रांची
भाजपा ने कांग्रेस और झारखंड मुक्ति मोर्चा के घोषणापत्रों पर प्रतिक्रिया व्यक्त की है। भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता अजय साह ने दोनों पार्टियों के घोषणापत्र को ‘खोखला पत्र और दिखावा पत्र’ करार दिया है। उनके अनुसार, इन घोषणापत्रों में कुछ भी नया नहीं है और यह 2019 में जारी किए गए घोषणापत्र की नकल मात्र है। साह ने तंज कसते हुए कहा कि चूंकि इन पार्टियों ने पिछले पांच वर्षों में कोई ठोस वादा पूरा नहीं किया, इसलिए यदि 2019 का घोषणापत्र ही पुनः जारी कर दिया गया होता तो जनता और पार्टी दोनों का समय बच सकता था।
अजय साह ने कांग्रेस के घोषणापत्र पर आरोप लगाया कि यह तुष्टिकरण की नीति पर आधारित है और एक विशेष समुदाय को ध्यान में रखकर तैयार किया गया है। उन्होंने कहा कि जबकि पूरा देश वक़्फ़ बोर्ड में व्याप्त भ्रष्टाचार का विरोध कर रहा है, कांग्रेस ने इसके संशोधन का विरोध करने का वादा किया है। साह के अनुसार, मदरसों के शिक्षकों का वेतन बढ़ाने, अल्पसंख्यक आयोग को सशक्त बनाने, उर्दू शिक्षकों की संख्या बढ़ाने और फातिमा शेख स्कॉलरशिप जैसी योजनाओं का उल्लेख कांग्रेस की साम्प्रदायिक सोच को दर्शाता है। उनका कहना है कि कांग्रेस ने बहुसंख्यक समाज की उपेक्षा करते हुए एक विशेष समुदाय को खुश करने का प्रयास किया है। साह ने यह भी आरोप लगाया कि झारखंड के प्रति राहुल गांधी की उदासीनता स्पष्ट है। पिछले 5 वर्षों में उन्होंने अपने मंत्रियों की समीक्षा बैठक तक नहीं की, जो झारखंड के प्रति उनकी गंभीरता की कमी को दर्शाता है।
अजय साह ने झारखंड मुक्ति मोर्चा के घोषणापत्र पर भी कटाक्ष किया और कहा कि इसमें कांग्रेस की विचारधारा की झलक है। प्रधानमंत्री मोदी जी ने सत्य कहा है कि JMM के भीतर कांग्रेस का भूत घुस गया है। उन्होंने सवाल उठाया कि झारखंड स्टेट ओपन यूनिवर्सिटी को तीन वर्षों तक ज़मीन मुहैया नहीं कराने वाली जेएमएम अब 5 सौ एकड़ में औद्योगिक पार्क बनाने का वादा कैसे कर रही है? साह ने यह भी कहा कि जो पार्टी महिलाओं को स्कूल से पीएचडी तक मुफ्त शिक्षा का झूठा वादा करके मुकर गई है, वह अब महिला विश्वविद्यालय के वादे का ढोंग कर रही है। जेएमएम के रोजगार से जुड़े वादों पर कटाक्ष करते हुए उन्होंने कहा कि जो पार्टी पहले 5 लाख नौकरियों का वादा करती थी, वह अब हर साल दस लाख नौकरियों का वादा कर रही है। साह ने कहा कि पैसे दुगुने होते हुए सुना था, परंतु हेमंत राज में झूठे वादे भी दुगुने हो रहे है।