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साबरमती का संत-30: गांधी दर्शन-समरसता की बुनियाद पर टिकी अर्थव्यवस्था और राजनीति

गांधी जी द्वारा राजनीतिक और आर्थिक व्यवस्था के विकेंद्रीकरण और मशीनों के नकार का आग्रह अनायास नहीं था। उनकी यह दृढ़ मान्यता थी कि लोकतंत्र मशीनों यानी कि प्रौद्योगिकी एवं उत्पादन के केंद्रीकृत विशाल संसाधनों यानी कि उद्योग का दास होता है। गांधी जी यह जानते

साबरमती का संत-29: महात्मा गांधी का संकल्प- खादी आत्म निर्भरता का विकल्प

'किसी को समय बडा बनाता है और कोई समय को बडा बना देता है।कुछ लोग समय का सही मूल्यांकन करते हैंऔर कुछ लोग आने वाले समय का पूर्वाभास पा जाते हैं। कुछ लोग अतीत को परत दर परत तोड़कर उसमें वर्तमान के लिए ऊर्जा एकत्र करते हैं और कुछ लोग वर्तमान की समस्याओं से घबर

साबरमती का संत-28: विश्व अहिंसा दिवस और महात्मा गांधी का सच 

अहिंसा का प्रयोग गांधी का महत्वपूर्ण संदेश है। हिंसावादियों और अराजकता समर्थकों को आश्वस्त नहीं कर पाने की नाकामी से खिन्न गांधी ने अहिंसा की थ्योरी पर अमल करना सिखाया। गांधी की तयशुदा सलाह थी राज्य-शक्ति हिंसा का हथियार ही है। यह अलग बात है कि भारत पाक व

साबरमती का संत-27: क्यों डरते हैं गांधी से लोग, और प्रेम का ढोंग भी

गांधी जिस तरह का भारत चाहते थे उससे लीग, संघ, वामपक्ष, मूल निवासी राजनीति आदि को खत्म हो जाने या अप्रासंगिक हो जाने का खतरा था। इसलिए ये लोग उनका विरोध करते थे और अंततः संघी लोगों ने उनकी हत्या ही कर दी। इस तथ्य के बावजूद कि हिन्दू धर्म को उन्होंने जिस  त

विवेक का स्वामी-18: स्वामी विवेकानंद की अभिनव पहल 

भारत अपनी आत्मतुष्टि, बल्कि आत्मपुष्टि में इतना स्वाभिमानी रहा है कि अपने विचारों को न तो किसी अन्य मजहब पर लादना चाहता रहा है और न ही उनके विचारों के प्रचार प्रसार में भौतिक प्रतिरोध उत्पन्न करता रहा है। यदि अन्य मजहब के विचार भारतीय मनीषा में स्वानुभूत

साबरमती का संत-26: समकालीन विश्व में महात्मा की प्रासंगिकता कितनी सार्थक

'गांधीजी अगर 1915-16 में भारत न आने का फैसला करके द. अफ्रीका में अपने फीनिक्स आश्रम में ही रह जाते तब??...सबसे बड़ा अंतर यह पड़ सकता था कि भारत का आम आदमी आज़ादी की लड़ाई से इतना नज़दीकी न बना पाता, लड़ाई सभा-गोष्ठियों तक सीमित रहती।

विवेक का स्वामी-17: स्वामी विवेकानंद के लिए सनातन धर्म एक समुद्र की तरह रहा

'हिंदू धर्म किसी एक धार्मिक ग्रंथ या पैगंबर के कारण उद्भूत नहीं हुआ है। यदि ऐसा होता तो हिंदू धर्म एक तालाब का प्रतीक हो जाता। उसकी सरहदों से बाहर जाने की सुविधाएं नहीं होतीं और न ही नदियां उसमें आकर मिल सकतीं।

FTII में फिल्म-मेकिंग की पढ़ाई पूरी करने के लिए रांची के आदिवासी युवक को चाहिए आर्थिक मदद

'रांची विश्वविद्यालय में पत्रकारिता विभाग के 2018-20 बैच के गोल्ड मेडलिस्ट सौरव मुंडा अपनी पढ़ाई के लिए आर्थिक मदद की गुहार लगा रहे है। सौरव बुंडु के रहने वाले हैं। इसी साल उनका नामांकन देश में फिल्म-मेकिंग के सबसे प्रतिष्ठित संस्थान फिल्म एंड टेलीविजन इं

विवेक का स्‍वामी-16:  जब तक देश का एक कुत्ता भी भूखा रहता है, तो उसे खिलाना और उसकी हिफाजत करना मेरा धर्म

'विवेकानन्द ने झल्लाकर कहा मारवाड़ी व्यापारियों से तुम्हें गायों की रक्षा के नाम पर धन मिलता है। तुम्हें मालूम है कि मध्य भारत भयंकर अकाल की चपेट में है।

साबरमती का संत-25: महात्मा गांधी ने क्यों त्यागा सूटबूट और धारण की सिर्फ धोती, जानिये

''मेरे पास केवल एक यही एक साड़ी है जो मैंने पहन रखी है। आप ही बताओ, मैं कैसे इसे साफ करूं और इसे साफ करने के बाद मैं क्या पहनूंगी? आप महात्मा जी से कहो कि मुझे दूसरी साड़ी दिलवा दे ताकि मैं हर रोज इसे धो सकूं।"

तड़प कर रह गया पाकिस्तान, खूब फल-फूल रहा भारत-अमेरिका कारोबार

पीएम मोदी अभी लौटे हैं, और अमेरिका अगले माह विदेश राज्यमंत्री विंडी शेरमन को दिल्ली भेज रहा है।

विवेक का स्‍वामी-15: जिसका हृदय गरीब-वंचितों के लिए द्रवीभूत हो वही महात्मा अन्‍यथा दुरात्मा

स्‍वामी विवेकानन्द पहले ऐसे विचारक हैं जिन्होंने बेलाग निश्चयात्मक भाषा में कहा था कि भविष्य में पहला शूद्र अर्थात् सर्वहारा राज्य रूस में स्थापित होगा।

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