द फॉलोअप डेस्क, रांची:
राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन ने सीआरपीएफ पर एफआईआर को लेकर जारी सियासी घटनाक्रम पर बड़ा बयान दिया है। एक कार्यक्रम में हिस्सा लेने रांची यूनिवर्सिटी के आर्यभट्ट सभागार पहुंचे सीपी राधाकृष्णन ने कहा कि केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल पर प्राथमिकी दर्ज कराना गलत है। उन्होंने कहा कि यह समझना जरूरी है कि आखिर सीआरपीएफ को सीएम आवास जाने की जरूरत ही क्यों पड़ी? उन्होंने कहा कि झारखंड मुक्ति मोर्चा के समर्थक सीएम आवास के पास हंगामा कर रहे थे, ऐसे में क्या विकल्प था? बता दें कि 23 जनवरी को रांची सदर अंचलाधिकारी मुंशी राम ने गोंदा थाने में सीआरपीएफ के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई थी।
23 जनवरी को गोंदा थाने में दर्ज हुआ था केस
सदर रांची अंचलाधिकारी मुंशी राम ने 23 जनवरी को गोंदा थाने में सीआरपीएफ के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई थी। उन्होंने लिखित आवेदन में कहा था कि वे दंडाधिकारी के रूप में पुलिस बल के साथ सीएम आवास के पास विधि-व्यवस्था संभालने के लिए तैनात थे। अंदर मुख्यमंत्री से पूछताछ हो रही थी। तभी दोपहर तकरीबन 3 बजे सीआरपीएफ के जवान तकरीबन 10 गाड़ियों में सवार होकर सीएम आवास के पास पहुंचे गये। 2-3 गाड़ियों में सीआरपीएफ के अधिकारी भी थे। मुंशी राम ने लिखित शिकायत में बताया कि वहां धारा 144 के तहत निषेधाज्ञा लगी थी। वहां हरवे-हथियार के साथ जमा होने की सख्त मनाही थी, बावजूद इसके सीआरपीएफ के हथियारबंद जवानों ने सीएम आवास में प्रवेश करने का प्रयास किया। सुसंगत धाराओं में केस दर्ज हो।
सुप्रियो भट्टाचार्य ने सीआरपीएफ पर लगाये आरोप
गौरतलब है कि इससे पहले झारखंड मुक्ति मोर्चा के केंद्रीय महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य ने आरोप लगाया था कि सीआरपीएफ को एक सुनियोजित साजिश के तहत पूछताछ के दौरान मुख्यमंत्री आवास के बाहर भेजा गया था। सीआरपीएफ जवानों को निर्देशित किया गया था कि वे उकसावे वाली कार्रवाई करें। वहां समर्थक उग्र होंगे। यदि झड़प हुई तो संवैधानिक तंत्र की विफलता का आरोप लगाकर हेमंत सोरेन सरकार को अपदस्थ किया जाएगा और राज्य में राष्ट्रपति शासन लगा दिया जायेगा। इसके बाद सुप्रियो भट्टाचार्य ने एक निजी समाचार चैनल से बातचीत में कहा कि रांची एयरपोर्ट में विशेष प्लेन खड़ा था जिसमें मुख्यमंत्री को दिल्ली ले जाकर गिरफ्तारी दिखाने की नीयत थी। बीजेपी ने आरोपों पर पलटवार किया था।
बीजेपी ने सीआरपीएफ पर एफआईआर पर क्या कहा
बता दें कि राज्यपाल से पहले प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने भी सीआरपीएफ पर एफआईआर दर्ज कराने को गलत बताया था। उन्होंने काउंटर एफआईआर की चेतावनी दी थी। बीजेपी प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव ने कहा था कि जो जवान देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए अपनी जान की परवाह नहीं करते उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज कराना निंदनीय है। उन्होंने कहा था कि यदि विशेष परिस्थितियां तो विशेष एक्शन लिया जाता है। धारा 144 लगे होने के बावजूद हजारों की संख्या में झामुमो समर्थक हरवे-हथियार के साथ मुख्यमंत्री आवास के बाहर जमा थे। ऐसे में ईडी के अधिकारियों की सुरक्षा की क्या गारंटी थी? उन्होंने कहा कि धारा 144 का उल्लंघन करने के आरोप में तो मुख्यमंत्री पर भी केस दर्ज होने चाहिए जिन्होंने वहां 2 सभायें की।