logo

चुनाव से पहले नेतृत्व के नये चेहरे, जातिगत समीकरण साधने लगी आरजेडी, कांग्रेस और बीजेपी

bihar_chubav.jpg

व्यंकटेश पाण्डेय/ पटना
चुनावी रण में उतरने से पहले तमाम पार्टियों की कोशिश ये रहती है कि उसके नेतृत्व की बागडोर किसी ऐसे हाथ में हो, जिससे कई समीकरण एक साथ साधे जा सकें। विधानसभा चुनाव से ठीक पहले RJD ने अपने प्रदेश अध्यक्ष का चुनाव कर लिया है और मंगनी लाल मंडल के नाम पर मुहर लग गई है। साथ ही तेजस्वी यादव ने मिठाई खिलाकर उन्हें निर्विरोध चुने जाने की बधाई भी दे दी है।

मंगनी लाल मंडल राजद के वरिष्ठ नेताओं और वफादार नेताओं में गिने जाते हैं और खास बात ये है कि वो अतिपिछड़ा समाज से आते हैं। वैसे भी मंडल की राजनीति का एक अपना इतिहास रहा है, खैर उस पर बात फिर कभी।

सभी पार्टियां अपनी चाल चल रही हैं
बिहार में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले केवल RJD ही नहीं बल्कि कांग्रेस और बीजेपी ने भी प्रदेश की कमान नए लोगों को सौंपी है। जिसमें पार्टी संगठन के संतुलन के साथ-साथ जातीय समीकरण को साधने की भी कोशिश की जा रही है। चुनाव से ठीक पहले सभी पार्टियों की नजर अति पिछड़ा वोट बैंक पर है। यानी एक तरफ जातीय जनगणना के आसरे जिस तरह से सियासी बिसात बिछाई जा रही है, वहीं दूसरी तरफ पार्टी में उन जातियों की भागीदारी को मुखर रूप से सामने ला कर वोटरों को रिझाने की कोशिश करने का अनकहा सच भी है।

कांग्रेस को उभारने की कोशिश
कांग्रेस के पास ऐसे तो राष्ट्रीय पार्टी का तमगा है, लेकिन क्षेत्र यानी राज्यों की राजनीति में बिना बैसाखी वो चल नहीं पाती। खास कर के 1990 के दशक के बाद से जिस तरह से देश की राजनीति करवट ली, उसके बाद से हिंदी पट्टी क्षेत्रों में कांग्रेस का जनाधार कम होने लगा और वो धीरे-धीरे लुढ़कने लगी।

हालांकि कांग्रेस ने फिर से अपनी कमर कस ली है। खास कर के बिहार में। यहां पार्टी ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। कांग्रेस ने अपना प्रदेश अध्यक्ष राजेश राम को बनाया है। राजेश राम औरंगाबाद कुटुम्बा विधानसभा क्षेत्र से विधायक हैं। उन्होंने HAM के श्रवण भुइया को 2020 के विधानसभा चुनाव में हराया था। राजेश राम को प्रदेश अध्यक्ष बना कर कांग्रेस ने एक तीर से कई निशाना साधा है। पार्टी का पहला संदेश तो दलित समाज को साधने का है। बता दें कि बिहार में अति पिछड़ा वर्ग यानी EBC की कुल आबादी 36.01 फीसदी है, वहीं पिछड़ा समाज की जनसंख्या 27.13 फीसदी है। यानी कुल मिलाकर पार्टी अपने जनाधार को मजबूत करने में लगी है।

बीजेपी की ज्यादा सीटों पर नजर
देश की सबसे बड़ी पार्टी बीजेपी ने भी बिहार चुनाव से पहले अपनी कमर कस ली है और दिल्ली से पटना के बीच की दूरी को लगातार पाटने की कोशिश कर ही है, भाजपा ने भी तकरीबन एक साल पहले राज्य में पार्टी की कमान दिलीप जयसवाल के हाथों में सौंप दी।  दिलीप जायसवाल का निवास खगड़िया है और सीमांचल के क्षेत्र में उनकी अच्छी खासी पकड़ मानी जाती है।
ऐसे भी सीमांचल की सीटों पर तमाम पार्टियों की नजर है, क्योंकि पिछले विधानसभा चुनाव में वहां के परिणाम ने बिहार की सत्ता की कमान किसके हाथ में होगी उस में एक अहम भूमिका निभाई थी। बता दें कि सीमांचल में बिहार के चार जिले आते हैं। पूर्णिया, कटिहार, किशनगंज और अररिया। ये मुस्लिम बाहुल्य इलाके हैं। इन चार जिलों में 24 विधानसभा सीटें हैं।

2020 में हुए विधानसभा चुनाव में इस इलाके में सबसे ज्यादा बीजेपी को 8 सीटें मिली थी वही कांग्रेस को पांच, जनता दल यूनाइटेड (JDU) को चार, सीपीआई (एमएल) और RJD को एक-एक सीटें मिली थीं। ऐसा कहा जाता है कि दिलीप जयसवाल की सीमांचल क्षेत्र में अच्छी खासी पकड़ है और इस साल के चुनाव में कही ना कही बीजेपी की ज्यादा से ज्यादा सीटों पर नजर रहेगी।
अंत में बात JDU की करना भी जरूरी है क्योंकि बिहार में अभी सत्ता और सिंहासन की चाबी तो उसी के हाथ में है। अभी JDU के प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा हैं, जो महनार विधानसभा सीट से 2020 में चुनाव हार गए थे, RJD के बीना सिंह उन्हें चुनाव हराया था। बिहार में अभी कुशवाहा समाज की आबादी 4.27 फीसदी है।

Tags - Bihar Bihar News Bihar।atest News Bihar News Update Bihar News in Hindi Bihar।atest News Update bihar politics bihar politics news bihar election bihar election news trending news