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CM ने ढोल नगाड़े के साथ की अबुआ बीर दिशोम अभियान की शुरुआत, वन पर निर्भर आदिवासियों को ये होगा फायदा 

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रांची 

झारखंड में आज से अबुआ बीर दिशोम अभियान की शुरुआत कर दी गयी है। अभियान की शुरुआत सीएम हेमंत सोरेन ने धुर्वा स्थित प्रोजेक्ट भवन में ढोल नगाड़ा बजाकर की। बता दें कि अबुआ बीर दिशोम अभियान हेमंत सरकार की महत्वाकांक्षी योजना है। इसके तरहत वन पर आश्रित रहने वाले राज्य को लाखों आदिवासियों को वनाधिकार पट्टा दिया जायेगा। अभियान को धरातल पर उतारने के लिए जिला औऱ अनुमंडल स्तर पर समितियों का गठन किया गया है। ये समितियां ही तय करेंगी कि वनाधिकार का पट्टा किसे दिया जाना है। इन समितियों के गठन में ग्रामसभा की भागीदारी मुख्य रूप से निर्धारित तय की गयी है। इस तरह से ये अभियान अबुआ दिशोम अबुआ राज की परिकल्पना को साकार करता है। 

इसलिए शुरू किया गया है अभियान 
गौरतलब है कि झारखंड राज्य का 27 फीसदी से अधिक भाग जंगल व विभिन्न पेड़ो से भरा पड़ा है। इन वन इलाकों के आसपास राज्य के सभी हिस्सों में मुख्य रूप से आदिवासी निवास करते हैं। रोजगार से लेकर सामाजिक व आर्थिक सरोकारों तक के लिए वे वन पर आश्रित रहते हैं। इसलिए वनों की रक्षा करना लोगों को साथ सरकार की भी प्राथमिकताओं है। इस दिशा में सरकार का मानना है कि वनों की रक्षा स्थानीय स्तर पर लोगों को इसका अधिकार देकर ही की जा सकती है। इसी सोच के साथ वन पर आश्रित आदिवासियों को वनाधिकार पट्टा दिया जायेगा। मिली खबरों में कहा गया है कि अभियान का पहला फेज इसी साल दिसंबर तक पूरा कर लिया जायेगा। प्रशासनिक स्तर पर इसकी तैयारी महीनों पहले से हो रही थी। 

कौन होंगे वनाधिकारी पट्टा के अधिकारी 

बता दें कि रांची उपायुक्त ने पिछले दिनों अबुआ बीर दिशोम अभियान (वन अधिकार अभियान 2006) का मुख्य उद्देश्य बताया है। कहा है कि वर्ष 2006 में अधिनियमित FRA वन में निवास करने वाले आदिवासी समुदायों और अन्य पारंपरिक वनवासियों के वन संसाधनों के अधिकारों को मान्यता प्रदान करता है। जिस पर ये समुदाय आजीविका, निवास तथा अन्य सामाजिक-सांस्कृतिक ज़रूरतों सहित विभिन्न आवश्यकताओं के लिये निर्भर है। उन्हें (योग्यताधारी) वन पट्टा देना मुख्य उद्देश्य है।