द फॅालोअप टीम, मुंबई:
हिंदी फिल्म जगत की दिग्गज अदाकारा मीनू मुमताज का 79 वर्ष की कनाडा में एक अस्पताल में कुछ समय पहले ही निधन हो गया। उनके भाई अनवर अली ने इस बात की जानकारी दी। उन्होंने फिल्म बिरादरी, प्रेस, मीडिया, प्रशंसकों और दोस्तों को मीनू को इतना प्यार देने के लिए आभार जताया। मीनू मुमताज मशहूर हास्य अभीनेता और फिल्म निर्माता महमूद की बहन थीं। मीनू मुमताज के परिवार में उनके पति ‘एस अली अकबर’और एक बेटा और तीन बेटियां थीं। सिनेमा जगत में शोक है।
कैंसर जैसी बीमारी से जूझ रही थीं मीनू
मीनू मुमताज के डॉक्टरों ने बताया कि मीनू को कुछ दिनों पहले ही पता चला कि उन्हें कैंसर हैं। हालांकि ये उनके निधन का एकमात्र कारण नहीं है क्योंकि उन्हें कैंसर के साथ-साथ कई और भी बीमारियां भी थीं। वो बेहद जिंदादिल इंसान थीं। हमने 10 दिन पहले ही उनसे वीडियो कॅाल पर बात की थी। वो बहुत प्यारी, सजी-धजीं और खुश लग रही थीं। उन्होंने बताया कि मीनू मुमताज जब भी भारत आती थीं तो मशहूर अभिनेत्री सायरा बानो सहित अपने समकालीन लोगों से मिलती थीं। पिता मुमताज अली और मां लतीफुन्निसा बेगम के घर जन्मी मीनू मुमताज ने 1940 के दशक में फिल्मों में नर्तकी और चरित्र अभिनेत्री की भूमिका निभाई थीं।
उनका असली नाम मलिकुन्निसा था
आपको बता दें कि अभिनेत्री का असली नाम मलिकुन्निसा था। उन्होंने फिल्मों में एक नर्तकी के रूप में शुरुआत की थी। 1950 और 1960 के दौरान कई फिल्मों मे अभिनय किया। उन्होंने ‘सखी हातिम’ से अपने अभिनय की शुरआत की और मुगल-ए-आजाम के लोकप्रिय गीत ‘जब रात है ऐसी मतवाली’ में दिखाई दीं। फिल्म ‘नया दौर’ के एक और हिट गीत ‘रेशमी सलवार कुर्ता जाली’ का, फिल्म ‘साहिब बीबी’ और ‘गुलाम के सखिया आज मुझे नहीं’ सीआईडी के ‘बुझ मेरा क्या नाम रे’ जैसे अन्य हिट गीतों में नजर आई हैं।
मीनू मुमताज की कुछ अन्य उल्लेखनीय फिल्में
मीनू मुमताज के कुछ उल्लेखनीय फिल्मों में कागज के फूल, चौदहवीं का चांद, ताजा महल, घूंघट, इंसान जाग उठा, गजल अलादीन और धर्मपुत्र जैसी फिल्में शामिल हैं।