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क्या है दीदी बगिया योजना! क्यों दूसरे राज्यों में भी इसे लागू करने की चल रही है कवायद

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द फॉलोअप टीम, रांची: 

हेहल स्थित सर्ड में दीनदयाल अंत्योदय योजना राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (एनआरएलएम) के अंतर्गत इंटीग्रेटेड फार्मिंग क्लस्टर (आईएफसी) पहल का शुभारंभ केंद्रीय ग्रामीण विकास सचिव एन एन सिन्हा ने किया। झारखंड स्टेट लाईवलीहुड प्रमोशन सोसाईटी द्वारा आयोजित राष्ट्रीय कार्यशाला में विभिन्न राज्यों के प्रतिनिधि भी शामिल हुए। केंद्रीय ग्रामीण विकास सचिव एन एन सिन्हा ने कार्यशाला को संबोधित किया। ग्रामीण विकास सचिव ने कई पहलुओं पर अपना व्यक्तव्य रखा। 

आजीविका सशक्तिकरण के प्रयासों की सराहना
कार्यशाला को संबोधित करते हुए ग्रामीण विकास सचिव ने राज्य में सखी मंडलों के जरिए आजीविका सशक्तिकरण के लिए किए जा रहे कार्यों की सराहना की। उन्होंने दूसरे राज्यों के प्रतिनिधियों को आजीविका संसाधन केन्द्र एवं दीदी बगिया योजना समेत अन्य गतिविधियों को अपने राज्यों में लागू करने की बात कही। एनएन सिन्हा ने कहा कि सुदूर गांव के आखिरी परिवारों को सशक्त आजीविका से जोड़ने के लिए राज्य स्तर से सभी विभागों से समन्वय स्थापित करें, ताकि लाभुकों को इंटीग्रेटेड रूप से सभी योजनाओं का लाभ मिल सके। एन एन सिन्हा ने इंटीग्रेटेड फार्मिंग क्लस्टर के शुभारंभ पर खुशी व्यक्त करते हुए सभी एनआरईटीपी राज्यों को माइक्रो प्लानिंग को प्रभावी तरीके से करने की सलाह दी ताकि इस पहल से ग्रामीण समुदाय को लाभ मिल सके। 

आजीविका एवं सामाजिक समावेशन को गति
ग्रामीण विकास सचिव एनएन सिन्हा ने कहा कि सखी मंडलों के संगठन क्लस्टर लेवल फेडरेशन को और सशक्त करें, ताकि आने वाले दिनों में वह मॉडल के रूप में विकसित हो। इससे आजीविका एवं सामाजिक समावेशन को गति मिलेगी।  उन्होने सभी राज्यों से प्रोड्यूसर इंटरप्राइज के कार्यों में तेजी लाने की बात कही। सिन्हा ने कहा कि आने वाले दिनों में क्लस्टर लेवल फेडरेशन के जरिए मनरेगा के क्रियान्वयन की तैयारी है, जिसके लिए इन संगठनों को और सशक्त बनाने की जरुरत है। उन्होंने महिला संगठनों को पंचायती राज संस्थाओं एवं सरकार के विभाग एवं सिविल सोसाईटी के साथ मिलकर कार्य करने की बात कही। 

टपक सिंचाई से महिलाओं की आय दोगुनी हुई
ग्रामीण विकास सचिव डॉ मनीष रंजन ने झारखंड में आजीविका की गतिविधियों पर अनुभव साझा करते हुए कहा कि टपक सिंचाई से महिलाओं की आय दोगुनी हुई है। मल्टी क्रॉपिंग और पशुपालन से लोगों की आमदनी में इजाफा हो रहा है। उन्होने कहा कि ट्रेनिंग के द्वारा विभिन्न कैडरों का क्षमता विकास, पीवीटीजी परिवारों को सशक्त वित्तीय समावेशन एवं महिलाओं को विभिन्न स्किल की गतिविधियों से जोड़ना हमारी प्राथमिकता है। 

ग्रामीण आजीविका को बढ़ावा देना प्राथमिकता
डॉ. मनीष रंजन ने कहा कि टपक सिंचाई योजना से ग्रामीण आजीविका को बढ़ावा मिलेगा। खेती आधारित आजीविका से जोड़कर पलाश के उत्पादों एवं पलाश ब्रांड को बड़े स्तर पर ले जाने का प्रयास किया जा रहा है। सखी मंडल के कैडरों को और प्रशिक्षण उपलब्ध कराकर राज्य के सुदूर गांवों तक सशक्त आजीविका को सतत तरीके से सुदृढ़  करने की तैयारी है। इंटीग्रेटेड फार्म क्लस्टर के जरिए राज्य में बड़े बदलाव की उम्मीद जताई।
इंटीग्रेटेड फार्मिंग क्लस्टर  के बारे में ग्रामीण विकास मंत्रालय भारत सरकार के संयुक्त सचिव चरणजीत सिंह ने विस्तार से  जानकारी दी। उन्होने झारखंड के पलाश ब्रांड एवं आदिवा ब्रांड की तारीफ की एवं अन्य राज्यों को झारखंड की इस पहल से सीख लेने की बात कही। सिंह ने कार्यशाला में उपस्थित सभी राज्यों के प्रतिनिधियों को राज्य स्तर पर स्टीयरिंग कमेटी का गठन कर आईएफसी का क्रियान्वयन प्रभावी तरीके से करने के तरीके बताए। 

ग्रामीण विकास मंत्रालय की संयुक्त सचिव का बयान
ग्रामीण विकास मंत्रालय की संयुक्त सचिव नीता केजरीवाल ने नेशनल रुरल इकोनॉमिक ट्रास्फॉरमेशन प्रोजेक्ट की प्रगति पर संतोष जताते हुए मॉडल सीएलएफ के कार्यों में तेजी लाते हुए सशक्त बनाने की बात कही। कार्यशाला को संबोधित करते हुए केजरीवाल ने  कहा कि इस परियोजना के तहत मुख्य फोकस आजीविका संबंधी गतिविधियों पर है। उन्होंने  मॉडल सीएलएफ रणनीति एवं एनआरईटीपी राज्यों में एनपीए प्रवृत्ति सहित वित्तीय समावेशन एवं डिजिटल वित्त, बीमार उद्यम वित्तपोषण, कृषि आजीविका और प्रमुख प्राथमिकता वाले क्षेत्रों पर चर्चा की एवं राज्यों को तय समय सीमा में लक्ष्य प्राप्ति के लिए कहा।

एक साथ कई आजीविका साधनों से जुड़ेंगी महिलायें
झारखंड स्टेट लाईवलीहुड प्रमोशन सोसाईटी की सीईओ नैन्सी सहाय ने कहा कि आईएफसी के क्रियान्वयन को ससमय पूरा किया जाएगा। इस पहल से सखी मंडल की महिलाओं को एक साथ आजीविका के कई साधनों से जुड़ने का मौका मिलेगा एवं उनकी आमदनी में बढोत्तरी के लिए कार्य किया जाएगा। आरसीआरसी संस्था के वेद आर्या ने कार्यशाला में इंटीग्रेटेड फार्मिंग क्लस्टर परियोजना की रणनीति एवं राज्यों में क्रियान्वयन के विभिन्न बिन्दुओं को विस्तार से साझा किया। इस पहल के तहत एक साथ ग्रामीण महिलाओं को बहुआयामी आजीविका से जोड़ने की बात कही। आईएफसी के द्वारा विभिन्न राज्यों में सखी मंडल के जरिए स्थानीय संसाधनों के आधार पर आजीविका को बढ़ावा मिलेगा और ग्रामीण परिवारों  की आमदनी बढ़ेगी।

स्थायी एवं बहुआयामी आजीविका को बढ़ावा दिया जायेगा
एनआरएलएम अंतर्गत आईएफसी के माध्यम से सखी मंडलों के जरिए स्थायी एवं बहुआयामी  आजीविका को बढ़ावा देने की शुरुआत कर रहा है। आईएफसी का मुख्य उदेश्य खेती की जमीन के हर हिस्से का सही तरीके से इस्तेमाल करना है। इसके तहत किसान एक ही साथ अलग-अलग आजीविका खेती, पशुपालन, फल उत्पादन, मधुमक्खी पालन, मछली पालन, वनोपज  इत्यादि कर सकते हैं। इस प्रणाली से खेती करने पर किसानों को कई तरह के लाभ होते है जैसे वह अपने संसाधनों का पूरा इस्तेमाल कर पाएंगे एवं लागत में कमी आएगी और उत्पादकता बढ़ेगी। आईएफसी पर्यावरण के अनुकूल है एवं खेत की उर्वरक शक्ति को भी बढ़ाती है।
कार्यशाला के दूसरे चरण में विभिन्न राज्यों से आए प्रतिनिधियों ने जेएसएलपीएस के परियोजना क्षेत्र खूंटी स्थित मनरेगा पार्क एवं आजीविका संसाधन केन्द्र का भ्रमण भी किया। 

कार्यक्रम में वरिष्ठ अधिकारियों की रही उपस्थिति
ग्रामीण विकास विभाग अंतर्गत जेएसएलपीएस द्वारा आयोजित इस राष्ट्रीय कार्यशाला में आजीविका मिशन एवं जोहार, टपक सिंचाई परियोजना, वित्तीय समावेशन,पीवीटीजी परिवारों के विकास, पलाश एवं आदिवा पहल के स्टॉल भी लगाए गए थे। वहीं सफलता की कहानियों पर तैयार की गई पुस्तिका द चेंजमेकर का भी विमोचन किया गया। एनआरएलएम अंतर्गत एनआरईटीपी राज्यों के प्रतिनिधि एवं ग्रामीण विकास मंत्रालय के आधिकारीगण उपस्थित थे।