रांची:
निजीकरण के दौर में जहां बहुत कुछ बदल रहा है। आम नागरिकों की जीवन रेखा मानी जाती रेलगाड़ी भी कई जगह प्रायवेट हाथों में जाती दिखलाई दे रही है। लेकिन क्या उसकी पहचान भी बदल जाएगी। उसकी पहचान है, हर रेलवे स्टेशन पर पीले रंग में पुता साइन बोर्ड। जिसपर जगह का नाम काले अक्षरों में दर्ज रहता है। देश में कुल 7,349 रेलवे स्टेशन हैं। आपने भी रेल यात्राएं बहुत की होंगी, लेकिन क्या कभी आपने इन रंगों के अलावा किसी और रंग में रेलवे स्टेशन का नाम लिखा देखा। बिल्कुल नहीं दिखा होगा सतरंगी बोर्ड।
अब सवाल मन में जरूर आया होगा कि साइनबोर्ड (Railway Sign Board) हमेशा पीले रंग में ही क्यों होता है। चलिये आपको बताते हैं- दुनिया में चौथे और एशिया में दूसरे सबसे बड़े रेल नेटवर्क Indian Railway की इस खासियत के बारे में।
पीला रंग भारतीय परंपरा में शुभ माना गया है। पीला रंग उत्साह बढ़ाने में सहायक है। पीला रंग आत्मविश्वास बढ़ाता है। लेकिन महज़ एक यही कारण नहीं कि साइन बोर्ड पीले रंग का रखा जाए। पीला रंग सूर्य के प्रकाश का है यानी ऊष्मा शक्ति का प्रतीक। पीला रंग तारतम्यता, संतुलन और पूर्णता और एकाग्रता प्रदान करता है। यह रंग बहुत प्रभावी होता है। यह मन पर बहुत पॉजिटिव असर (Positive Effect) डालता है। इसके साथ ही पीले रंग के बोर्ड पर काले रंग से लिखे शब्द दूर से ही साफ दिखाई देते हैं। यह आंखों पर भी जोर नहीं डालते।
पीले रंग के बोर्ड के पीछे का एक कारण यह भी है कि इस रंग का सीधा कनेक्शन सूर्य की रोशनी (Sunlight) से होता है। इस रंग की सबसे बड़ी विशेषता है कि यह दूर से ही दिखलाई पड़ता है। रेल चालक (Railway Driver) दूर से ही पता कर लेता है कि अब कौन सा स्टेशन आने वाला है। ट्रेन की रफ्तार धीमी करने लगता है।