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3 शातिरों ने 200 से ज्यादा लोगों को लगाई 4 करोड़ की चपत, साइबर ठगी का ये केस हैरान कर देगा

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द फॉलोअप डेस्कः
सीआईडी ने 2 शातिर साइबर अपराधियों को गिरफ्तार किया है। ये लोग क्रिप्टोकरेंसी में निवेश का झांसा देकर 200 से ज्यादा लोगों से 4 करोड़ रुपये की ठगी कर चुके हैं। तस्वीर में दिख रहा ये शातिर कैसे दिल्ली में बैठकर झारखंड के लोगों की गाढ़ी कमाई लूट रहा था। कैसे इसने ठगी की रकम से दुबई से लेकर रूस तक खूब अय्याशी की। कैसे ये लोग निवेशकों को झांसे में लेने के लिए उनके सामने नोटों की गड्डी को फाड़कर हवा में उड़ाया करते थे। सीआईडी के डीजी अनुराग गुप्ता ने जानकारी दी है, वो जानकर आप हैरान रह जायेंगे। कैसे 3 लोगों ने झारखंड के 200 से ज्यादा लोगों को करोड़ों का चूना लगा दिया। आपको पूरी कहानी सुनाते हैं। 

क्या है पूरा माजरा
ये कहानी शुरू होती है नवंबर 2023 को रांची साइबर थाने में दर्ज हुए एक केस से। निजता का खयाल रखते हुए पीड़ित का नाम नहीं बतायेंगे। तो चलिए शुरू करते हैं......11 नवंबर 2023। रांची साइबर थाने में एक आदमी ने केस दर्ज कराया। शशि शंकर कुमार नाम के आदमी के खिलाफ। कांड संख्या 96/2023 और भारतीय दंड विधान की धारा 419, 420, 467, 471 और आईटी एक्ट की धारा 66 बी, 66 सी और 66 डी के तहत केस दर्ज किया गया। पीड़ित ने लिखित शिकायत में क्या बताया। कैसे-कैसे एक व्यक्ति से शुरू हुआ ठगी का सिलसिला 200 से ज्यादा लोगों तक पहुंच गया, आपको विस्तार से बताते हैं। दरअसल, शशि शंकर कुमार ने पीड़ित को गोल्ड बॉन्ड में निवेश कराया। निवेश का अच्छा रिटर्न दिया। इतना, जितना कि पीड़ित को उम्मीद भी नहीं थी। इस तरह से ठग शशि उर्फ विक्की ने पीड़ित का भरोसा जीत लिया। फिर कहा, एगो बवाल चीज है। उसको कहते हैं क्रिप्टोकरेंसी। उसमें निवेश करो। बहुत लाभ होगा। इस बार शशि के साथ उसका दोस्त अमित जायसवाल भी था।

वेबसाइट के जरिए ठगी

दोनों ने पीड़ित को क्रिप्टोकरेंसी में निवेश का झांसा दिया। ठगों ने पीड़ित को ऑरो पे नाम की कंपनी की आधिकारिक वेबसाइट www.oropay.io में लॉगइन करने को बोला। कुछ और लोगों से भी लॉग इन कराया। फिर कहा, इसमें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तकनीक के जरिये डाटा माइनिंग करके ज्यादा लाभ कमाया जा सकता है। ठगों ने बताया कि इसमें ट्रेडर पैक और प्रो ट्रेडर पैक के जरिए आप रोज .6 फीसदी से 1.2 फीसदी तक का रिटर्न पा सकते हैं। आप निवेश पर 300 फीसदी तक रिटर्न पा सकते हैं। लोगों को लगा। ये तो बवाल चीज है। करना ही चाहिए। हालांकि, टेस्टिंग के लिए छोटी रकम डाली। 

नोटों के बंडल फाड़ देता था
ऑरो पे ने वाकई 300 फीसदी तक का रिटर्न दिया। निवेशक खुश हो गये। आस-पड़ोस और रिश्तेदारों को भी बताया। उनसे भी वेबसाइट में लॉगइन कराया। निवेश कराया। खुद भी ज्यादा रिटर्न के लालच में ज्यादा पैसे डालने लगे। रिटर्न मिला तो और पैसा डाला। ठग एक औऱ विचित्र चीज करते थे। उन्होंने ऑरो पे कंपनी के नाम से रांची, जमशेदपुर और बोकारो सहित झारखंड के अलग-अलग शहरों में महंगे होटलों में कार्यक्रम किये। वहां निवेशकों के लिए मुफ्त में महंगा खाना होता था। पता है यहां शशि औऱ अमित करते क्या था। मंच में रखते थे ढेर सारा पैसा। नोटों का ढेर। और इसे फाड़कर हवा में उड़ाते थे। बोलते थे, इसका कौनो वैल्यू है जी। असली धन तो क्रिप्टो करेंसी है। और लोग भी मुनाफा पाकर लहालोट हुए जा रहे थे। ये सारा नकली नोट हुआ करा था। फिर क्या हुआ। अचानक www.oropay.io नाम की वेबसाइट बंद हो गई। मानें गायब। खतम। नामो-निशान भी नहीं। लोग बौखला गये। लेकिन क्या करते। कहते हैं न, अब पछताये होत क्या जब चिड़़िया चुग गई खेत। शशि और अमित, दर्जनों लोगों की गाढ़ी कमाई लेकर चंपत हो गये। लेकिन, क्या ठगी का ये सिलसिल थम गया। नहीं। पिक्चर अभी बाकी है दोस्त। 

ठगी का दूसरा तरीका भी अपनाया

वेबसाइट तो बंद हो गई। अब शशि और अमित ने अपने एक और सहयोगी के साथ ब्लैक-ऑरो नाम की नई वेबसाइट बनाई। यहां ये लोग वर्चुअल साइबर स्पेस जूम कॉल पर मीटिंग किया करते। यहां से ही ठगी का खेल चलता रहा। पुलिस ने बताया कि ये लोग ठगी के पैसों से 3 बार दुबई और 1 बार रूस घूमने गये। पैसे उड़ाये। अय्याशी की। वापस लौटे तो ठगी का एक और तरीका अपनाया।इस बार डेफी-ऑपे नाम का टोकन लॉन्च किया। निवेशकों से कहा कि ट्रस्ट वॉलेट पर निवेश करने को बोला। लोगों ने निवेश किया। लेकिन, जब बेचना गये तो टोकन की वैल्यू जीरो हो चुकी थी। उनकी गाढ़ी कमाई लूटी जा चुकी थी। सीआईडी मामले की जांच कर रही थी। सीआईडी ने बताया कि अमित जायसवाल को दिल्ली के विकासपुरी से पकड़ा है। शशि शंकर कुमार उर्फ विक्की को बिहार के मुजफ्फरपुर से पहले ही पकड़ा जा चुका है। आरोपियों के पास 3 मोबाइल फोन और 3 सिमकार्ड मिला है। साथ ही ब्लॉक चैन वॉलेट का एड्रेस मिला है। यहीं निवेशक अपना पैसा भेजा करते थे।

 
तो देख लीजिए। रोज साइबर ठगी होती है। लोग दर्जनों लोग शिकार होते हैं। कभी व्हाट्सएप से आये लिंक पर क्लिक करके तो कभी किसी फोन कॉल से। रोज खबरें छपती है। पुलिस आगाह करती है। बैंक समझाता है लेकिन लोग फिर भी फंस जाते हैं। किसलिए। लालच में। लोभ में। ज्यादा की चाहत में। धन पाने के शॉर्टकट में। वही बूचड़खाने वाली कहानी। एक जानवर कटकर टंगा है, दूसरा आराम से जुगाली कर रहा है। अहसास ही नहीं कि अगली बारी उसकी है।

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