जामताड़ा, दुलाडीह
दुलाडीह में आयोजित संथाली भाषा ओलचिकि साहित्य अधिवेशन में झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन ने शिरकत की। उन्होंने संथाल परगना में आदिवासियों की घटती संख्या और विलुप्त होती संस्कृति पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए सभी को एकजुट होकर आंदोलन करने की आवश्यकता पर जोर दिया। नगर भवन में आयोजित इस दो दिवसीय साहित्य अधिवेशन में झारखंड के विभिन्न हिस्सों से संथाली भाषा के साहित्यकार, लेखक और बुद्धिजीवी शामिल हुए। अधिवेशन के दौरान संथाली भाषा और साहित्य के विकास पर चर्चा की गई और विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया गया।
अधिवेशन के समापन समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में पहुंचे चंपई सोरेन ने संथाल आदिवासियों के अधिकारों और संस्कृति की रक्षा के लिए आंदोलन करने का आह्वान किया। उनके विचारों ने अधिवेशन में उपस्थित लोगों को प्रभावित किया, और उपस्थित जनसमूह ने उनके संदेश का समर्थन किया।
कार्यक्रम के आयोजकों ने भी संथाली भाषा और संस्कृति के संरक्षण के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहराई। यह अधिवेशन संथाली भाषा और संस्कृति के प्रति जागरूकता बढ़ाने में एक महत्वपूर्ण पहल साबित हुआ।