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Followup Special News

यही है हिंदुस्‍तानियत: बौद्ध परिवार के पास उर्दू में रामचरितमानस

 मैंने संस्कृत और उर्दू के अध्येता बलराम शुक्ल से पूछा। उन्होंने कहा कि यह रामचरितमानस ही है।

कामकाजी महिलाओं को सेक्स सिंबल की तरह किसने किया इम्प्लांट

कब बदलेगी महिला को लेकर पुरुष की धारणा

विश्‍लेषण: मोदी के दौरा के बाद अमरीका और भारत के रिश्‍ते की पड़ताल

अमरीकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने महात्मा गांधी के अहिंसा संबंधी विचार के हवाले से जब भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से सवाल पूछा, और वो टाल गए।अमरीकी उपराष्ट्रपति कमला हैरिस ने भी लोकतंत्र की याद दिला दी थी।

विवेक का स्‍वामी-12: मेहनतकश शूद्रों के आधार पर ही खड़ा हुआ इंडो-आर्य समाज का ढांचा

विवेकानन्द के वक्त हिन्दू समाज में भी कई दोष दाखिल हो ही चुके थे। उनकी अनदेखी विवेकानन्द नहीं कर सकते थे। बाल विवाह, जाति प्रथा, वर्ग विभेद और सामाजिक अलगाव जैसी जड़ताओं से उन्हें बेसाख्ता नफरत थी।

साबरमती का संत-21: एक पुस्‍तक के बहाने गांधी और नेहरू  : परंपरा और आधुनिकता के आयाम

'‘आने वाली नस्लें शायद मुश्किल से ही विश्वास करेंगी कि हाड़-मांस से बना हुआ कोई ऐसा व्यक्ति भी धरती पर चलता-फिरता था’

रूस की सैर इन वन क्‍लिक-7: कितना बदल सका विभक्‍त USSR को लेनिन के बाद का समय

'किसान क्रांति के प्रतीक को आज भी सम्मान प्राप्त है।

‘द टेल ऑफ़ गेन्जी’ -दुनिया का पहला उपन्यास,  लेखिका का असली नाम कोई नहीं जानता

करीब सौ साल पहले तक दुनिया उसके बारे में जानती तक न थी।1925 में वर्जीनिया वूल्फ ने आर्थर वेली द्वारा किये गए उस उपन्यास के अंग्रेज़ी अनुवाद का रिव्यू न लिखा होता तो शायद ‘द टेल ऑफ़ गेन्जी’ को आज भी लोग नहीं जानते।

साबरमती का संत-20: पंजाब से यूपी तक सैकड़ों चंपारण एक अदद गांधी की जोह रहे बाट

गांधी ने जमानत देने से इनकार कर दिया। न चंपारण छोडूंगा, न आंदोलन छोडूंगा।

विवेक का स्‍वामी-11: भविष्य के लिए युवकों के बीच धीरज के साथ मजबूती से चुपचाप काम करें

स्‍वामी विवेकानन्द की दुनिया और हिन्दुत्व-जातिवाद में मतछुओवाद

संयुक्तराष्ट्र के 76 वें अधिवेशन में अफगानिस्तान के भाग नहीं ले पाने का कारण तालिबान

दक्षेस (सार्क) के विदेश मंत्रियों की जो बैठक न्यूयार्क में होनेवाली थी, वह स्थगित हो गई है। उसका कारण यह बना कि अफगान सरकार का प्रतिनिधित्व कौन करेगा?

जयंती विशेष: असहमत होकर भी दीनदयाल उपाध्याय के ‘एकात्म मानववाद‘ की उपेक्षा नहीं की जा सकती

'‘हिन्द स्वराज‘ की तरह ’एकात्म मानववाद’ के व्याख्यानों में भी पश्चिमी नस्ल की शासन प्रणालियों की तीखी आलोचना है।

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