द फॉलोअप डेस्क
राज्य सरकार झारखंड सचिवालय अनुदेश में संशोधन करने जा रही है। कार्मिक एवं प्रशासनिक सुधार विभाग ने संशोधन का प्रस्ताव तैयार कर वित्त विभाग को भेज दिया है। वित्त की सहमति मिलने के बाद इस पर कैबिनेट की स्वीकृति ली जाएगी। 22 मई को संपन्न कैबिनेट की बैठक में ही सचिवालय अनुदेश पर प्रस्तावित संशोधन पर सहमति लेने की संभावना थी। लेकिन कतिपय बिंदुओं पर सचिवालय सेवा के अधिकारियों की गंभीर आपत्ति के कारण, फिलहाल यह मामला स्थगित कर दिया गया है। सचिवालय सेवा के अधिकारियों को सबसे गंभीर आपत्ति पद संरचना को लेकर है। वर्तमान में केंद्र सरकार के अनुरूप एएसओ के दो पद पर एक एसओ तथा दो एसओ पर एक अवर सचिव का पद स्वीकृत है। प्रस्ताव में तीन एएसओ पर एक एसओ बनाने की बात कही गयी है। इससे एसओ, अवर सचिव, उप सचिव से लेकर संयुक्त सचिव तक के पदों में भारी कटौती होगी। इस बिंदु को लेकर कल सचिवालय सेवा के अधिकारियों ने अलग अलग मंत्रियों से मुलाकात भी की थी। उन्हें ज्ञापन भी सौंपा था। मंत्रियों से आग्रह किया है कि वे सचिवालय सेवा के अधिकारियों के पदों में कटौती नहीं होने दें। इससे सचिवालय के कामकाज पर बुरा असर पड़ेगा और राज्य सरकार का भी काम प्रभावित होगा। मंत्रियों के आश्वासन के बाद सचिवालय सेवा के पदाधिकारी कुछ संतुष्ट हैं। उन्हें विश्वास है कि सचिवालय अनुदेश में होनेवाले बदलाव से उनकी सेवा पर कोई नकारात्मक असर नहीं पड़ेगा। हालांकि प्रशाखा पदाधिकारियों को गैर राजपत्रित श्रेणी में रखे जाने संबंधी प्रस्ताव को विलोपित कर दिया गया है। इससे प्रशाखा पदाधिकारी संवर्ग के लगभग साढ़े छह सौ अधिकारी खुश हैं।
वर्तमान में सचिवालय सेवा के स्वीकृत पद
झारखंड सचिवालय सेवा नियमावली-2010 के अनुसार झारखंड में वर्तमान में एएसओ के 1310, एसओ के 657, अवर सचिव के 328, उप सचिव के 54 एवं संयुक्त सचिव के 23 पद स्वीकृत हैं। सचिवालय अनुदेश में संशोधन के बाद सचिवालय सेवा के लिए स्वीकृत पदों में लगभग आधे की कमी हो जाएगी।
ई-ऑफिस लागू करने भी अनुशंसा
सचिवालय अनुदेश में संशोधन के प्रस्ताव में कई अन्य बदलावों की भी अनुशंसा की गयी है। उसमें ई-ऑफिस की व्यवस्था भी शामिल की गयी है। ई-ऑफिस की व्यवस्था लागू होने के बाद ई-मेल, व्हाट एप आदि से मिलने वाली जानकारी और पत्रों के आधार पर भी फाइलें खुलेंगी। भी सचिवालयों में अधिकृत रूप से काम काज हो सकेगा। ई-ऑफिस में फाइलों की ऑनलाइन निबटारे की व्यवस्था हो सकेगी। कंप्यूटर पर ही संबंधित अधिकारी फाइलों को देख व उस पर अपनी टिप्पणी व सुझाव दे सकेंगे। वर्तमान में बिहार के समय बने सचिवालय अनुदेश में यह शामिल नहीं है। इसी तरह वर्तमान अनुदेश में विभागों में रजिस्ट्रार के काम रेखांकित हैं। लेकिन व्यवहार में सचिवालयों में रजिस्ट्रार के पद समाप्त किए जा चुके हैं। इसी तरह बिहार के समय बने सचिवालय अनुदेश के उन विषयों को डिलीट और संशोधित कर दिया गया है, जो अब अव्यवहारिक हो चुका है।
ई-ऑफिस के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर भी सुढ़ हो
हालांकि ई ऑफिस लागू करने के लिए बेसिक इंफ्रास्ट्रक्चरर पर भी ध्यान देने की जरूर बतायी जा रही है। कंप्यूटर, प्रिंटर व अन्य डिजिटल इक्विपमेंट के रख रखाव और बैठने की, उसी अनुरूप व्यवस्था सबसे महत्वपूर्ण है। फाइलों का स्कैनिंग और वरीय पदाधिकारियों के लिए भी कंप्यूटर का जरूरी ज्ञान आवश्यक है। हालांकि ई-ऑफिस लागू होने पर फोर्थ ग्रेड कर्मचारियों पर आफत आ सकती है। फाइलों को ले जाने, लाने व अन्य छोटे मोटे कार्यों के लिए इनकी उपयोगिता कम हो जाएगी।