द फॉलोअप डेस्कः
हजारीबाग के सांसद जयंत सिन्हा को भाजपा के प्रदेश महामंत्री सह राज्यसभा सांसद आदित्य साहू ने कारण बताओ नोटिस जारी किया था। दो दिनों के अंदर ही सांसद जयंत सिन्हा ने उन्हें सोशल मीडिया साइट एक्स के माध्यम से जवाब दिया है। साथ ही यह अफसोस जाहिर किया कि आखिर उन्होंने बिना जाने समझे कैसे मीडिया के जरिए नोटिस जारी किया है। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र के महापर्व में उन्होंने हिस्सा लिया था और पोस्टल बैलट पेपर के जरिए मतदान भी किया था।
जयंत सिन्हा- मैंने पार्टी के फैसले का समर्थन किया
जयंत सिन्हा ने लिखा, "मैंने जब चुनाव में भाग न लेने की घोषणा की तो उसके बाद हजारीबाग लोकसभा के हजारों मतदाताओं और पार्टी कार्यकर्ताओं की प्रतिक्रिया आई। कई लोग दिल्ली में मुझसे मिलने आए और कहा कि मैं अपने फैसले पर विचार करूं। साथ ही लोकसभा चुनाव में अपनी उम्मीदवारी जारी रखूं। यह कठिन समय था, जिसमें लोगों की जनभावनाएं थी, लेकिन मैंने राजनीतिक मर्यादा और संयम बनाए रखा।"
बीजेपी नेता ने अपने जवाब में लिखा, "पार्टी ने 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए मनीष जायसवाल को अपना उम्मीदवार घोषित किया। मैंने 8 मार्च 2024 को उन्हें बधाई दी, जो मेरे स्पष्ट समर्थन का ही सबूत था। यह सब सोशल मीडिया पर है, जो पार्टी के फैसले के प्रति मेरे समर्थन को भी दिखाता है। इस बीच अगर पार्टी चाहती थी कि मैं चुनावी गतिविधियों में भाग लूं, तो आप मुझसे संपर्क कर सकते थे। हालांकि, 2 मार्च 2024 को मेरी घोषणा के बाद झारखंड के किसी भी वरिष्ठ पार्टी पदाधिकारी या सांसद/विधायक ने मुझसे संपर्क नहीं किया। "
जयंत सिन्हा ने आगे कहा, "मुझे किसी भी पार्टी कार्यक्रम, रैली या संगठनात्मक बैठक के लिए आमंत्रित नहीं किया गया। यदि बाबूलाल मरांडी जी मुझे कार्यक्रमों में शामिल करना चाहते थे, तो वो निश्चित रूप से मुझे आमंत्रित कर सकते थे, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया। 29 अप्रैल 2024 की शाम को मेरे दिल्ली में रहने के दौरान मनीष जायसवाल की ओर से मुझे उनके नामाकन रैली में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया गया। देर से सूचित करने के कारण मेरे लिए 1 मई 2024 की सुबह तक हजारीबाग पहुंचना संभव नहीं था।"
वोट न देने का आरोप लगाना गलत- जयंत सिन्हा
हजारीबाग के सांसद ने कहा, "इसलिए में 2 मई 2024 को हजारीबाग पहुंचकर सीधा मनीष जायसवाल के आवास पर उनसे भेंट करने के लिए पहुंचा। इस दौरान वह वहां नहीं थे, इसलिए मैंने अपना संदेश और शुभकामनाएं उनके परिवार को दी। इसके बाद से मनीष जायसवाल से मेरा मिलना या बातचीत नहीं हुई। जयंत सिन्हा ने आगे कहा कि 'इसके बाद दिल्ली लौटकर लोकसभा अध्यक्ष जानकारी देते हुए कुछ महत्वपूर्ण निजी कमिटमेंट की वजह से 10 मई 2024 को विदेश चला गया।"
उन्होंने लिखा, "पार्टी की ओर से मुझे किसी भी कार्यक्रम में आमंत्रित न किये जाने के कारण मुझे वहां रुकने की कोई खास आवश्यकता दिखाई नहीं पड़ी। जाने से पहले मैंने पोस्टल बैलट प्रक्रिया के माध्यम से अपना वोट दिया था। इसलिए यह आरोप लगाना गलत है कि मैंने अपने मतदान के कर्तव्य का पालन नहीं किया। बीजेपी के साथ अपने 25 वर्षों की सेवा के दौरान मैं दो बार सांसद, केंद्रीय राज्य मंत्री और लोकसभा की वित्त संबंधी संसदीय स्थायी समिति का अध्यक्ष रहा हूं. हजारीबाग में मेरे विकास और संगठनात्मक कार्यों की सराहना की गई है, जिसका सबसे बड़ा सबूत यह है कि 2014 और 2019 के चुनावों में मेरी रिकॉर्ड मतों से जीत हुई थी।"
'पिछले कई दशकों से मैंने पार्टी के लिए काम किया'
जयंत सिन्हा ने लिखा, "पिछले कई दशकों से मैंने पार्टी की कई महत्वपूर्ण और सार्थक राष्ट्रीय नीति संबंधी पहलों में सहायता की है. इन पदों पर रहते हुए मेरे कार्यों की सभी ने प्रशंसा की गई है। मुझे वित्त संबंधी संसदीय स्थायी समिति के उत्कृष्ट काम के लिए संसद महारन पुरस्कार से सम्मानित करने के साथ ही राष्ट्रपति की ओर भी सम्मानित किया गया है। मुझे कई महत्वपूर्ण संसदीय और मीडिया बहसों में बीजेपी और प्रधानमंत्री मोदी की सरकार का प्रतिनिधित्व करने का अवसर मिला है. मैंने पार्टी की अपनी सभी जिम्मेदारियों को पूरी निष्ठा और ईमानदारी के साथ निभाया है। इन योगदानों और उपरोक्त परिस्थितियों के मद्देनजर आपके द्वारा इस पत्र को सार्वजनिक रूप से जारी करना मेरी नजर में अनुचित है।"
'यह रवैया पार्टी कार्यकर्ताओं को निराश करने वाला- जयंत सिन्हा
बीजेपी नेता ने कहा, "आपका यह रवैया समर्पित पार्टी कार्यकर्ताओं को निराश करने के अलावा पार्टी के सामूहिक प्रयासों को भी कमजोर करने वाला है। इसके अतिरिक्त, पार्टी के प्रति मेरी निष्ठा और कठिन परिश्रम के बावजूद, ऐसा प्रतीत होता है कि मुझे अन्यायपूर्ण तरीके से निशाना बनाया जा रहा है। हम निश्चित ही किसी भी समय व्यक्तिगत रूप से या फोन पर बात कर सकते थे, ताकि आपके किसी भी संदेह को दूर किया जा सके। हजारीबाग लोकसभा चुनावों के लिए पार्टी के पदाधिकारी होने के नाते आप कभी भी मुझसे संपर्क कर सकते थे. चुनाव समाप्त होने के बाद आपके द्वारा इस तरह का पत्र भेजना मेरे लिए समझ से परे है।"