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बिहार में चल रही थी खुदाई, अचानक निकली रहस्यमयी दीवारें, क्या खुलेंगे इतिहास के नए पन्ने?

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द फॉलोअप डेस्क 

बिहार के नालंदा जिले में खुदाई के दौरान प्राचीन दीवार मिलने का मामला सामने आया है, जिसने सबका ध्यान आकर्षित किया है। यह ऐतिहासिक खोज सिलाव प्रखंड स्थित गोरमा-पांकी पंचायत के गोरमा गांव में हुई है। गांव के पश्चिमी दिशा में स्थित 22 बिगहा में फैले पोखर की खुदाई के दौरान एक प्राचीन दीवार मिली, जो बहुत ही मजबूत और संरचनात्मक थी।
खुदाई पर रोक: शनिवार दोपहर जब पोखर की खुदाई चल रही थी, तभी मजदूरों को जमीन के अंदर एक मजबूत दीवार दिखाई दी। जैसे ही इस प्राचीन दीवार के मिलने की खबर फैली, पूरे गांव में उत्सुकता बढ़ गई और देखते ही देखते भीड़ उमड़ पड़ी। ग्रामीणों ने तुरंत खुदाई रोक दी और प्राचीन संरचना को निकालने में जुट गए।
पहले भी मिली हैं मूर्तियां: गांव के लोग बताते हैं कि इस पोखर से पहले भी कई बार भगवान बुद्ध की खंडित मूर्तियां मिली हैं। गांव के निवासी बलेश्वर पासवान का कहना है कि "खुदाई के दौरान मिली ईंटें प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय में प्रयुक्त ईंटों से मिलती-जुलती हैं।" यह खोज इस संभावना को बल देती है कि यह स्थान भी प्राचीन काल में किसी महत्वपूर्ण बौद्ध स्थल या शिक्षण संस्थान का हिस्सा हो सकता था।
दीवार का अनुमानित आकार: ग्रामीणों के अनुसार, दीवार करीब 10 फीट नीचे मिली है, जिससे यह अनुमान लगाया जा रहा है कि यह किसी प्राचीन मंदिर, कुंआ या किसी महत्वपूर्ण संरचना का अवशेष हो सकता है। हालांकि, जेसीबी मशीन के उपयोग से दीवार के कई महत्वपूर्ण हिस्से क्षतिग्रस्त हो गए हैं, लेकिन अब भी इसका एक हिस्सा सुरक्षित बचा हुआ है।
नालंदा विश्वविद्यालय की नजदीकी: गोरमा गांव सिलाव से पश्चिम में मात्र 5 किलोमीटर और प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय से लगभग 6 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है, जो इस खोज को और भी महत्वपूर्ण बना देता है।
ऐतिहासिक धरोहर होने की संभावना: गांव के लोग मानते हैं कि इस पोखर में मिली प्राचीन दीवार किसी ऐतिहासिक धरोहर का हिस्सा हो सकती है, और इसकी विस्तृत खुदाई से महत्वपूर्ण ऐतिहासिक तथ्यों का पता चल सकता है। अगर वैज्ञानिक खुदाई कराई जाती है, तो यह स्थान एक महत्वपूर्ण पुरातात्विक स्थल के रूप में उभर सकता है। इस खोज से गोरमा गांव के इतिहास को एक नई पहचान मिलने की उम्मीद बढ़ गई है।

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