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बसंत पंचमी 2025 : 144 साल बाद अबूझ मुहूर्त में होगी मां सरस्वती की पूजा, जानें विशेष महत्व और शुभ मुहूर्त

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द फॉलोअप डेस्क 

बसंत पंचमी का त्योहार हर साल माघ माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन का विशेष धार्मिक महत्व है, क्योंकि इसे विद्या की देवी, मां सरस्वती का जन्म दिवस माना जाता है। मान्यता है कि बसंत पंचमी के दिन ही भगवान ब्रह्मा जी के मुख से वाणी, ज्ञान और बुद्धि की देवी मां सरस्वती प्रकट हुई थीं। इस दिन को लेकर विशेष पूजा अर्चना की जाती है, जिसमें मां सरस्वती से विद्या और ज्ञान का आशीर्वाद प्राप्त करने की कामना की जाती है।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती की विधिपूर्वक पूजा करने से ज्ञान और धन का आशीर्वाद मिलता है। इस दिन पीले वस्त्र पहनना और पीले रंग का भोग अर्पित करना शुभ माना जाता है। यही कारण है कि इस दिन मां सरस्वती को बुंदिया, मिश्रीकंद, बैर और लड्डू का भोग अर्पित किया जाता है, क्योंकि पीला रंग देवी को अत्यधिक प्रिय माना जाता है।
इस वर्ष बसंत पंचमी के शुभ मुहूर्त को लेकर ज्योतिषाचार्य पुनीत आलोक छवि ने बताया कि 3 फरवरी 2025 को प्रातः काल से शुभ मुहूर्त शुरू हो जाएगा। यह मुहूर्त 3:24 बजे से प्रारंभ होकर दोपहर 1:28 बजे तक रहेगा। इसके बाद, संध्या काल में 4:00 बजे से 6:30 बजे तक एक और विशेष मुहूर्त रहेगा, जो पूजा और आराधना के लिए फलदायक होगा।
ज्योतिषाचार्य के अनुसार, इस वर्ष बसंत पंचमी पर एक अद्वितीय पंचग्रही योग बनेगा, जिसमें सभी ग्रह एक सीधी रेखा में होंगे। यह योग 144 वर्षों बाद बन रहा है, और इस समय मां सरस्वती के स्वरूप की पूजा करना अत्यंत फलदायक रहेगा। इस समय की पूजा से विशेष रूप से ज्ञान और बुद्धि की प्राप्ति होती है।
ज्योतिषाचार्य पुनीत आलोक छवि ने यह भी सलाह दी है कि जो छात्र सरस्वती पूजा में बैठ रहे हैं, वे पीले वस्त्र पहनकर, पीले आसन पर बैठकर और पीले प्रसाद और फल के साथ "वद वद वाग वादिनी" मंत्र का उच्चारण करें। इस मंत्र का उच्चारण गणेश पूजा के बाद करने से विद्या और ज्ञान में सिद्धि प्राप्त होती है।
इसके अलावा, सनातन धर्म में यह भी कहा जाता है कि इस दिन छोटे बच्चों को, जो पढ़ाई की शुरुआत करने जा रहे होते हैं, उन्हें मां सरस्वती के सामने स्लेट और पेंसिल पर पहली बार लिखाई की शुरुआत करने के लिए प्रेरित किया जाता है।
बसंत पंचमी का यह पर्व न केवल विद्या और ज्ञान की देवी मां सरस्वती की पूजा का पर्व है, बल्कि यह नए ज्ञान की शुरुआत का भी प्रतीक है। इस दिन विशेष रूप से बच्चों और छात्रों को अपने भविष्य के लिए आशीर्वाद प्राप्त करने का सर्वोत्तम अवसर मिलता है।
 

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