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घोड़ावाले एसपी से बुलेटवाले बने नेता की लौहनगरी में क्यों हो रही है चर्चा

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मनोज पाण्डेय, रांची:
लौहनगरी जमशेदपुर में इन दिनों हर किसी की जुबान पर बुलेट वाले नेता की चर्चा है। ये बुलेट से चलते हैं और लोगों से मुलाकात कर उनकी बातें सुनते हैं। जमशेदपुर में हर चौक-चौराहे पर इनको लेकर चर्चा तेज है। ये कोई और नहीं बल्कि पूर्व सांसद डॉ. अजय कुमार हैं। डॉ. अजय अपनी ब्लैक बुलेट पर जींस और टी शर्ट में नजर आते हैं। किसी ने मदद मांग ली, तो उसी वक्त फोन कर दिया नहीं तो नोट करने के बाद वहां से चल पड़ते हैं। सबका हाल-चाल जानते हैं। कुछ अपनी कहते हैं, कुछ उनकी सुनते हैं।



क्या लोकसभा की तैयारी कर रहें हैं अजय
झारखंड कांग्रेस में फेरबदल कुछ ही दिनो में देखने को मिल सकता है। दिल्ली में इसको लेकर चर्चा भी हो रही है। डॉ. अजय कुमार को केन्द्र में बड़ी जिम्मेदारी मिल सकती है। अगर कांग्रेसी सूत्रों की मानें तो उन्हे सेक्रट्री इंचार्ज बनाया जा सकता है। डॉ. अजय फिलहाल कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता हैं, उन्होने प्रदेश अध्यक्ष का भी पद संभाला है, लेकिन अगामी लोकसभा को लकेर वे अपनी तैयारी कर रहें हैं। हालंकि डॉ. अजय कुमार द फॉलोअप से बात करते हुए इस बात से इंकार करते हैं। साथ हीं कहते है वो ना तो विधानसभा चुनाव और ना हीं लोकसभा चुनाव की तैयारी कर रहें हैं। वे सिर्फ लोगों को मिल रहे हैं समस्या सुन रहे हैं।

 
2024 कांग्रेस के लिए करो या मरो की होगी स्थिति
कांग्रेस अपने बुरे दौर से गुजर रही है। कांग्रेस की टीम से एक और युवा नेता बुधवार को बीजेपी में चला गया। पूर्व केंद्रीय राज्य मंत्री जितिन प्रसाद बीजेपी में शामिल हो गए। अब कयास लगाये जा रहे हैं कि सचिन पायलट भी बीजेपी का दामन थाम लेंगे। अगामी लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के लिए करो या मरो कि स्थिति होगी। बीजेपी का मुकाबला करने के लिए उन्हें ना सिर्फ संगठन को मजबूत करने की जरूरत है, बल्कि देश की जनता को भी भरोसा दिलाना होगा कि कांग्रेस ही एक मात्र बेहतर विकल्पो है। झारखंड में 14 लोकसभा की सीटों में से मात्र एक सीट पर कांग्रेस का सांसद है। ऐसे में 2024 का मुकाबला बेहद कठीन है।



नये लुक से नई पहचान या सिर्फ चर्चा में रहने की कोशिश
कभी जमशेदपुर के एसपी रहे डॉ. अजय कुमार की पहचान घोड़ा पर चलने वाले के तौर पर की जाती रही है। जेवीएम से चुनाव लड़ते वक्त इस पहचान ने उन्हें काफी हद तक बुजुर्गों का वोट पाने में मदद भी की। इसलिए उन्होने जीत दर्ज की। लेकिन अब वे पहचान धुंधली पड़ रही है। लिहाजा ये माना जा रहा है कि वे अपनी नई पहचान बनाने की कोशिश कर रहें हैं। बकौल डॉ. अजय उन्हे दो पहिया वाहन चलाने का शौक है, जो पूरा हो रहा है, इसका और कोई उद्देश्य नहीं है।