रांची
हजारीबाग के केरेडारी प्रखंड में NTPC की चट्टी बरियातू कोल परियोजना के खनन से जुड़े दुष्प्रभावों के कारण आदिम जनजाति समुदाय के 2 सदस्यों, किरणी बिरहोर और बहादुर बिरहोर, की मौत के मामले ने तूल पकड़ लिया है। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने इस पर संज्ञान लेते हुए उपायुक्त हजारीबाग को सम्मन जारी किया है।
आयोग ने उपायुक्त को 10 फरवरी को व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने का निर्देश दिया है। हालांकि, यदि इससे पहले चार बिंदुओं पर विस्तृत रिपोर्ट भेज दी जाती है, तो व्यक्तिगत पेशी से छूट मिल सकती है।
यह मामला मंटू सोनी की शिकायत और पुलिस अधीक्षक हजारीबाग की रिपोर्ट पर आधारित है। आयोग ने उपायुक्त से पिछले साल नवंबर में 4 प्रमुख बिंदुओं पर रिपोर्ट मांगी थी, जो अब तक नहीं भेजी गई। ये बिंदु हैं:
1. NTPC द्वारा बिरहोर टोला, पगार में खनन कार्य शुरू होने की तिथि।
2. खनन से क्षेत्र के निवासियों के स्वास्थ्य पर पड़े प्रतिकूल प्रभाव।
3. बिरहोर समुदाय का NTPC द्वारा निर्मित घरों में न बसने का कारण और उस स्थान की सुरक्षा।
4. खनन शुरू होने के बाद से अब तक हुई मौतों की संख्या और उनके कारण।
प्रशासन और NTPC पर सवाल
NTPC के चट्टी बरियातू खनन कार्य को लेकर स्थानीय प्रशासन और कंपनी की भूमिका पर लंबे समय से सवाल उठाए जा रहे हैं। बिरहोर टोला के समीप नाबालिग किरणी बिरहोर और बहादुर बिरहोर की मौत के मामले में प्रशासन की लापरवाही उजागर हुई है।
सदर अनुमंडल पदाधिकारी के नेतृत्व में बनी जांच समिति ने रिपोर्ट में पाया था कि खनन और परिवहन के कारण इलाके में प्रदूषण की समस्या गंभीर हो गई है। धूल और धुएं से हवा की गुणवत्ता खराब हो रही है, जिससे स्वांस और अन्य बीमारियों का खतरा बढ़ गया है।
जांच दल ने सुझाव दिया था कि जब तक बिरहोर परिवारों को सुरक्षित स्थान पर बसाया नहीं जाता, तब तक इस क्षेत्र में खनन बंद किया जाए। इसके बावजूद खनन कार्य जारी रखा गया।
क्या हो सकती है अगली कार्रवाई?
अब सभी की नजरें मानवाधिकार आयोग की आगामी कार्रवाई पर हैं। यदि आयोग द्वारा मांगी गई रिपोर्ट प्रस्तुत नहीं की जाती, तो कड़ी कार्रवाई हो सकती है। इस मामले ने ना सिर्फ आदिवासी समुदाय की समस्याओं को उजागर किया है, बल्कि प्रशासन और कंपनियों की जिम्मेदारियों पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं।