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साबरमती का संत-24: तुरंत रसोई घर में चले गए और स्वयं ही पराठे और आलू की तरकारी बनाने में लग गए

"बापूजी, मुझे सिनेमा दिखा दीजिए।" गांधीजी हंसते हुए उत्तर देते तुम तीन दिनों तक रोज आठ घंटे रोटियां बेलकर दिखा दो तो चौथे दिन तुम्हें सिनेमा दिखा दूंगा।" और कई बार, उन्होंने तीन मील दूर, अमदाबाद शहर भेजकर, उसे सिनेमा दिखला भी दिया।

साबरमती का संत-23: भारत के इकलौते नेता जिनकी पाकिस्‍तान समेत 84 देशों में मूर्तियां

अलग-अलग देशों में कुल 48 सड़कों के नाम महात्मा गांधी के नाम पर हैं

ज़िंदाबाद इंक़लाब-5: हवा में रहेगी मेरे ख्‍़यालों की बिजली....

हर संप्रदाय, जाति, प्रदेश, धर्म, राजनीतिक दल, आर्थिक व्यवस्था को उन्हें पूरी तौर पर अपनाने से परहेज है। उनके चेहरे की सलवटें अलग अलग तरह के लोगों के काम आ जाती हैं।

विवेक का स्‍वामी-14: धर्म और देशभक्ति की आड़ में अत्याचार का स्‍वामी विवेकानंद करते रहे विरोध

स्‍वामी विवेकानन्द की दुनिया और हिन्दुत्व-अकिंचन का उन्नयन

ज़िंदाबाद इंक़लाब-4: शहीद भगत सिंह ने छोटे भाई को उर्दू में चिट्ठी में क्‍या लिखा था, जानिये

शहीद भगत सिंह ने ये चिट्ठी अपनी शहादत से बीस दिन पहले 3 मार्च 1931 को लिखी थी।

ज़िंदाबाद इंक़लाब-3: शहीद भगत सिंह ने 92 साल पहले अपने इस लेख में क्‍या लिखा था, जानिये

सांप्रदायिकता मुल्क के लिए कितनी खतरनाक है, शहीद भगत सिंह ने पंजाबी मासिक ‘किरती’ के जून, 1928 के अंक में छपे इस लेख में विशद ज़िक्र किया था।

ज़िंदाबाद इंक़लाब-2: अराजकता के कारण- विषमताएं और विकास  की कृत्रिम समानताएं

शहीद भगत सिंह के विचारों को आज जानना क्‍यों है बेहद ज़रूरी

ज़िंदाबाद इंक़लाब-1: भारत ढूंढता है कहां हो भगत सिंह?

हिन्दुस्तान को पूरी आजादी भगत सिंह के अर्थ में नहीं मिली है। भगत सिंह ने तर्क के बिना किसी भी विचार या निर्णय को मानने से परहेज किया।

रांची के इस गांव तक नहीं जाती है पक्की सड़क, खटिया के सहारे हॉस्पिटल पहुंचते हैं मरीज और गर्भवती महिलाएं

' झारखंड की राजधानी रांची में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और राज्यपाल रमेश बैस के आवास से महज 20 किमी दूर नामकुम प्रखंड के सिलवाई पंचायत में एक गांव है गढ़ाटोली। इस गांव से लगते सीसीपीढ़ी और पाहन टोली सहित तकरीबन 1 दर्जन से ज्यादा गांवों तक जाने के लिए कोई पक

साबरमती का संत-22: महात्‍मा गांधी ने उर्दू में लिखी चिट्ठी में आख़िर क्‍या लिखा था!

पहला पत्र 'सारे जहां से अच्‍छा...' लिखने वाले इक़बाल की मौत पर लिखा था

नीर-क्षीर: अनगिनत चूकों के बावजूद कांग्रेस आस, अगर बदलने को हो तैयार

'लगातार भूलों के बाद भी नेहरू-गांधी परिवार पर टिकी कांग्रेस की उम्मीद

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