द फॉलोअप डेस्क
रांची पुलिस ने हाल ही में एक संगठित गिरोह का पर्दाफाश किया है, जो भीड़-भाड़ वाले इलाकों से मोबाइल चोरी कराता था। पुलिस ने इस गिरोह के मास्टरमाइंड शिवजी महतो को साहिबगंज जिला के बाबूपुर से गिरफ्तार किया है। जबकि एक अन्य आरोपी देवकुमार अब भी पुलिस की गिरफ्त से बाहर है। इस मामले में पुलिस ने कई नाबालिगों को भी पकड़ा है, जिनका संबंध इस गिरोह से बताया जा रहा है।
बता दें कि पुलिस छानबीन के दौरान रांची के मोरहाबादी क्षेत्र में एक नाबालिग को 3 चोरी किए हुए मोबाइल के साथ पकड़ा गया। इसके बाद पूछताछ में नाबालिग ने पुलिस को जो बताया, उसके आधार पर सुखदेवनगर इलाके में स्थित एक मकान में छापेमारी की गई। यहां से मास्टरमाइंड शिवजी महतो को गिरफ्तार किया गया। नाबालिगों को किया जाता था चोरी करने के लिए प्रशिक्षित
घटना के संबंध में पुलिस ने कहा कि शिवजी महतो के कमरे से 27 एंड्रॉयड मोबाइल और 2 कीपैड फोन बरामद किए गए हैं। बताया गया कि इन मोबाइलों को रांची के खादी सरस मेला जैसे भीड़-भाड़ वाले इलाकों से चुराया गया था। आरोपी ने पूछताछ में जानकारी दी कि नाबालिगों को हाट-बाजार और मेला वाले इलाकों में मोबाइल चोरी करने के लिए प्रशिक्षित किया जाता था।
संगठित ढंग से देते थे वारदात को अंजाम
यह गिरोह काफी संगठित तरीके से वारदात को अंजाम देता था। इसमें पहले नाबालिगों को विशेष ट्रेनिंग दी जाती थी। इस दौरान उन्हें शहर के ऐसे व्यस्त इलाकों में मोबाइल चुराने के हुनर सिखाए जाते थे, जहां लोग अपने मोबाइल हाथ में पकड़े रहते हैं। वहीं, प्रशिक्षण के बाद इन बच्चों को चोरी करने के लिए भीड़-भाड़ वाले इलाकों पर भेजा जाता था। यहां गिरोह के सरगना उन्हें फीडबैक देते थे। साथ ही किसी भी अप्रिय स्थिति से बचने के लिए चोरी किए गए मोबाइल को जल्दी से छुपा लिया जाता था।
हर माह दी जाती थी 15 हजार की सैलेरी
इस मामले में गिरोह के सरगना शिवजी महतो ने बताया कि नाबालिगों को हर महीने 15 हजार रुपये सैलेरी दी जाती थी। यह उनकी मेहनत का प्रतिफल होती थी। हालांकि, अब पुलिस ने उन्हें पकड़ लिया है और आरोपियों को न्यायालय में पेश किया जा चुका है। इसके बाद नाबालिगों को बाल संप्रेक्षण गृह में भेजा गया है। पुलिस गिरोह के अन्य सदस्यों की तलाश में जुट गई है।