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जीवित बच्चे को मृत बताने का मामला, 3 स्वास्थ्यकर्मियों पर होगी कार्रवाई 

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द फॉलोअप डेस्क

बिहार सरकार बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं का दावा करती है, और स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे अक्सर इस क्षेत्र में बेहतरी के आंकड़े पेश करते रहते हैं। लेकिन ताजा घटना ने स्वास्थ्य सेवाओं में गड़बड़ी को फिर से उजागर किया है। पश्चिम चंपारण के लौरिया सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) में एक जीवित नवजात को मृत बताने का मामला सामने आया है। इस लापरवाही के बाद अब जांच शुरू हो गई है, और कई स्वास्थ्यकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई की सिफारिश की गई है।
मामला यह है कि 24 मार्च को बगहा एक के बसवरिया निवासी शिव बैठा उर्फ बहादुर बैठा की पत्नी ज्योति कुमारी को सीएचसी में डिलीवरी के लिए लाया गया था। यहां एक बेटे का जन्म हुआ, लेकिन नवजात शिशु में हलचल न देखने के बाद आयुष चिकित्सक डॉ. अफरोज आलम और जीएनएम राधिका कुमारी ने उसे मृत घोषित कर दिया। इसके बाद बच्चे को इमरजेंसी स्थिति में छोड़कर वे चले गए।
इस घटना के बाद जब खबर मीडिया में प्रकाशित हुई, तो सिविल सर्जन डॉ. विजय कुमार ने जांच के आदेश दिए। उन्होंने बताया कि लौरिया सीएचसी में तैनात आयुष चिकित्सक डॉ. अफरोज आलम के खिलाफ कार्रवाई के लिए डीएम दिनेश कुमार राय को पत्र भेजा गया है। साथ ही जीएनएम राधिका कुमारी को निलंबन और चयनमुक्त करने के लिए निदेशक प्रमुख नर्सिंग को पत्र भेजा गया है।
जिला स्तर पर हुई जांच में यह बात सामने आई कि अस्पताल में पंजीकरण करने वाले कर्मियों को उचित प्रशिक्षण की आवश्यकता है। जांच रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि आयुष चिकित्सक और जीएनएम ने यह समझने में गलती की कि नवजात शिशु जीवित था या मृत, और उन्होंने बच्चे को बचाने का कोई प्रयास नहीं किया। इसके बाद टीम ने डॉक्टरों और अन्य चिकित्सा कर्मियों को फिर से प्रशिक्षण देने की सिफारिश की है, ताकि भविष्य में इस प्रकार की घटनाएं न हों।
सिविल सर्जन ने कहा कि इस मामले में संबंधित डॉक्टर और कर्मचारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। इसके साथ ही अस्पताल के सभी चिकित्सकों और कर्मचारियों को फिर से प्रशिक्षण देने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी, ताकि इस तरह की लापरवाही से बचा जा सके।
 

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