रांची
हाल ही में 3 से 5 अप्रैल 2025 के बीच नई दिल्ली में आयोजित स्टार्टअप महाकुंभ में देश के लगभग सभी प्रमुख राज्यों ने भाग लिया। बिहार सहित अन्य राज्यों ने अपने जीवंत स्टार्टअप इकोसिस्टम और नवाचारों को प्रस्तुत करते हुए निवेशकों को आकर्षित किया और विभिन्न क्षेत्रों में साझेदारियां कीं। झारखंड इस राष्ट्रीय मंच पर पूरी तरह अनुपस्थित रहा, जो राज्य के नवाचार और उद्यमिता परिदृश्य की गंभीर स्थिति को दर्शाता है। कहा, यह सिर्फ एक इवेंट नहीं था—यह राज्यों के लिए रोज़गार, निवेश और नवाचार को बढ़ावा देने का एक ऐतिहासिक अवसर था। झारखंड की अनुपस्थिति एक स्पष्ट संकेत है कि यहाँ प्रणालीगत विफलता चल रही है,” इंडियन स्टार्टअप एसोसिएशन (ISUA) के अध्यक्ष ने कहा, कई बार सरकार से इस विषय में अपील की है।
झारखंड को हुए मुख्य नुकसान:
भारत के सबसे बड़े स्टार्टअप मंच पर कोई प्रतिनिधित्व नहीं।
स्थानीय स्टार्टअप्स को निवेशकों से मिलने और फंडिंग पाने का कोई अवसर नहीं।
युवाओं के लिए नौकरी निर्माण की कोई दिशा नहीं।
झारखंड के संभावित क्षेत्रों को बढ़ावा देने का कोई प्रयास नहीं।
हालांकि राज्य सरकार ने हाल ही में एक नई स्टार्टअप नीति की घोषणा की है, लेकिन पिछले 5 वर्षों से चयनित स्टार्टअप्स को एक भी पैसा जारी नहीं किया गया है। यह सरकार की इच्छाशक्ति, क्षमता और प्रतिबद्धता की कमी को दर्शाता है।
“मंईयां योजना” बनी विकास में बाधा
स्थिति को और गंभीर बनाते हुए, सरकार द्वारा हाल ही में शुरू की गई “मंईयां योजना” में राज्य के लगभग सभी फंड डाइवर्ट कर दिए गए हैं। यह योजना, जो भावनात्मक अपील के आधार पर शुरू की गई थी, अब वित्तीय जवाबदेही और रणनीतिक सोच से दूर लग रही है। नतीजा यह हुआ है कि:
ठेकेदारों के भुगतान रोक दिए गए हैं।
इन्फ्रास्ट्रक्चर और स्टार्टअप प्रोजेक्ट्स ठप पड़ गए हैं।
युवा उद्यमियों के पास आगे बढ़ने की कोई आर्थिक सहायता नहीं है।
राज्य की आर्थिक गति पूरी तरह रुक गई है।
यह योजना अब एक राजनीतिक दिखावा बनकर रह गई है, जो दीर्घकालिक आर्थिक विकास को नुकसान पहुँचा रही है।
अनदेखी हुई अपीलें और असफल नीतियां
भारतीय स्टार्टअप संघ द्वारा बार-बार आग्रह के बावजूद, राज्य सरकार की ओर से न तो कोई प्रतिक्रिया आई, न ही कोई ठोस कदम उठाया गया। हर प्रस्ताव, बैठक का अनुरोध और सुझाव अनसुना कर दिया गया। > “सरकार को विकास में कोई दिलचस्पी नहीं लगती। न तो कोई इकोसिस्टम तैयार किया गया, न मेंटरशिप दी गई, और न ही रोजगार के अवसर बनाए गए। स्टार्टअप नीति एक खोखला दस्तावेज़ बनकर रह गई है, जिसमें कोई फंडिंग और फॉलोअप नहीं है,” — ISA के प्रवक्ता ने कहा।
आग्रह एवं समाधान के सुझाव:
भारतीय स्टार्टअप संघ, झारखंड सरकार से निम्नलिखित कदम उठाने का आग्रह करता है:
1. चयनित स्टार्टअप्स को लंबित फंड तुरंत जारी किए जाएँ।
2. राष्ट्रीय मंचों पर राज्य का उचित प्रतिनिधित्व सुनिश्चित किया जाए।
3. “मंईयां योजना” की समीक्षा कर उसे संतुलित किया जाए, ताकि विकास के अन्य क्षेत्र प्रभावित न हों।
4. स्टार्टअप नीति को पारदर्शिता से लागू करने हेतु एक सशक्त कार्यबल का गठन किया जाए।
झारखंड में प्रतिभा है, संसाधन हैं, और उद्यमशीलता की इच्छा है— जरूरत है तो सिर्फ दूरदर्शी नेतृत्व और जवाबदेह शासन की।