गुलजार को मैं कितना जानता हूं। क्या कभी मिला हूं उनसे। क्या मैं समझता हूं कि हिन्दी शायरी और फिल्मों में उनका रचनात्मक योगदान क्या है। अगर मैं कह दूं समझता हूं तो यह मुकम्मल झूठ होगा। अगर कहूं न तो यह भी झूठ होगा। दरअसल, मैं गुलजार को थोड़ा समझता हूं और अ