द फॉलोअप डेस्क
बिहार सरकार द्वारा कुछ दिनों पूर्व विभिन्न आयोगों का गठन किया गया था। इन आयोगों में मंत्रियों और नेताओं के रिश्तेदारों को जगह मिलने के बाद बिहार की सियासत में तपिश आ चुकी है। विपक्ष इसको लेकर लगातार सरकार पर हमला कर रही है। इसी बीच अब एक नया विवाद छिड़ गया है। दरअसल JDU के कार्यकारी अध्यक्ष संजय झा की दोनों बेटियों को सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार का वकील बनाया गया है।
बिहार में चुनाव से पहले NDA नेताओं के रिश्तेदारों को नीतीश सरकार के आयोगों में जगह दिए जाने से सियासी घमासान होने लगा है। अब लग रहा है कि विपक्ष को एक और नया मुद्दा मिल गया है। RJD ने JDU के कार्यकारी अध्यक्ष संजय झा की बेटियों को सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार की वकील बनाए जाने के बाद सवाल उठाए हैं। RJD ने केंद्र सरकार द्वारा जारी आदेश की कॉपी को अपने आधिकारिक एक्स हैंडल पर शेयर किया है और दलितों, पिछड़ों और अति पिछड़ों की हकमारी करने का आरोप लगाया है।
RJD ने एक्स पर लिखा, “जदयू के कार्यकारी राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री संजय झा जी की दोनों सुपुत्रियों को सुप्रीम कोर्ट में एक ही दिन ????????????????????-‘????’ ???????????????????? ???????????????????????????? बनवा दिया जाता है जिन्हें कोई विशेष कार्य अनुभव भी नहीं है। जदयू के कितने दलित, पिछड़े और अतिपिछड़े नेताओं, सांसदों, मंत्रियों अथवा कार्यकर्ताओं के बेटे-बेटियों को यह विशेषाधिकार प्राप्त है कि एक ही दिन में बिना अनुभव के यह उपलब्धि प्राप्त कर लें। लेकिन पिछड़े-अतिपिछड़े और दलित इसलिए ही तो वंचित ठहरे? दलितों-पिछड़ों-अतिपिछड़ों की मेरिट, प्रतिभा, हक़ और अधिकार को कैसे छिनकर भी कुछ लोग बेशर्मी से जन्मजात श्रेष्ठ और मेरिटधारी बने रहने का स्वांग रचते है यह इसका क्लासिकल उदाहरण है
जानकारी के लिए बता दें कि केंद्र और राज्य सरकारें जिला से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक वकीलों की सेवा लेती है और उन्हें सरकारी वकील के तौर पर अदालतों में तैनात करती है। कानून मंत्रालय ने ठीक वैसे ही 9 अक्टूबर 2024 के एक आदेश के तहत केंद्र सरकार की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में केस लड़ने के लिए संजय झा की दोनों बेटियों अद्या झा और सत्या झा की सेवा तीन साल के लिए ली गई है।