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SC के फैसले पर बोले CM हेमंत सोरेन : अब झारखंड को केंद्र से बकाये के 1.26 लाख करोड़ रुपये मिलेंगे

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रांची
राज्यों के खदानों और खनिज युक्त भूमि पर कर लगाने के अधिकार को बरकरार रखने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने हर्ष जताया है। उन्होंने इस फैसले को बड़ी जीत बताते हुए कहा है कि सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फ़ैसले से हमारी लगातार मांग सफल हुई है। अब झारखंड को केंद्र से बकाये के 1 लाख 36 हज़ार करोड़ रुपये मिलेंगे। हर झारखंडी के इस बकाये और अधिकार को लेकर आपकी अन्य सरकार लगातार आवाज़ बुलंद कर रही थी। अब हमें वर्ष 2005 से खनिज की रॉयल्टी का बकाया मिलेगा। चरणबद्ध तरीक़े से 12 साल में यह भुगतान होगा। राज्यवासियों के हक़ सुरक्षित होने के साथ इन पैसों का उपयोग जन-कल्याण में होगा, और हर झारखंडवासी को इसका पूरा फायदा मिलेगा।

गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने 25 जुलाई के अपने फैसले को आगामी प्रभाव से लागू करने की केंद्र की याचिका बुधवार को खारिज कर दी जिसमें राज्यों के पास खदानों और खनिज युक्त भूमि पर कर लगाने के विधायी अधिकार को बरकरार रखा गया था। इसके साथ ही न्यायालय ने राज्यों को एक अप्रैल 2005 के बाद से रॉयल्टी वसूल करने की अनुमति दे दी। सीजेआई डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली नौ सदस्यीय संविधान पीठ ने कहा कि 25 जुलाई के आदेश को आगामी प्रभाव से लागू करने की दलील खारिज की जाती है। पीठ में न्यायमूर्ति ऋषिकेश रॉय, न्यायमूर्ति अभय एस ओका, न्यायमूर्ति बी वी नागरत्ना, न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला, न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा, न्यायमूर्ति उज्जल भूइयां, न्यायमूर्ति सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह भी शामिल थे।

पीठ ने कहा कि हालांकि, पिछले बकाये के भुगतान पर कुछ शर्तें होंगी। उसने कहा कि केंद्र तथा खनन कंपनियां खनिज संपन्न राज्यों को बकाये का भुगतान अगले 12 वर्ष में क्रमबद्ध तरीके से कर सकती हैं। बहरहाल, पीठ ने राज्यों को बकाये के भुगतान पर किसी प्रकार का जुर्माना न लगाने का निर्देश दिया। केंद्र ने खनिज संपन्न राज्यों को 1989 से खनिजों और खनिज युक्त भूमि पर लगाई गई रॉयल्टी उन्हें वापस करने की मांग का विरोध करते हुए कहा था कि इसका असर नागरिकों पर पड़ेगा और प्रारंभिक अनुमान के अनुसार, सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों (पीएसयू) को अपने खजाने से 70,000 करोड़ रुपये निकालने पड़ेंगे। 

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