द फॉलोअप डेस्क, रांची:
देवघर के बांक-जमुनिया गांव की रहने वाली 23 वर्षीय निशा कुमारी की पीत्त की पथरी के सीबीडी ऑपरेशन के बाद 28 सितंबर 2023 को मौत हो गई थी। आरोप है कि देवघर के मधुपुर स्थित अनुराग मल्टीस्पेशियलिटी हॉस्पिटल के डॉक्टरों द्वारा गलत ऑपरेशन किए जाने और इलाज में लापरवाही की वजह से निशा की जान गई। अब इस मामले में परिजनों की अपील पर झारखंड सरकार के अवर सचिव ने स्वास्थ्य, चिकित्सा शिक्षा और परिवार कल्याण विभाग के संयुक्त सचिव से, अनुराग अस्पताल के खिलाफ कार्रवाई की अनुशंसा की है। अवर सचिव ने स्वास्थ्य विभाग के संयुक्त सचिव को लिखी चिट्ठी में अनुराग अस्पताल का लाइसेंस रद्द कर उसी सील करने और आरोपी डॉक्टरों के खिलाफ मधुपुर थाने में मुकदमा दर्ज करने की अनुशंसा की है।
जयप्रकाश रवानी ने सरकार को लिखी चिट्ठी
गौरतलब है कि मधुपुर (देवघर) निवासी जयप्रकाश रवानी ने अनुराग मल्टीस्पेशलिटी हॉस्पिटल के प्रबंधक और चिकित्सकों के खिलाफ मधुपुर थाने में प्राथमिकी दर्ज करने और हॉस्पिटल का लाइसेंस रद्द कर लापरवाही के आरोपी डॉक्टरों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की थी। याचिकाकर्ता ने आवेदन पत्र के साथ पेन ड्राइव और समाचार पत्रों का कतरण भी संलग्न किया है। गौरतलब है कि पोड़ैयाहाट विधायक प्रदीप यादव ने यह मामला विधानसभा में शीतकालीन सत्र के दौरान उठाया था और मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से मिलकर मामले में उचित कार्रवाई और मृत निशा के आश्रितों को मुआवजा देने की मांग की थी।
28 सितंबर 2023 को हुई थी निशा की मौत
यह मामला सितंबर 2023 का है। बांक-जमुनिया गांव की निशा, पिछले 3 साल से मधुपुर स्थित अनुराग मल्टीस्पेशिलिटी अस्पताल में नर्स थी। घटना के कुछ समय पहले ही उसे पेट में पीत्त की थैली में पथरी डायग्नोस हुई थी। निशा ने अनुराग अस्पताल में ही सर्जरी कराने का फैसला किया। 5 सितंबर को डॉ. आलोक मोहन सिन्हा ने सीबीडी तकनीक से निशा का ऑपरेशन किया। निशा के रिश्तेदार अमित कुमार चंद्रवंशी का आरोप है कि ऑपरेशन के बाद निशा की हालत बिगड़ गई। वह दर्द में थी। इसी तरह 8 दिन बीत गए। 13 सितंबर को जब हालत नाजुक हो गई तो अस्पताल के दूसरे डॉक्टर विनोद कुमार ने निशा की फिर से सर्जरी की। इसके बाद भी निशा की हालत में कोई सुधार नहीं हुआ। उसकी तबीयत बिगड़ती गई।
डॉक्टरों पर लापरवाही बरतने का आरोप
13 सितंबर से 23 सितंबर को निशा अस्पताल में कराहती रही। आखिरकार, 23 सितंबर की शाम को उसे कोलकाता रेफर किया गया। कोलकाता में अपोलो अस्पताल में डॉक्टरों ने बताया कि निशा के 95 फीसदी इंटरनल ऑर्गन खराब हो चुके हैं। इलाज के लिए 40 लाख रुपये का खर्चा बताया। 24 सितंबर को निशा को वहां से डिस्चार्ज कर दिया गया। आखिरकार निशा को कोलकाता के फ्लेमिंगो अस्पताल में भर्ती कराया गया जहां इलाज के दौरान 28 सितंबर को उसका देहांत हो गया। परिजनों ने आंदोलन किया।
उनका आरोप था कि मधुपुर थाने की पुलिस मुकदमा दर्ज नहीं कर रही। छानबीन के बाद कार्रवाई की बात कहती है।