचिव से कहा कि लंबित कांडों का निष्पादन 20 सितंबर 2020 तक करें। संबंधित विभागों के सचिवों से सम्पर्क कर मामले का त्वरित निष्पादन हो। इन्वेस्टिगेशन का काम तेजी से पूरा हो।
लापरवाह अधिकारियों पर हो कार्रवाई-सीएम
जो पदाधिकारी मामलों के निष्पादन में गंभीरता नहीं दिखाते, उन पर कार्रवाई करें।नीतीश ने अधिकारियों को कहा कि थानों में बने लॉ एंड ऑर्डर और इन्वेस्टिगेशन के लिए अलग-अलग विंग का सकारात्मक नतीजा निकलना ही चाहिए। जो विशेष लोक अभियोजक अपने दायित्वों का ठीक से निर्वहन नहीं कर रहे हैं, उन्हें मुक्त करें।
डीजीपी करें थानों में दर्ज कांडों की समीक्षा-सीएम
सीएम ने कहा कि राशन कार्ड वितरण, बिना जमीन वाले सभी एससी-एसटी परिवारों को घर के लिए जमीन देना, उनका आवास निर्माण जैसे कामों में तेजी हो। डीजीपी, सभी थानों में दर्ज कांडों की समीक्षा थानावार करें। नीतीश ने कहा कि इस जमात के कल्याण के लिये हर जरूरी कार्य किये जा रहे हैं। इनको मुख्य धारा में जोड़ने के लिए अन्य संभावनाओं, योजनाओं पर भी विचार किया जाए। जो कुछ भी करने की जरूरत होगी, उनके लिये सब कुछ किया जायेगा। इनके उत्थान से समाज का उत्थान होगा। दरअसल सीएम नीतीश को जनप्रतिनिधियों ने कई सुझाव दिए थे। इसपर अमल करते हुए उन्होंने ऐसा किया है।
..तो इसलिए लिया गया फैसला
माना जा रहा है कि हाल के दिनों में श्याम रजक जैसे दलित नेता के राजद में जाने के बाद सही मैसेज नहीं गया है। ऊपर से दलितों की पार्टी कही जानेवाली लोजपा से भी फिलहाल जेडीयू और नीतीश के रिश्ते ठीक नहीं चल रहे हैं। माना जा रहा है कि इसी डैमेज कंट्रोल के तहत SC-ST के लिए सरकार ने इतना बड़ा फैसला लिया है।