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28 साल पुराने अलकतरा घोटाले में ट्रांसपोर्टर को 3 साल की सजा, एक आरोपी बरी

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द फॉलोअप डेस्क

करोड़ों के बहुचर्चित अलकतरा घोटाले में पटना स्थित सीबीआई की विशेष अदालत ने 28 वर्षों बाद बड़ा फैसला सुनाया है। इस फैसले के बाद सरकारी महकमे और निर्माण विभाग से जुड़े हलकों में हड़कंप मच गया है।
जानकारी के अनुसार, सीबीआई के विशेष न्यायाधीश सुनील कुमार-2 ने इस मामले में आरोपित ट्रांसपोर्टर डीएन सिंह को तीन वर्ष की सश्रम कारावास और 1.10 लाख रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई है। न्यायालय ने गवाहों के बयान और प्रस्तुत साक्ष्यों के आधार पर डीएन सिंह को जालसाजी, धोखाधड़ी और आपराधिक षड्यंत्र के आरोपों में दोषी पाया।
वहीं, इसी मामले में सह-आरोपित रहे जहानाबाद पथ निर्माण कार्यालय के तत्कालीन जूनियर इंजीनियर अनिल कुमार सिंह को अदालत ने साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया है। जबकि एक अन्य आरोपित रामानुज प्रसाद की ट्रायल के दौरान मृत्यु हो चुकी है।
क्या है मामला?
यह घोटाला वर्ष 1995-96 के दौरान बिहार के जहानाबाद जिले से जुड़ा है। आरोप है कि उस समय हल्दिया से बरौनी और हल्दिया से जहानाबाद तक अलकतरा की आपूर्ति दिखाई गई थी, जो वास्तविक नहीं थी। फर्जी आपूर्ति दिखाकर सरकारी खजाने से करोड़ों रुपये की अवैध निकासी की गई थी।
सबसे पहले इस मामले में वर्ष 1995 में जहानाबाद नगर थाना में प्राथमिकी दर्ज की गई थी। इसके बाद जांच की जिम्मेदारी सीबीआई को सौंपी गई, जिसने 1997 में केस दर्ज किया। वर्षों तक चली जांच के बाद वर्ष 2000 में सीबीआई ने तीन आरोपितों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की थी।
सीबीआई की ओर से विशेष लोक अभियोजक सत्यजीत कुमार सिंह ने अदालत में 16 अभियोजन गवाहों को पेश किया। बताया जा रहा है कि यह अलकतरा घोटाला कुल 13 करोड़ 50 लाख रुपये से अधिक का है।
 

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