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पत्रकारिता पहले सबसे कमजोर की आवाज़ थी आज सबसे मजबूत का बयान: प्रियदर्शन

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द फॉलोअप टीम, रांची:
हिंदी पत्रकारिता के चार अहम काल हैं। आजादी से पहले के दौर में गांधी, नेहरु, माखननलाल चतुर्वेदी, गणेशशंकर विद्यार्थी आदि प्रमुख नाम सामने आते हैं, आजादी के बाद और खासकर साठ के दशक में पत्रकारिता लोहिया के असर में रही। इमरजेंसी और जेपी का प्रभाव और अब उदारीकरण के दिनों की पत्रकारिता। महत्वपूर्ण बदलाव यह रहा कि पहले पत्रकारिता सबसे कमजोर की आवाज़ हुआ करती थी, जबकि आज वो सबसे मजबूत का बयान बन चुकी है। उक्त बातें रांची प्रेस क्लब के संवाद कार्यक्रम में दिल्ली से रांची पहुंचे वरिष्ठ टीवी पत्रकार और कवि-कथाकार प्रियदर्शन ने कही।




रांची प्रेस क्लब में वरिष्ठ टीवी पत्रकार, कवि-कथाकार प्रियदर्शन से संवाद
हिंदी पत्रकारिता और ख़ासकर टीवी जगत में मौजूदा समय चंद बेहद ईमानदार और जन सरोकारी संपादकों में प्रियदर्शन का नाम शुमार होता है। जनसत्ता जैसे अख़बार के बाद आप 15 सालों से NDTV में सेवाएं दे रहे हैं। पत्रकारिता से इतर उनकी ख्याति सुघड़ कवि-कथाकार के नाते भी है। कहानी, कविता, उपन्यास  और अन्य गद्य समेत उनकी 10 किताबें प्रकाशित हैं। अनुवाद भी प्रचुर किया है। अपनी सहज और संतुलित विचार दृष्टि के लिए जाने जाते प्रियदर्शन अपने शहर रांची के ही हैं। 



पत्रकारिता के सफर के बारे में बताया 
अतिथि लेखक प्रियदर्शन का स्वागत प्रेस क्लब के महासचिव अखिलेश सिंह ने बुके देकर किया। बतौर विशिष्ट अतिथि राज्य महिला आयोग की पूर्व अध्यक्ष व साहित्यकार डॉ महुआ माजी ने भी प्रियदर्शन का इस्तकबाल बुके देकर किया। संचालन क्लब के कार्यकारिणी सदस्य शहरोज कमर ने किया। प्रियदर्शन ने रांची से दिल्ली और पत्रकारिता के सफर के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने सवालों के जवाब भी सहजता से दिए। 

रांची के पुराने दिन भी धवल हुए
प्रियदर्शन ने बताया कि उन्हें  रचनाकार व पत्रकार बनाने में रांची की स्टेट लाइब्रेरी, सन्तुलाल पुस्तकालय, रामकृष्ण पुस्तकालय और सत्यभारती वाचनालय का बड़ा योगदान रहा। लिखने की शुरुआत कक्षा चौथी में ही हो गई थी। 9 वीं या 10 वीं में सारिका आदि पत्रिकाएं पढ़ने लगा। इंटर के बाद रंगकर्म से भी जुड़ा। तब हस्ताक्षर संस्था सक्रिय हुआ करती थी। चडरी स्कूल में नाटक के रिहर्सल हुआ करते थे। बताया कि लिखना दरअसल अपने आपको खोजना है। एक सवाल के जवाब में बोले कि नौकरियां कम से कम मनुष्य रहने देती हैं।



इनकी रही शिरकत
मौके पर प्रेस क्लब के कोषाध्यक्ष जयशंकर, कार्यकारिणी सदस्‍यों में प्रभात कुमार सिंह और किसलय शानू के अलावा अनिता रश्मि, रश्मि शर्मा, संगीता कुजारा टाक, सत्यशर्मा कीर्ति, शिल्पी कुमारी, सुमेधा चौधरी, नंदनी प्रणय, वर्षा, अशोक कुमार, विनय चतुर्वेदी, संजय कृष्ण, सत्यप्रकाश पाठक, सुशील सिंह मंटू, प्रभात रंजन, शाहनवाज़ हुसैन,  अरविंद प्रताप, ऋषिकेश, जय दीप सहाय और समीर सृजन आदि मौजूद रहे।