द फॉलोअप डेस्कः
राजस्थान में एक 23 साल की लड़की जालसाजी के आरोप में पकड़ी गई है। नाम है मोना बुगालिया। आपको जानकार हैरानी होगी कि इस लड़की का राजस्थान पुलिस में सेलेक्शन भी नहीं हुआ था, इसके बावजूद भी यह दो साल तक पुलिस कैंप में ट्रेनिंग लेती रही। मोना नागौर जिले के निंबा के बास गांव की रहनेवाली है। मोना खुद को पुलिस की वर्दी में देखना चाहती थी। इसलिए उसने इंस्पेक्टर भर्ती परीक्षा की तैयारी की। इसकी परीक्षा भी दी। लेकिन लाख कोशिश करने के बावजूद वह परीक्षा पास नहीं कर सकी। इसके बाद उसके मन में बेईमानी का ख्याल आया। सब इंस्पेक्टर के तौर पर ना चुने जाने के बावजूद उसने सोशल मीडिया पर सब इंस्पेक्टर भर्ती परीक्षा में पास कर जाने की झूठी खबर फैला दी और वाहवाही बटोरने लगी। लोगों ने उसकी इतनी तारीफ कर दी थी कि वह अब पीछे मुड़कर नहीं देख सकती थी। दरअसल मोना गरीब घर से हैं, ऐसे में उसके साथ चुनौतियों से जूझ कर कामयाबी हासिल करने का टैग भी जुड़ गया था। इसलिए मोना धोखे, जालसाजी और जुर्म के रास्ते पर चल पड़ी।
वर्दी पहन कर घूमती थी पूरे एकेडमी में
वह राजस्थान पुलिस एकेडमी की लापरवाही का फायदा उठाकर धोखे से घुस गई। दो साल तक वहां बतौर सब इंस्पेक्टर ट्रेनिंग भी किया। मोना रेगुलर और स्पोर्टस दोनों बैच में ट्रेनिंग करती रही। रेग्यूलर बैच में वह कहा करती थी कि वो स्पोर्ट्स कोटे से है और जब स्पोर्टस कोटे से कोई उसके बारे में पूछता तो वो कहती कि वो रेग्यूलर बैच से है। उसे यह भी पता चला कि वहां आईबी के लोग भी ट्रेनिंग करते हैं। ऐसे में एक बार जब एक सब इंस्पेक्टर ने उसके कोटे को लेकर सवाल पूछा तो उसने बताया कि वो आईबी से है। इस तरह एकेडमी में कनफ्यूजन बना रहा और मोना ने इसका पूरा फायदा उठाया। मोना कभी इंडोर क्लास और एक्टिविटीज अटेंड नहीं करती थी। क्योंकि उसे पता था कि अगर वो क्लास में जाएगी, तो हाजिरी होगी। जो भी ट्रेनिंग के लिए एकेडमी में आते हैं, उन्हें वहीं हॉस्टल में रहना होता है, लेकिन मोना का नाम चुने गए कैंडिडेट्स में नहीं था, वो हॉस्टल में नहीं रहती थी। हर दिन ट्रेनिंग के बाद वह बाहर चली जाती। आने-जाने के लिए भी मेन गेट का इस्तेमाल नहीं करती थी। क्योंकि वहां आईकार्ड चेक होता था। बल्कि वह उस गेट से आती-जाती थी जिससे पुलिस अफसरों के परिवार आते-जाते थे। ट्रेनिंग एकेडमी में वह कैंटीन, स्वीमिंग पूल, फैमिली क्वार्टर्स में खूब समय गुजारती थी। कैंटीन वह वर्दी पहन कर जाती और नए-नए सब इंस्पेक्टर्स से दोस्ती करती। एकेडमी का नियम ये है कि कैंडिडेट्स को अपनी वर्दी का खर्च खुद ही वहन करना पड़ता है, वर्दी कहीं से भी ली जा सकती है। उसने अपने लिए दो यूनिफॉर्म बनवाई थी। उसने कभी भी सरकार की तरफ से मिलने वाली 23 हजार 500 रुपये की सैलरी नहीं ली। इस तरह उसको गोरखधंधा लगातार चलता रहा। पूरे दो साल तक मोना ने हर जगह वर्दी का पूरा फायदा उठाया। वो कभी सोशल मीडिया पर वर्दी में अपनी तस्वीरें पोस्ट करती थी। कई मौकों पर प्रोग्राम में चीफ गेस्ट बन जाती थी। लोगों को अपनी झूठी कामयाबी की कहानी सुनाती थी। पुलिस अफसरों से जान-पहचान बना कर अपना काम निकलवाती थी।
कैसे खुली पोल
आप सोच रहे होंगे कि मोना की पोल कैसे खुली। तो पहले ट्रेनिंग के फॉर्मेट को समझिए। ट्रेनिंग तीन तरह की होती है। बेसिक, फील्ड और सैंडविच। 11 से 23 सितंबर तक सैंडविच ट्रेनिंग होनी थी। मोना सैंडविच ट्रेनिंग अटेंड करने आई थी। एकेडमी में ट्रेनिंग कर रहे सब इंस्पेक्टर्स ने अपना एक व्हाट्स एप ग्रुप बना रखा था। जहां मोना की एक सब इंस्पेक्टर से बहस हो गई और मोना ने तब उसे एकेडमी से निकलवा देने की धमकी दे डाली। बस यहीं से उसकी पोल खुलनी शुरू हो गई। जिसे मोना ने धमकी दी थी। उसी ट्रेनी एसआई ने उसके बारे में पता लगाना शुरू कर दिया। लेकिन उसे हैरत हुई कि मोना का नाम तो किसी लिस्ट में नहीं है। इसके बाद शख्स ने अधिकारियों से मोना की शिकायत की। तब जाकर अधिकारियों के सामने मोना का पोल खुला, इसके बाद फौरन उन्होंने मोना के खिलाफ शास्त्रीनगर थाने में रिपोर्ट लिखवा दी। लेकिन मोना फरार हो गई। अब राजस्थान पुलिस उसकी तलाश कर रही है। इस घटना के बाद राजस्थान पुलिस अकादमी पर भी सवाल उठ रहे हैं।