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रांची : 'नेस्तनाबूद हो जाएंगे हम पर प्रहार करने वाले',  JMM ने BJP और निशिकांत दुबे पर बोला हमला

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रांची: 

झारखंड मुक्ति मोर्चा ने प्रदेश में जारी सियासी हलचल के बीच भारतीय जनता पार्टी पर जमकर हमला बोला है। पार्टी के महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा है कि खुद को सर्वस्व समझना आखिरकार उसके पतन का कारण बन जाता है। ऐसा ही बीजेपी के साथ हो रहा है। उन्होंने कहा कि झारखंड में 2 साल से सत्ता सुख से दूर रहने का विरह बीजेपी और सांसद निशिकांत दूबे से नहीं झेला जा रहा है। यही वजह है कि वे सरकार गिराने की साजिश में शामिल होते रहे हैं।

 

बीजेपी की साजिश विफल हो जाती है! 
सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि बीजेपी कभी सरकार गिराने की साजिश, कभी विधायकों को खरीदने का प्रयास, कभी संवैधानिक संस्थाओं की मदद से झामुमो अध्यक्ष दिशोम गुरु शिबू सोरेन, मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, सरकार के मंत्रियों और विधायकों के खिलाफ सुनियोजित षडयंत्र, हर दिन क्षेत्र में सांसद निशिकांत दुबे और बीजेपी की तमाम कोशिशों में चारों खाने चित्त हो रही है। सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि एक ऐसे ही मामले में फिर से निशिकांत दुबे और बीजेपी को मुंह की खानी पड़ी है। 

निशिकांत दुबे ने दर्ज कराई थी शिकायत
गौरतलब है कि गोड्डा से बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने राज्यसभा सांसद और झामुमो अध्यक्ष दिशोम गुरु शिबू सोरेन के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने का मामला लोकपाल में 5 अगस्त 2020 को दर्ज कराया गया था। तत्पश्चात, 15 सितंबर 2020 को लोकपाल ने सीबीआई को मामले में प्रारंभिक जांच करने का निर्देश दिया था। लोकपाल में इस निर्देश के विरुद्ध झामुमो अध्यक्ष द्वारा अपने अधिकार क्षेत्र के अंतर्गत चुनौती याचिका दाखिल की गई थी। 

दिल्ली हाईकोर्ट ने शिबू सोरेन को दी राहत
झामुमो ने कहा कि 12 सितंबर 2022 को दिल्ली हाईकोर्ट ने लोकपाल में चल रही सुनवाई पर 13 दिसंबर 2022 तक रोक लगा दी है। जस्टिस यशवंत वर्मा कीअदालत ने लोकपाल में सुनवाई पर रोक लगाते हुए कहा कि मामले में विचार करने की जरूरत है। अगली तारीख तक लोकपाल में इस मामले में कोई सुनवाई नहीं की जाए। चुनौती में झामुमो अध्यक्ष द्वारा आपत्ति दर्ज की गई कि तथाकथित घटना को 7 साल से अधिक समय बाद शिकायत दर्ज की गई और लोकपाल और लोकायुक्त अधिनियम-2013 की धारा 53 के अनुसार उक्त अवधि समाप्त होने के पश्चात ऐसी कोई जांच नहीं की सकती है। 

सीबीआई ने इस तिथि को शुरू की थी जांच
चुनौती याचिका में ये भी कहा गया है कि लोकपाल के समक्ष 5 अगस्त 2020 को शिकायत दर्ज की गई थी और सीबीआई ने जुलाई 2021 में शिबू सोरेन और उनके परिवार के खिलाफ प्रारंभिक जांच शुरू की। जबकि फरवरी 2022 के अंत तक शिकायत पर कोई प्रति याचिकाकर्ता को प्रदान नहीं की गई। 


झामुमो का कहना है कि लोकपाल को सीबीआई द्वारा दी गई अपनी तीन अलग-अलग जांच रिपोर्ट में याचिकाकर्ता निशिकांत दुबे द्वारा आरोप से संबंधित कोई सातक्ष्य नहीं पाया गया। जस्टिस वर्मा ने इस मामले में लोकपाल और याचिकाकर्ता बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे को नोटिस भेजा है। 


संवैधानिक संस्थाओं के दुरुपयोग का आरोप
झारखंड मुक्ति मोर्चा ने कहा कि ये बात सभी जानत हैं कि बीजेपी संवैधानिक संस्थाओं का गलत उपयोग कर रही है। निशिकांत दुबे और बीजेपी की ओछी मानसिकता और हरकतों से सभी वाकिफ हैं। एक आदिवासी मख्यमंत्री द्वारा जनता की सेवा करने इन्हें कतई रास नहीं आ रहा है, इसलिए सामंतवादी और मनुवादी सोच वाले इन बीजेपी नेताओं द्वारा येन-केन-प्रकारेन कई प्रकार के हथकंडों को अपनाया जा रहा है। इसमें भी वे हर बार विफल साबित हो रहे हैं। 


सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि दिशोम गुरु शिबू सोरेन की संपत्ति देश के करोड़ों मूलवासी-आदिवासी, दलित-शोषित लोगों का विश्वास और श्रद्धा है। इतनी अकूत संपत्ति से समृद्ध प्रतीक पुरुष आदरणीय गुरुजी हर समय मनुवादी एवं सामंतवादियों के खिलाफ संघर्षरत रहे हैं। उनकी पहचान को बनाए रखा है। बीजेपी और उनके सांसद कान खोलकर सुन लें कि झामुमो संकट के समय और भी मजबूत होती है और हमारे ऊपर प्रहार करने की मंशा वाले नेस्तनाबूद हो जाते हैं।