रांची
राज्य के पुलिस महानिदेशक अनुराग गुप्ता ने 1 मई (गुरुवार) को नक्सल प्रभावित जिलों में चल रहे अभियानों की समीक्षा के लिए हाई लेवल मीटिंग की। यह मीटिंग लातेहार, हजारीबाग, चाईबासा, लोहरदगा और पलामू जैसे संवेदनशील ज़िलों में पहले से दिए गए निर्देशों के अनुपालन को लेकर की गई। रांची में आयोजित इस उच्चस्तरीय बैठक में एडीजी (अभियान) संजय आनंद लाटकर, आईजी अभियान अमोल वेणुगोपाल, एसआईबी डीआईजी चंदन झा, रांची जोन के आईजी अखिलेश कुमार झा, पलामू जोन के आईजी सुनील भास्कर समेत कोल्हान, रांची और पलामू प्रमंडल के डीआईजी और सभी जिलों के एसपी मौजूद थे।
बैठक के दौरान डीजीपी ने भाकपा (माओवादी) समेत अन्य उग्रवादी संगठनों और उनके सहयोगी समूहों की गतिविधियों पर रोक लगाने के लिए 12 ठोस निर्देश दिए। इनमें शामिल हैं:
• जिलों के एसपी अपने क्षेत्र में लेवी वसूली और धमकी से जुड़ी घटनाओं की नियमित समीक्षा करें और एफआईआर दर्ज करने की स्थिति स्पष्ट करें।
• आगजनी व तोड़फोड़ की घटनाओं पर त्वरित कार्रवाई के लिए सूची तैयार कर प्राथमिकता दें।
• फरार नक्सलियों के खिलाफ कुर्की-जब्ती वारंट लेकर कार्रवाई तेज करें।
• लेवी के पैसे से जुटाई गई संपत्तियों की पहचान कर उन्हें ज़ब्त किया जाए।
• सक्रिय उग्रवादियों की प्रोफाइल बनाकर फील्ड यूनिट को साझा करें ताकि उनकी पहचान हर स्तर पर संभव हो।
• मुख्यालय से प्राप्त खुफिया सूचनाओं पर तुरंत एक्शन लें ताकि नक्सलियों को भागने का मौका न मिले।
• फरार उग्रवादियों पर इनाम घोषित करने का प्रस्ताव जल्द भेजें।
• सरेंडर पॉलिसी और नक्सल विरोधी अभियानों को जनता के बीच प्रभावी ढंग से प्रचारित करें।
• खुफिया तंत्र को और मजबूत करें ताकि सूचना समय पर मिले।
• ठेकेदारों और कंपनियों के प्रतिनिधियों के साथ जिलों में समन्वय बैठकें करें।
• कंपनियों और परियोजनाओं के स्थलों पर सीसीटीवी लगाने को लेकर ठोस पहल करें।
• जमानत पर छूटे उग्रवादियों और अपराधियों पर निगरानी बनाए रखने के लिए थाना स्तर पर निर्देश जारी करें।
डीजीपी ने ज़ोर देकर कहा कि नक्सल समस्या के स्थायी समाधान के लिए समन्वित रणनीति और त्वरित कार्रवाई ही कारगर साबित होगी।