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पटना : 70 घरों पर चल रहा बुलडोजर, 17 जेसीबी और 2000 से अधिक पुलिस बल की तैनाती,जानिए पूरा मामला.. 

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पटना:
राजीव नगर थाना क्षेत्र के नेपाली नगर में 70 घरों के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है। कार्रवाई के लिए सुबह से ही प्रशासन कई बुलडोजर के साथ राजीव नगर पहुंचा हुआ है। अतिक्रमण हटाने पहुंची पुलिस पर स्थानीय लोगों ने हमला कर दिया। इसमें सिटी एसपी अमरीश राहुल सहित कई पुलिस वाले बुरी तरह जख्मी हुए हैं। मामले पर कारवाई करते हुए पुलिस ने अब तक 12 उपद्रवियों को गिरफ्तार कर लिया है और बाकी की तलाश जारी है। बता दें कि अतिक्रमण हटाने के लिए 17 जेसीबी को लगाया गया है और 2000 से अधिक पुलिस बल की तैनाती की गई है। साथ ही हमले की जानकारी मिलते ही पटना डीएम भी मौके पैर पहुंच गए है।

12 उपद्रवी गिरफ्तार- डीएम
पटना डीएम चंद्रशेखर सिंह ने कहा कि कार्रवाई जारी रहेगी। किसी भी कीमत पर जमीन को हम लोग अपने कब्जे में लेकर रहेंगे। डीएम ने बताया कि हमले में दो जवान और सीटी एसपी घायल हो गए हैं। वही 12 उपद्रवियों को गिरफ्तार किया गया है। वीडियो और सीसीटीवी फुटेज से बाकी उपद्रवियों की पहचान की जा रही है। डीएम ने कहा कि फिलहाल सिचुएशन पूरी तरह से कंट्रोल में है। काम अच्छे से हो रहा है। लोगों को पहले ही जानकारी दे दी गई थी, लेकिन ये लोग नहीं माने।

70 घर हाउसिंग बोर्ड की जमीन पर बनाए गए
बता दें कि राजीव नगर इलाके में पुलिस 70 मकानों को तोड़ने पहुंची है। पुलिस का दावा है कि ये सभी 70 घर हाउसिंग बोर्ड की जमीन पर बनाए गए है। जो अवैध है। इन मकानों में नेता, मंत्री, जज और आइएएस, आइपीएस के भी कई ठिकाने शामिल हैं।बता दें कि राजीव नगर के इस जमीन पर विवाद आज से नहीं बल्कि 1974 से जारी है। 1974 में आवास बोर्ड ने 1024 एकड़ में आवासीय परिसर बनाने का फैसला लिया था। लेकिन, मुआवजा नहीं देने के कारण मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुँच गया था। सुप्रीम कोर्ट ने आवास बोर्ड को भेदभाव दूर कर मुआवजा देने का निर्देश दिया था।

1024 एकड़ में लगभग 10000 से ज्यादा मकान
बता दें कि वर्तमान में इस 1024 एकड़ में लगभग 10000 से ज्यादा मकान बन चुके हैं। जब इस जमीन का अधिग्रहण किया गया था,उस वक्त इसकी कीमत महज 2 हजार रुपय प्रति कट्ठा थी। उसी जमीन को आज करीब 90 लाख रुपये प्रति कट्ठा के दाम पर बेचा जा रहा है। इस ज़मीन का विवाद उस वक्त बढ़ा जब एक आईएएस अधिकारी की चार एकड़ जमीन को आवास बोर्ड द्वारा मुक्त कर दिया गया था। जिसके बाद  दीघा के किसान ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। किसानों का मांग थी कि जिस तरह से आईएएस अधिकारी की जमीन को मुक्त किया गया है,उसी तरह हमारी जमीन को भी मुक्त किया जाए। लेकिन आवास बोर्ड ने किसानों की यह बात नहीं मानी और फिर विवाद बढ़ता चला गया।

स्थानीय लोग हर महीने नगर निगम को देते हैं टैक्स
स्थानीय लोगों का कहना है कि हम हर महीने नगर निगम को टैक्स देते है। ऐसे में हमारा मकान अवैध कैसे हुआ। हम बिजली, पानी कनेक्शन से लेकर सभी सरकारी सुविधाएं लेते हैं, तब हमारा मकान अवैध कैसे हो गया। लेकिन प्रशासन हमसे बात ही नहीं कर रहा और हमारे मकान को अवैध बताकर उसे तोड़ रहा है। हमने अपने मकान में जीवन भर की पूंजी लगा दी है। ऐसे में प्रशासन के इस कदम ने हमें सड़क पर लाकर छोड़ दिया है।