रांची
झारखंड में माओवादी गतिविधियों के खात्मे की ओर बढ़ते कदम अब असर दिखाने लगे हैं। पुलिस और सुरक्षाबलों की सख्ती और लगातार चल रहे अभियानों के चलते माओवादियों ने पहली बार खुले तौर पर शांति वार्ता की पहल की है। लगातार डॉट इन में छपी सौरव सिंह के अनुसार, भाकपा (माओवादी) की सेंट्रल कमेटी के प्रवक्ता अभय ने बयान जारी करते हुए कहा है कि अगर सरकार माओवादी विरोधी अभियान रोक देती है, तो वे बिना शर्त शांति वार्ता को तैयार हैं।
हालांकि, साथ ही उन्होंने कुछ अहम शर्तें भी रखी हैं।
इनमें प्रमुख हैं:
1. ऑपरेशन के नाम पर हो रही कथित हत्याओं और नरसंहार पर रोक – खासतौर पर झारखंड, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र (गढ़चिरौली), ओडिशा, मध्य प्रदेश और तेलंगाना जैसे राज्यों में।
2. नए सुरक्षा बल कैंपों की स्थापना पर विराम।
प्रवक्ता ने स्पष्ट किया कि यदि सरकार इन मांगों पर सकारात्मक रुख दिखाती है, तो माओवादी तत्काल युद्धविराम की घोषणा कर सकते हैं। यह प्रस्ताव बीते कई वर्षों में पहली बार आया है, जिससे संकेत मिलता है कि माओवादी संगठन अब दबाव में है और टकराव की बजाय बातचीत की राह अपनाने को मजबूर हो रहा है।
नक्सल प्रभाव अब सीमित इलाकों में
झारखंड पुलिस की ताज़ा रिपोर्ट के मुताबिक, बीते एक दशक में राज्य के 113 थाना क्षेत्रों से नक्सल प्रभाव पूरी तरह समाप्त कर दिया गया है। साल 2014 में जहां 131 थाना क्षेत्र माओवादी प्रभाव में थे, वहीं 2024 के अंत तक यह संख्या घटकर सिर्फ 18 रह गई है। इन बचे हुए क्षेत्रों की गिनती अब महज सात जिलों में सिमट कर रह गई है। यह स्थिति राज्य सरकार और सुरक्षा एजेंसियों की रणनीति की सफलता को दर्शाती है।