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Ranchi : सोरेन परिवार के पास 250 करोड़ की बेनामी संपत्ति, गिनीज बुक में दर्ज हो नाम- बाबूलाल मरांडी

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रांची: 
हरमू स्थित बीजेपी प्रदेश कार्यालय में प्रदेश के प्रथम मुख्यमंत्री सह नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी ने प्रेस वार्ता को संबोधित किया। बाबूलाल मरांडी ने सोरेन परिवार पर बेनामी संपत्ति अर्जित करने का आरोप लगाया। बाबूलाल मरांडी ने आरोप लगाया है कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और राज्यसभा सांसद शिबू सोरेन सहित परिवार के दूसरे सदस्यों ने राज्य गठन के बाद बीते 12 वर्षों में 108 परिसंपत्तियां खड़ी की है जिनकी कुल अनुमानित कीमत 250 करोड़ रुपये से ज्यादा है। बाबूलाल मरांडी ने तंज करते हुए कहा कि सोरेन परिवार ने जितनी जल्दी, जितनी विशाल संपत्ति अर्जित की है, उस आधार पर इनका नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में शामिल किया जाना चाहिए। कहा कि राज्य को लूटा जा रहा है। 

सोरेन परिवार के पास 108 परिसंपत्तियां! 
बाबूलाल मरांडी ने कहा कि मैंने अखबारों में देखा कि लोकपाल मामले में शिबू सोरेन को राहत मिलने की बात कही जा रही है। मैंने सीबीआई और इनकम टैक्स डिपार्टमेंट की प्रारंभिक जांच रिपोर्ट का आकलन किया। अपने स्तर से जांचा-परखा। मुझे पता चला कि सोरेन परिवार के पास रांची से लेकर दुमका तक 108 परिसंपत्तियां हैं लेकिन चुनाव आयोग और इनकम टैक्स को केवल 43 संपत्तियों की जानकारी ही दी गई है। सोरेन परिवार का प्रयास है कि मामलों की जांच ना हो। दिल्ली हाईकोर्ट में इनके वकीलों ने तर्क दिया है कि चूंकि मामला 7 साल पुराना है इसलिए उसकी जांच नहीं होनी चाहिए लेकिन मैं पूछना चाहता हूं कि चोरी पुरानी हो और अब पकड़ी गई हो तो क्या दोषी को सजा नहीं चाहिए? 

सत्ता मिली तो सोरेन परिवार ने राज्य को लूटा! 
बाबूलाल मरांडी ने कहा कि सोरेन परिवार को जब भी सत्ता मिली। जब भी ताकत मिली, इन्होंने झारखंड को लूटा। मुझे याद नहीं है कि झारखंड में किसी भी और आदिवासी परिवार के पास इतनी संपत्ति होगी। राज्य में बहुत सारे आदिवासी परिवार वैसे हैं जिनके पास जमीन नहीं है। जमीन नहीं होने की वजह से उनको पीएम आवास योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा है। सरकार उन आदिवासी परिवारों को 2 कट्ठा जमीन नहीं उपलब्ध करा पा रही है, अलबत्ता स्मार्ट सिटी के नाम पर आदिवासियों की जमीन लूटी गई। उनका मकान तोड़ दिया गया। बाबूलाल मरांडी ने कहा कि मैं बस जनता को सच बताना चाहता हूं। उनको बताना चाहता हूं कि हमने जिसे राज्य का मुखिया चुना उसे जनता की नहीं बल्कि अपने परिवार की चिंता है। 

आदिवासी होने का विक्टिम कार्ड खेलते हैं! 
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि जब-जब हेमंत सरकार संकट में आती है। या उनको अहसास होता है कि वे संकट में हैं, आदिवासी कार्ड खेलने लगते हैं। खुद को विक्टिम बनाने लगते हैं। कहते हैं कि बीजेपी को आदिवासी मुख्यमंत्री पच नहीं रहा है। हेमंत सरकार चौतरफा घिरी है। चाहे वो हाईकोर्ट का मामला हो या सुप्रीम कोर्ट का। राजभवन का मामला हो या चुनाव आयोग का। घिरते हैं तो खुद को गरीब आदिवासी बताने लगते हैं लेकिन अदालत में अपने बचाव के लिए देश के महंगे और नामी-गिरामी वकीलों को रखते हैं।

झारखंड में कौन सा आदिवासी इतने महंगे वकील रख सकता है। बाबूलाल मरांडी ने कहा कि झामुमो, बीजेपी पर सामंतवादी होने का आरोप लगाती है लेकिन व्यवहार में खुद सामंतवादी है।