"बापूजी, मुझे सिनेमा दिखा दीजिए।" गांधीजी हंसते हुए उत्तर देते तुम तीन दिनों तक रोज आठ घंटे रोटियां बेलकर दिखा दो तो चौथे दिन तुम्हें सिनेमा दिखा दूंगा।" और कई बार, उन्होंने तीन मील दूर, अमदाबाद शहर भेजकर, उसे सिनेमा दिखला भी दिया।
अलग-अलग देशों में कुल 48 सड़कों के नाम महात्मा गांधी के नाम पर हैं
हर संप्रदाय, जाति, प्रदेश, धर्म, राजनीतिक दल, आर्थिक व्यवस्था को उन्हें पूरी तौर पर अपनाने से परहेज है। उनके चेहरे की सलवटें अलग अलग तरह के लोगों के काम आ जाती हैं।
स्वामी विवेकानन्द की दुनिया और हिन्दुत्व-अकिंचन का उन्नयन
शहीद भगत सिंह ने ये चिट्ठी अपनी शहादत से बीस दिन पहले 3 मार्च 1931 को लिखी थी।
सांप्रदायिकता मुल्क के लिए कितनी खतरनाक है, शहीद भगत सिंह ने पंजाबी मासिक ‘किरती’ के जून, 1928 के अंक में छपे इस लेख में विशद ज़िक्र किया था।
शहीद भगत सिंह के विचारों को आज जानना क्यों है बेहद ज़रूरी
हिन्दुस्तान को पूरी आजादी भगत सिंह के अर्थ में नहीं मिली है। भगत सिंह ने तर्क के बिना किसी भी विचार या निर्णय को मानने से परहेज किया।
' झारखंड की राजधानी रांची में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और राज्यपाल रमेश बैस के आवास से महज 20 किमी दूर नामकुम प्रखंड के सिलवाई पंचायत में एक गांव है गढ़ाटोली। इस गांव से लगते सीसीपीढ़ी और पाहन टोली सहित तकरीबन 1 दर्जन से ज्यादा गांवों तक जाने के लिए कोई पक
स्वामी विवेकानंद और वामपंथ : समानता और दूरियां
पहला पत्र 'सारे जहां से अच्छा...' लिखने वाले इक़बाल की मौत पर लिखा था
'लगातार भूलों के बाद भी नेहरू-गांधी परिवार पर टिकी कांग्रेस की उम्मीद