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राज्यपाल द्वारा लौटाए हुए मॉब लिंचिंग विधेयक को फिर लाएगी हेमंत सरकार, जानिये कब ?

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द फॉलोअप डेस्क, रांची
राज्य सरकार मॉब लिंचिंग कानून को लागु करने की दिशा में एक बार फिर कदम बढ़ाने जा रही है. दरअसल आगामी विधानसभा के मानसून सत्र में मॉब लिंचिंग विधेयक को पारित कर राजभवन भेजेगी राज्य सरकार. जिसे भीड़ द्वारा की जाने वाली हिंसा/हत्या की रोकथाम विधेयक-2023 का नाम दिया गया है. आपको बता दें, इससे पहले साल 2021 के दिसंबर महीने में मॉब लिंचिंग निवारण विधेयक-2021 को कैबिनेट से पास कर शीतकालीन सत्र में कानून को पारित कर राजभवन भेजा गया था. जहां दो महीने बीतने के बाद यानी मार्च 2022 में उस समय राज्य के राज्यपाल रहे रमेश बैश ने विधयेक में त्रुटियों का हवाला दे कर लौटा दिया था. लेकिन अब उन त्रुटियों को दूर कर दिया गया है.

इन त्रुटियों की वजह से लौटाया गया था विधेयक 

राज्य के तत्कालीन राज्यपाल रमेश बैश द्वारा मॉब लिंचिंग कानून को लौटाने की वजह दो त्रुटियां थी. जिसमें पहली त्रुटि विधेयक के अंग्रेजी संस्करण में धारा दो के उपखंड (1) के उपखंड 12 में गवाह संरक्षण योजना का जिक्र किया गया है। लेकिन हिंदी संस्करण में इसका जिक्र ही नहीं है। तो वहीं दूसरे में धारा के उपखंड (1) के उपखंड 6 में दी गई भीड़ की परिभाषा पर भी आपत्ति जताई गई थी। दरअसल विधेयक में दो या दो से अधिक को भीड़ बताया गया था, यानी अगर दो या दो से अधिक लोग किसी की हत्या कर देते हैं तो वे भीड़ कहे जायेंगे और विधेयक के अनुसार उन्हें दोषी माना जायेगा। इसी बात पर राज्यपाल ने आपत्ति जताते हुए विधयेक को लौटा दिया था की दो या दो से अधिक को हिंसक भीड़ नहीं कहा जा सकता। 

दोषी पाए जाने पर ये थी सजाएं  

बता दें, पारित विधयेक के अनुसार दो या दो से अधिक लोग मिलकर किसी की हत्या कर दिए जाने के बाद दोषी पाए जाने पर तीन साल से सश्रम आजीवन कारावास और 25 लाख रुपए जुर्माने के साथ संपत्ति की कुर्की तक का प्रावधान था। गंभीर चोट आने पर भी 10 साल से लेकर उम्रकैद तक की सजा दी जानी थी। वहीं भीड़ को उकसाने पर दोषी पाए जाने पर तीन साल की सजा तय की गई थी। इसके अलावा पीड़ित परिवार को मुआवजा देने और पीड़ित के इलाज का पूरा खर्च उठाने जाने पर कानून बनाई गयी थी.

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